पहली बारिश की महक, किताब के पन्नों की ख़ुशबू, कटी हुए घास की ताज़गी… नहीं नहीं, कटी हुई ‘घास का डर’.
लोगों ने ताज़ी, कटी घास की महक पर कविताएं लिखी हैं. बाज़ार में इस महक के Freshner मिलते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि दरअसल ये ख़ुशबू घास के डर की होती है?
You know that smell of fresh cut grass?
— James Wong (@Botanygeek) June 13, 2019
It’s created as a chemical distress call to alert neighbouring plants to prepare for imminent herbivore attack.
It’s the smell of plant fear… pic.twitter.com/uHvFF9dNS8
James Wong नाम के Ethnobotanist (यानि पेड़-पौधों के डॉक्टर) ने ट्विटर पर पूरा मामला समझाया है. वो लिखते हैं कि जब घास काटने की शुरुआत होती है, तो घास एक कैमिकल का रिसाव करती है, जो आस-पड़ोस की घास को ख़तरे की सूचना देता है.
What are plants meant to do with this info?
— James Wong (@Botanygeek) June 13, 2019
Well, lots of things. They can switch on the hormones that activate defence systems. Shut down leaf growth, directing energies to safe underground storage organs. They can make their leaves tougher, sharper and more bitter & toxic. pic.twitter.com/ceWsB64zDf
लोगों ने फिर James Wong से पूछा कि बाकी की घास इस महक से करती क्या है? अगले ट्वीट में इसका जवाब भी दिया गया.
“बाकी घास अपने अंदर डिफ़ेन्स हार्मोन्स एक्टिव कर देती है, जो पत्तों के विकास को रोक देता है. इससे घास एनर्जी को ज़मीन के अंदर स्टोर कर लेती है और अपनी पत्तियों को सख़्त, तेज़, कसैला और ज़हरीला बना लेती है. ”
-James Wong
घास का ये तरीका बिल्कुल कीड़े जैसा है ही, जैसे जब कीड़ों के ऊपर हमला होता है, तो वो भी बाकियों को बता देते हैं.
Another reason to delay cutting the grass, excellent! 👏👏👏😂
— Susan (@suzimethinks) June 13, 2019
Not much grass can do against a mechanical attack though!
— BIS (@BISBrecon1) June 13, 2019
turns out the vegetarians were the worst amongst us
— Potoo Fiend (@Bobby_Corwin) June 13, 2019
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इस ज्ञान को पा कर लोग हक्का बक्का रह गए. किसी ने शायद ही कभी सोचा होगा कि अच्छी लगने वाली घास की स्मेल असल मं उसके डर की है.
So next time you think plants don’t *do* anything, consider this:
— James Wong (@Botanygeek) June 13, 2019
Plants are constantly collecting & processing info from the world around them, using this to modify their complex behaviour.
They are constantly sharing this with other species too.
They just aren’t telling you. pic.twitter.com/iX11AZWvLy
आखिर में James ने एक और धांसू डायलॉग दे डाला, ‘अगली बार जब आपके लगे कि पौधे कुछ नहीं करते, तब इसके बारे में सोचिएग. पौधे अपने पास की दुनिया से सूचना इकट्ठा कर उसके इस्तेमाल से ख़ुद के बर्ताव को बेहतर बनाते हैं और बाकी जीवों के साथ भी साझा करते हैं… बस हमें नहीं बताते.’