एक इंसान के लिए उसकी ज़िन्दगी में रंगों का काफ़ी ज़्यादा महत्त्व होता है. इंसानों को अलग-अलग लुभावने रंग बर्बस ही अपनी और खींचते हैं. हमारी दुनिया की हर संस्कृति में रंगों का विशेष स्थान रहा है. वैसे भी आपने सुना ही होगा, ‘हर रंग कुछ कहता है.’

जब इंसानों की ज़िन्दगी में रंग इस कदर घुले हुए हैं, तो हमारे धर्म भी इससे कब तक दूर रह पाते. दुनिया के सभी धर्मों ने भी अपने लिए कुछ ख़ास रंगों को चुन रखा है, जिनके साथ वह अपनी आराधना को ज़्यादा सार्थक समझते हैं. अब जब हर रंग कुछ कहता ही है तो हम भी आपको आज बता देते हैं दुनिया के प्रमुख धर्मों के रंग आपसे क्या कहने की कोशिश करते हैं.
1. हिन्दू धर्म

हिन्दू धर्म में भगवा (केसरिया) रंग को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है. इसके साथ ही इस रंग को उर्ज़ा से भी जोड़ कर देखा जाता है, क्योंकि इस रंग का सम्बंध हिन्दुओं के सबसे पवित्र देवता अग्नि से माना गया है. हमारे जीवन के लिए सबसे ज़रुरी है जो बीत गया, उसे भूल जाना क्योंकि सब कुछ नश्वर है. इसलिए मन के विकारों को भी हमें त्याग देना चाहिए. इस रंग को मन के विकारों का नाश करने वाला भी माना जाता है. इसके साथ हिन्दू धर्म में अलग-अलग देवी-देवताओं की आराधना के लिए आलग-अलग रंगों को शुभ माना गया है. ख़ासकर पीले रंग का भी इस धर्म में विशेष स्थान है.
2. इस्लाम धर्म

इस्लाम में ख़ासकर देखा जाये शुरुआती तौर पर रंगों को लेकर कोई धार्मिक रूप से ख़ास रुझान नहीं था. कालान्तर में हरा रंग इस धर्म के नजदीक आता चला गया. ख़ासकर मज़ारों पर चढ़ाने वाली चादरें हरे रंग में रंगी नज़र आने लगी. इस रंग को शान्ति, खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक मान कर अपनाया गया. इसके अलावा इस्लाम में काले रंग का भी अनेक जगह इस्तेमाल होता है.
3. सिख धर्म

इस धर्म का उद्भव भारत में होने के कारण इस पर भारतीय संस्कृति का खासा प्रभाव पड़ा. इस वजह से इस धर्म में भी केसरिया रंग का काफ़ी ज़्यादा महत्त्व है. इस रंग को वीरता, साहस, और बलिदान का प्रतीक माना जाता है. वैसे भी सिखों की वीरता के किस्से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं.
4. ईसाई धर्म

यह दुनिया का सबसे ज़्यादा विस्तार के साथ पनपा धर्म है. इसकी व्यावहारिकता ने इसके फैलाव में काफ़ी सहायता प्रदान की. इस धर्म में सबसे ज़्यादा महत्त्व सफेद रंग को दिया जाता है. यहां इसे शान्ति और सरलता के रूप में देखा जाता है.
5. बौद्ध धर्म

इस धर्म की भी शुरूआती नींव भारतीय उपमहाद्वीप के क्षेत्रों में ही पड़ी थी. इस वजह से यह भी सनातनी व्यवस्थाओं के प्रभाव से अपने आप को अछुता नहीं रख पाया. इस धर्म में भी केसरिया को काफ़ी अधिक महत्त्व दिया जाता है. इस धर्म में ध्यान और योग की काफ़ी महता है. सभी तपस्वी केसरिया वस्त्रों को ही धारण करते हैं. इस धर्म में इस रंग को ज्ञान के द्वारा स्वयं का साक्षात्कार करने के प्रतीक के रूप में माना जाता है. इसके साथ ही इसे यहां उत्पत्ति और विलय के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है.

इंसान ने धर्म को भी अनेक रंगों से रंगा है. यहां हमें इन सभी रंगों को पृथकता की नज़र से कभी नहीं देखना चाहिए. बल्कि हमें समझना चाहिए कि जिस तरह से इन्द्रधनुष के सभी रंग मिलकर उसे सम्पूर्णता प्रदान करते हैं. उसी तर्ज़ पर सभी धर्मों के रंग मिलकर इस दुनिया को रंगीन बनाते हैं. अब जाइये और आप भी चारों तरफ़ प्यार और स्नेह से इस दुनिया को और रंगीन बनाइये.