चोरी डकैती की घटनाएं तो आप आए दिन सुनते ही होगें. वारदात के बाद चोरों को मिलने वाली कड़ी सज़ा के बारे में भी सुना ही होगा, लेकिन क्या कभी आपने ये सुना है कि किसी चोर को चोरी की सज़ा के दंड में मंदिर बनवाना पड़े या कन्या भोज़ कराना पड़े.
आप इसे अच्छा कहें या अज़ीब, लेकिन सच यही है. दरअसल, ग्वालियर के लक्ष्मणगढ़ गांव के लोग चोरी और डकैती करने के लिए काफ़ी बदनाम हैं. साल 2013 में यहां पर आए दिन चोरी और डकैती के किस्से सामने आने लगे थे, जिससे गांव और गांववाले दोनों ही बदनाम हो रहे थे. गांव का नाम खराब होता देख लक्ष्मण गांव के बुज़ुर्गों ने पंचायत बुलाई. गांव में बने महादेव में मंदिर में सभी गांववालों ने एकसाथ मिलकर प्रण लिया कि आज के बाद कोई भी व्यक्ति गांव में चोरी, डकैती या लूट जैसे अपराध नहीं करेगा और जिसने भी ये प्रण तोड़ा उस पर गांव दंड के रूप में जुर्माना जलाएगा.
आख़िरकार वो दिन आया जब गांव एक शख़्स ने प्रण तोड़ दिया. चार साल बाद बल्लो उर्फ़ बलवीर गुर्जर ने श्योपुर के कराहल में 26 फरवरी, 2017 को अपने एक गैंग के साथ मिलकर एक व्यापारी के घर में डकैती डाली. जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ़्तार कर श्योपुर के जेल में डाल दिया.
गौरतलब है कि बलवीर गुर्जर की सज़ा सिर्फ़ जेल में ही ख़त्म नहीं होगी. जेल से सज़ा पूरी करने के बाद या यहां से ज़मानत पर छूटने के बाद पंचायत द्वारा सुनाई गई सज़ा को भी भुग़तना पड़ेगा. पंचायत की सज़ा ये है कि बल्लो को मंदिर का निर्माण कराना होगा या फिर कथा के साथ कन्या भोज़ से लेकर पूरे गांव के लोगों को भोज़ कराना होगा.
इस सज़ा के पीछे का सच
करीब चार पहले लक्ष्मणगढ़ गांव के मौज़ूदा सरपंच सूर्य सिंह गुर्जर ने पंचों के साथ चोरी, लूट और डकैती जैसी वारदातों को नहीं करने का प्रण दिलाया था. प्रण गांव में स्थित गिरगांव महादेव मंदिर में भगवान को साक्षी मानकर लिया गया था. दरअसल, गांव के घोड़ा गुर्जर, पतरिया गुर्जर, करवा गुर्जर व अजीत गुर्जर अपने साथियों के साथ मिलकर लूट-पाट की घटनाओं को अंजाम देते थे. इसी कारण आए दिन गांव में पुलिस का छापा पड़ने लगा. वहीं गांव के अन्य युवा भी इन वारदातों में फंसते जा रहे थे. यही वजह थी कि गांव के साथ-साथ समाज की भी बदनामी होने लगी और वो दिन आ गया कि गांव पुलिस की हिट लिस्ट में आ गया. बल्लो 16 साल की उम्र से ही लूट-पाट जैसी वारदातों में शामिल हो गया था, जिसके कारण सूर्य सिंह गुर्जर को गांव की बदनामी के अलावा बेकसूर युवाओं की फ़िक्र होने लगी और उन्होंने गांव के सभी ग्रामीणों को मंदिर पर ले जाकर शपथ दिलवा दी.
मामले पर क्या कहता है पुलिस रिकॉर्ड ?
पुलिस रिकॉर्ड में पूरा गांव अपराधियों से भरा है. बल्लो को गिरफ़्तार करने वाले श्योपुर के डीएसपी देवेन्द्र कुशवाह का कहना है कि ‘लक्ष्मणगढ़ गांव में अपराधी प्रवृत्ति के लोग बहुत ज़्यादा हैं. उधर महाराजपुरा थाने में ही लक्ष्मणगढ़ के युवकों पर 100 से ज़्यादा अपराध दर्ज हैं, इनमें लूट, डकैती और चोरी के अपराध सबसे ज़्यादा है.
वहीं इस मामले पर महाराजपुर के थाना प्रभारी अजीत चौहान ने बताया कि ‘पूरे गांव ने महादेव मंदिर पर शपथ ली थी, इसका हमें भी पता है, लेकिन गांव में अपराधी प्रवृत्ति के लोग इतने है कि, वह इस शपथ को नहीं मान रहे. कई युवक अभी भी अवैध शराब से लेकर अन्य अपराध कर रहे हैं.’
वारदात के आरोपी बल्लो उर्फ बलवीर गुर्जर ने कहा कि ‘महादेव मंदिर पर लूट, चोरी, डकैती जैसे अपराध न करने की सौगंध ली गई थी. इसमें शराब बेचना या रेत का कारोबार करना शामिल नहीं था. इसलिए अवैध शराब या अवैध धंधे करने वालों के लिए पंचायत कोई दंड नहीं लगाती. चार साल बाद सिर्फ़ मैं ही ऐसा हूं, जिसने बहकावे में आकर डकैती का अपराध कर डाला. जेल से छूटने के बाद सबसे पहले मुझे पंचायत में जाना पड़ेगा, जो जुर्माना पंच तय करेंगे, वह मुझे देना होगा.’