दुनिया में आस्था और श्रद्धा के प्रतीक कई धर्मों में अलग-अलग होते हैं. कोई मूर्तिपूजा के सहारे अपने ईश्वर को याद करता है, तो कोई आध्यात्मिक जीवन में उस एक संपूर्ण परमात्मा को खोजने की कोशिश करता है. दुनिया में तमाम तरह के भगवान मौजूद हैं, लेकिन हर किसी की ज़िंदगी में एक वो ईश्वर होता है, जिससे लोग भावनात्मक रूप से जुड़ाव महसूस करते हैं, फिर वो चाहे किसी भी धर्म से क्यों न हो.
दिलचस्प ये है कि दुनिया के कई ईश्वर होते भले ही अलग-अलग धर्मों से हों, लेकिन इनमें से कुछ ईश्वरों का जीवन-मूल्य कुछ हद तक एक समान ही है. श्रीराम के भक्त हनुमान और जीसस के दूत माइकल एंजल भी दो ऐसे किरदार हैं, जिनका जीवन-आचरण काफ़ी हद तक एक दूसरे से मिलता-जुलता था.
1. परिस्थितियों के साथ सांमजस्य बिठाना

सूक्ष्म रूप धरि सियहीं दिखावा, विकट रूप धरि लंक जरावा,
भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचंद्र के काज संवारे
हनुमान परिस्थितियों के हिसाब से ढल जाने में माहिर थे. सीता को ढूंढ़ने जब वो एक अंजान जंगल में पहुंचे तो सुरक्षा को देखते हुए उन्होंने अपना शरीर बेहद छोटा कर लिया था. लक्ष्मण के लिए जब वे संजीवनी बूटी लेने पहुंचे, तो समय की कमी भांपते हुए उन्होंने विशालकाय होकर पूरे पहाड़ को ही उठा लिया था. हनुमान ने सीता को मिलने पर उन्हें विश्वास दिला दिया था कि उन्हें श्रीराम ने ही भेजा है. इसके अलावा सुग्रीव और श्रीराम के बीच बातचीत का ज़रिया भी हनुमान ही थे. जाहिर है, हनुमान स्थिति को बेहतरीन तरीके से भांपने की क्षमता रखते थे.

इसके अलावा हनुमान जी ने समुद्र पार करते समय सुरसा से लड़ने में समय भी नहीं गंवाया था. सुरसा हनुमान जी को खाना चाहती थी. उस समय हनुमान जी ने अपनी चतुराई से पहले अपने शरीर का आकार बढ़ाया और अचानक छोटा रूप कर सुरसा को छकाते हुए वे बच निकले थे.

जीसस के दूत माइकल एंजेल का काम हम तक ईशु का संदेश पहुंचाना होता है. कई बार ये संदेश कठोर भी हो सकता है. परिस्थितियों को भांपते हुए संदेश पहुंचाने की क्षमता ही उन्हें एक Arch Angel बनाती है.
2. नेतृत्व क्षमता

समुद्र में पुल बनाते वक़्त अपेक्षित कमज़ोर वानर सेना से भी कार्य निकलवाना उनकी संगठनात्मक योग्यता की बानगी भर है. राम-रावण युद्ध के समय उन्होंने पूरी वानरसेना का नेतृत्व संचालन बड़ी बहादुरी से किया.

बाइबल के हिसाब से भी माइकल एंजेल, शैतान के खिलाफ़ अपनी सेना का नेतृत्व बखूबी अंजाम देते हैं. उनकी नेतृत्व क्षमता भी एक कारण था जिसकी वजह से उन्हें Arch Angel कहा जाता था.
3. समर्पण

हनुमान जी एक आदर्श ब्रह्मचारी थे. भगवान राम के प्रति निष्ठा और इंद्रियों को काबू में कर पाने की क्षमता हमें ‘समर्पण’ की शिक्षा देती है. इसी के आधार पर हनुमान जी ने अष्ट सिद्धियों और सभी नौ निधियों की प्राप्ति भी की थी.

जीसस के मेसेंजर माइकल एंजेल भी अपने काम के प्रति बेहद समर्पित हैं. वे सुनिश्चित करते हैं कि ईशु के भक्तों को परेशानियां न झेलनी पड़ें. उनके समर्पण को देखते हुए ही वे बाइबल के एकमात्र ऐसे एंजल है, जिन्हें Arch angel का खिताब मिला है.
4. शक्तियों के बावजूद नहीं किया कभी गुरूर

हनुमान के बारे में कहा जाता है कि वे रावण से भी ज़्यादा शक्तिशाली थे.

लेकिन उन्हें इसका कोई गुमान नहीं था, बल्कि उन्होंने अपनी शक्तियों को धर्म पालन में लगाया था. अपनी इंद्रियों पर अद्भुत कंट्रोल करने की क्षमता ही हनुमान को असाधारण बनाती है.

माइकल भी भले ही Archangel थे, लेकिन अपनी अलौकिक ताकतों का शक्ति-प्रदर्शन उन्होंने कभी नहीं किया. Angels का एक तरीके का सेनापति होने के बावजूद उनमें रत्ती भर भी अहंकार नहीं था.
5. निष्ठा

बाली के साथ कलह होने पर केवल चार वानर ही सुग्रीव के साथ थे. हनुमान की निष्ठा का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि इन चार वानरों में हनुमान भी एक थे. इसके अलावा हनुमान ने अपना पूरा जीवन श्रीराम की सेवा में समर्पित कर दिया था. उनके लिए श्रीराम से बढ़ कर कुछ नहीं था.

एंजल माइकल को जीसस का दूत कहा जाता है और वे ईशु मसीह के अनुयायियों की सुरक्षा निश्चित करते थे. कहा जाता है कि वे जीसस को मानने वाले लोगों के प्रति हमेशा निष्ठावान रहते थे.
6. निडरता

हनुमान अपनी शारीरिक शक्ति के बलबूते पर कई बार मुश्किल परिस्थितियों से बच निकलने में सफ़ल रहे हैं. हनुमान न केवल शारीरिक रूप से बलशाली थे, बल्कि मानसिक तौर पर भी मज़बूत थे.

एंजेल गेब्रियल को जब किंग ऑफ पर्शिया के साथ छोड़ दिया गया था, तो उन्हें काफी परेशानियां झेलनी पड़ी थीं. एंजेल ग्रेबियल के मुताबिक, उस संकट भरे समय में केवल माइकल ही थे जो उनके साथ मिल कर मुसीबतों के खिलाफ़ खड़े थे. वे शैतान की सेना का भी मुंह तोड़ जवाब देते हैं. साफ़ है, एंजेल माइकल निडर व्यक्तित्व रखते हैं.
7. लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित

लंका पहुंचते वक्त हनुमान को रास्ते में कई बाधाओं का सामना करना पड़ा था, लेकिन उनका ध्यान अपने लक्ष्य की ओर केंद्रित था. वो बिना किसी भटकाव में आए सीता तक पहुंचने में सफ़ल रहे थे.
माइकल एंजेल के बारे में भी कहा जाता है कि उनका अपने मस्तिष्क पर ज़बरदस्त वर्चस्व था. यीशु में विश्वास करने वाले लोगों को वे ध्यान केंद्रित करने में भी मदद करते थे. उन्हें आत्मविश्वास और प्रगति की राह पर ले जाने वाले एंजल में शुमार किया जाता है.