जिन मुश्किलों और संघर्षों का ज़िम्मेदार हम अकसर क़िस्मत या ईश्वर को ठहरा देते हैं, कुछ लोग उन्हीं मुश्किलों से लड़कर आगे निकल जाते हैं और क़िस्मत को भी मात दे देते हैं. शायद यही ख़्याल आएगा आपको इस लड़की की कहानी जानकर.

न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी की स्कॉलरशिप जीतने वाली 19 साल की अश्विनी ने अपनी ज़िन्दगी में बहुत से उतार-चढ़ाव देखे हैं. फ़ेसबुक पेज Humans of Bombay पर इस लड़की की कहानी शेयर की गई. मगर इस मुस्कुराते चेहरे के पीछे जितना दर्द और संघर्ष छिपा है, उसको कोई तस्वीर नहीं बयां कर सकती.

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अश्विनी की मां एक सेक्स वर्कर थीं. उन्होंने महज़ 8 साल की उम्र में अश्विनी को ख़ुद से दूर एक एनजीओ में भेज दिया. यहां से शुरू हुआ अश्विनी का सफ़र, आज न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी तक पहुंच गया.

Humans of Bombay के पेज पर अश्विनी ने लिखा,

‘मैं ज़िन्दगी भर भागती रही. मैं जब 5 साल की थी तो अपनी मां से डरकर भाग गई, जो कि एक सेक्स वर्कर थीं. वो लिपस्टिक जैसी छोटी सी चीज़ भी गुम हो जाने पर भी मुझे बुरी तरह पीट देती थीं.शुरूआती दिनों में उनके साथ की मेरी कुछ यादें हैं. मैं अपने दोस्तों के साथ बिल्डिंग में छुपा-छुपी खेल रही थी और ग़लती से पीछे खड़ी Bikes से टकरा गई. वो सब गिरती चली गईं. चौकीदार ने हमें बिल्डिंग में बंद कर दिया और मां से शिकायत कर दी. उसके बाद मेरी मां चिल्लाते हुए झाड़ू लेकर मेरी तरफ़ आई. मैं बहुत तेज़ डर गई और तेज़ी से भाग गई’.

एनजीओ हॉस्टल में ग़लतियों पर पीटा और भूखा रखा जाता था

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मां ने अश्विनी को जिस एनजीओ हॉस्टल में भेजा था वहां के नियम इतने कड़े थे कि नियमों को तोड़ने पर अश्विनी को बुरी तरह पीटा जाता और कई दिनों तक भूखा रखा जाता. 10 साल तक उसे गालियां और भूख सहनी पड़ी क्योंकि उसकी मां इस बीच गुज़र चुकी थीं और अब उसका कोई नहीं था. छोटी सी उम्र में ज़िन्दगी की नई शुरुआत करना कठिन था. उसकी कुछ सहेलियां भागकर क्रांति नाम की एक संस्था, जो लड़कियों की देखभाल करती थी, में चली गईं. अश्विनी भी एक दिन वहां चली गई.

‘क्रांति’ एनजीओ अश्विनी की ज़िन्दगी में सचमुच क्रांति लेकर आया. उसने वहां रहते हुए अलग-अलग Art Forms के बारे में सीखा. उसने पश्चिम बंगाल में थियेटर और हिमाचल में फ़ोटोग्राफ़ी सीखी. इस संस्था के माध्यम से उसने पूरा भारत घूमा. इसके साथ ही उसने गुजरात के एक एनजीओ के साथ और दिल्ली में दलित समुदाय के साथ काम किया. अश्विनी एक आर्ट थेरेपिस्ट बनना चाहती है ताकि उन लोगों की मदद कर सके, जो ख़ुद को अभिव्यक्त नहीं कर सकते.

अश्विनी की मदद को सामने आए लोग 

अपने सपने को पूरा करने के लिए उसने न्यूयार्क यूनिवर्सिटी में अप्लाई किया. उसका आवेदन तो स्वीकार किया ही गया साथ ही उसे स्कॉलरशिप भी मिल गई. स्कॉलरशिप के अंतर्गत अश्विनी की पढ़ाई का पूरा ख़र्च यूनिवर्सिटी वहन करेगी, पर रहने-खाने का ख़र्च उसे ख़ुद ही उठाना होगा.

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अश्विनी को वहां रहने और खाने के लिए लगभग 10 लाख रुपये चाहिए थे और उसके पास इतनी बड़ी रकम नहीं थी. Humans of Bombay पेज ने अश्विनी की मदद करने के लिए उसकी कहानी शेयर की. उसकी मदद के लिए कई लोग आगे आये और अब तक 11 लाख से ज़्यादा रुपये इकट्ठा हो चुके हैं. आर्थिक मदद के अलावा भी न्यूयॉर्क में रहने वाले कुछ भारतीयों ने अश्विनी को अपने घर पर रुककर पढ़ाई पूरी करने का ऑफ़र दिया है.

अश्विनी की इस कहानी में हर इन्सान के लिए एक प्रेरणा है कि मुश्किलें कभी भी इन्सान के इरादों से बड़ी नहीं हो सकतीं. हौसला हो तो अंधेरी गलियों से निकलकर इन्सान, न सिर्फ़ रौशनी में आ सकता है, बल्कि दुनिया को रौशन भी कर सकता है.