शहरों को स्मार्ट बनाने के लिए हमारी सरकार करोड़ों ख़र्च कर रही हैं. वो कितने स्मार्ट हुए, वो आप अपने विवेक और मौजूद आंकड़ों से तय कर सकते हैं. फ़िलहाल पंजाब के मोगा ज़िले के रनसिंह कलन गांव के लोगों ने अपने गांव को स्मार्ट बनाने के लिए सरकार का इंताज़ार नहीं किया. 

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इस गांव में आपको कहीं कूड़ा, सड़क पर बहता पानी, सड़क पर अंधेरा देखने को नहीं मिलेगा. गांव में 5 करोड़ का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगवाया गया है, इसका 80 प्रतिशत ख़र्चा गांव वालों ने ही चंदा कर के उठाया है. 

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डिस्ट्रिक्ट हेडक्वार्टर से 43किलोमिटर दूर मौजूद इस गांव में रास्तों के किनारे ख़ूशबूदार फूल लगाए गए हैं. सभी नाले ढंके हुए हैं. वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट हर दिन चार लाख पानी दोबारा इस्तेमाल करने लायक बनाता है. 

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कुछ सालों पहले पर्यावरण के लिए गांव में 3000 वृक्षारोपण किए गए थे, जो आज पेड़ की शक्ल ले चुके हैं. यहां एक अनोखी प्रथा भी है, मेहमान को जब पीने के लिए पानी दिया जाता है और वो बच जाता है तो उसे पौधे में डाल दिया जाता है. 

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गांव वालों ने चार एकड़ में फ़ैली झील को साफ़ कर उसे सीवरेज सिस्टम से जोड़ दिया गया और सभी लेन को पक्का बना दिया गया है. झील के किनारे-किनारे पंजाब के इतिहास को दर्शाने वाले चित्र बनाए गए हैं. इन सभी कार्य में सरकार की भागीदारी मात्र 20प्रतिशत है. 

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गांव वाले अब अपने प्राइमरी स्कूल को स्मार्ट बनाने की तैयारी में लगे हुए. इस हौसले को देखने के बाद कहा जा सकता है कि ये काम भी जल्द ही पूर्ण हो जाएगा.