हम और हमारा हज़ारों साल पुराना इतिहास. पिछले हज़ारों साल में कई सभ्यताएं आईं, कई गईं. किसी ने शिल्पकारी में अपना नाम बनाया, तो किसी ने साहित्य में. कोई अपने राज के लिए जाना गया, तो कोई अपनी शिक्षा के लिए. हमें इतिहास का ज्ञान किताबों और पुरातत्त्व विभाग की खोज से ही मिला है. लेकिन हज़ारों साल के इतिहास में कई रहस्य भी छिपे हैं, जिसका कहीं ज़िक्र नहीं है, वो बस मानों प्रकृति ने हमारे लिए पहेली बना कर छोड़ दिया हो.

ऐसी ही एक पहेली है दक्षिण भारत के डूबे हुए महाबलीपुरम का मंदिर. महाबलीपुरम, तमिलनाडु के ज़िले कांचीपुरम में मौजूद है. ये मंदिर अपनी बेहतरीन वास्तु-काला के​ लिए जाना जाता है और अब UNESCO द्वारा विश्व धरोहर स्मारक घोषित हो चुका है.  इतिहासकारों के मुताबिक, महाबलीपुरम पल्लव डायनेस्टी में भी मौजूद था. पल्लव डायनेस्टी ने दक्षिण भारत में तीसरी सदी से नौवीं सदी तक राज किया था.

पल्लव डायनेस्टी के दौरान कलाकारी के कई नमूने सामने आए थे. इसी में से कलाकारी का अद्भुत उदाहरण हैं आठवीं सदी के आस-पास बने सात पगोडा. ये सात पगोडा असल में मंदिर थे, जिनकी शिल्पकारी अद्भुत स्तर की थी. इन सात मंदिरों में से अब सिर्फ़ एक ही मौजूद है और बाकी छह समुद्र में डूब चुके हैं .

इसे अंग्रेज़ी में Shore Temple यानि तटीय मंदिर कहते हैं. तटीय मंदिर में तीन मंदिर और बने हैं, जिसमें एक बड़ा और दो छोटे हैं. ये सातों मंदिर राजासिम्हा पल्लव ने बनवाये थे. ये उस ज़माने का पहला मंदिर था, जो पत्थर जोड़ कर बना था, न कि चट्टानें काट कर. इनमें से एक भगवान शिव और दूसरा विषणु का मंदिर है. ये पांच मंज़िला मंदिर, पिरामिड के आकार का है जिसकी लंबाई 60 फीट और ज़मीनी चौड़ाई 50 फीट है. इस मंदिर की मौजूदगी एक सवाल ये भी उठती है कि आखिर बाकी छह मंदिर कैसे डूबे.

कैसे पता चला बाकी छह मंदिरों के बारे में.

अप्रेल 2002 में Great Britain’s Scientific Exploration Society (SES) और India’s National Institute Of Oceanography (NIO) दोनों द्वारा चले एक अभियान में समुद्र की गहराई में जा कर रिसर्च हुई .

 टीम को समुद्र की गहराई में दीवार की नींव, कई खंबे, सीड़ियां और कुछ पत्थरों के ब्लॉक्स मिले थे. उसके बाद 2004 में आई सुनामी में समुद्र करीब 500 मीटर पीछे गया था. लोगों के मुताबिक उस वक्त एक लम्बी चट्टान की दीवार दिखी थी. पानी के दोबारा वापस आने से वो फिर छिप गई. लेकिन सुनामी से सदियों पुरानी कई चीज़ें सामने आ गईं, जैसे महाबलीपुरम के तट पर पत्थर का शेर मिला और आधी बनी हाथी की मूर्ती. ये सब उन डूबे हुए मंदिरों के ही माने जा रहे हैं.

इस घटना के बाद से भारतीय पुरातत्व सोसायटी ने नेवी और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ मिल कर उत्खनन शुरु कर दी है. पुरातत्व विभाग ने दावा किया है कि सदियों पहले इस तट पर कई मंदिर हुआ करते थे. विभाग ने कई डूबे हुए मंदिरों को खोजा.

अगर ये मंदिरों की बात सच है तो आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि सदियों पहले कितनी भयंकर बाढ़ आई होगी जिससे 60 फीट ऊंचे मंदिर 7 से 8 फीट पानी के नीचे डूब गए.