साल था 1983. त्रिपुरा के एक छोटे से गांव Herma में लोगों के जीवन में जलता हुआ बल्ब आया था, वो भी सूरज की ताकत से जलने वाला बल्ब. इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी त्रिपुरा के मख्यमंत्री और नृपेन चक्रोवर्ती और योजना आयोग के डिप्टी चेयरमैन मनमोहन सिंह भी थे. 

ये अपने आप में भारत की पहली परियोजना थी, इससे भारत में सौर्य ऊर्जा द्वारा बिजली बनाने की क्रांति शुरू होती है और इसका पूरा श्रेय कोलकाता के SP Gon Chaudhuri को जाता है. मनमोहन सिंह तब इस युवा बंगाली वैज्ञानिक के काम से काफ़ी प्रभावित हुए थे. 

SP Gon Chaudhuri की एक पहचान कोलकाता के Solar Man के तौर पर भी है. अक्षय ऊर्जा में इनका करियर 35 साल लंबा है, इस कार्य के लिए उन्हें हाल में कनाडा में एक प्रतिष्ठित सम्मान Mission Innovation Champion Award In Vancouver दिया गया. 

S P Gon Chaudhuri

SP Gon Chaudhuri की एक पहचान कोलकाता के Solar Man के तौर पर भी है. अक्षय ऊर्जा में इनका करियर 35 साल लंबा है, इस कार्य के लिए उन्हें हाल में कनाडा में एक प्रतिष्ठित सम्मान Mission Innovation Champion Award In Vancouver दिया गया. 

Gon Chaudhuri को सोलर पावर से चलने वाला भारत का पहला Megawatt-Scale-Grid और पहला तैरता सोलर पावर प्लांट तैयार करने का श्रेय भी जाता है. The Better India ने SP Gon Chaudhuri से बात कर उनकी कहानी, आम लोगों तक पहुंचाने की बेहतरीन कोशिश की है. 

S P Gon Chaudhuri

SP Gon Chaudhuri ने जाधवपुर विश्वविद्याल से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, बाद में उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से डॉक्ट्रेट ऑफ़ साइंस भी मिला. 

नब्बे के दशक तक सुंदरबन के पहाड़ी इलाकों में लगभग 50 लाख लोग रौशनी के लिए मिट्टी के तेल पर निर्भर रहते थे. साल 1994 में Gon Chaudhuri ने कमलपुर के घरों में मिनी-ग्रिड की मदद से बिजली लेकर आए, इससे लोगों को कुछ समय के लिए बिजली की सुविधा मिल जाती थी. 

सरकार की आर्थिक मदद से ऐसे मिनी-ग्रिड बंगाल के अलावा राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड में भी शुरू किए गए. हालांकि उनके काम की बहुत आलोचना भी हुई. कहा जाता था कि भारत एक ग़रीब देश है और सौर्य ऊर्जा महंगा है. लेकिन ये वैज्ञानिक डटा रहा और सरकार भी इनके साथ खड़ी रही. 

आगे चल कर SP Gon Chaudhuri ने ऐसे कई यंत्र बनाए जो सौर्य ऊर्जा पर काम करते हैं और जिनका आम जनता से सीधा सरोकार है. 

S P Gon Chaudhuri

1.Micro-Solar Dome 

ये छोटा सा यंत्र बड़े काम का है. इसे कहीं भी किसी प्रकारे की छत पर लगाया जा सकता है. इसका पेटेंट Gon Chaudhuri के पास है. इसकी मदद से झुग्गियों में दिनभर और सुर्यास्त होने के चार घंटे बाद तक बिजली पहुंचाई जा सकती है. इसमें USB Port भी लगा होता है, जिससे मोबाईल चार्ज किया जा सकता है. 

जब फ़ानी चक्रवात ओडिशा को बुरी तरह प्रभावित कर गया था, तब कई इलाकों में फ़ोन चार्ज करने और ज़रूरी कामों के लिए Micro-Solar Dome का इस्तेमाल किया गया था. ये बाजार में 1600 रुपये और सब्सिडी पर 720 रुपये में मिल जाता है. 

2. Solar Water Purifier

Gon Chaudhuri का दावा है कि ये अपने किस्म का पहला यंत्र है. यह UV Lights के माध्यम से पानी को साफ़ करता है. इसके इस्तेमाल से एक महीने में 30 यूनिट बिजली बचाई जा सकती है. इसे चलाने के लिए ऊर्जा के अन्य स्रोत का इस्तेमाल नहीं करना पड़ता. 

Solar Water Purifier के सबसे छोटे ईकाई की कीमत 40,000 रुपये हैं, ये एक दिन में 100 बच्चों के लिए पानी साफ़ कर सकता है. 

3. जनता सोलर ATM

इसे ग्रामीण भारत की ज़रूरतों को ध्यान में रख कर बनाया गया है, लेकिन रिज़र्व बैंक से मंज़ूरी नहीं मिलने की वजह से इसे फ़िलहाल कुछ ऑफ़िसों में इस्तेमाल किया जाता है. 

ये भी पूरी तरह सौर्य ऊर्जा से संचालित होता है. चूंकी गांव के लोग ज्यादा पढ़े नहीं होते और उन्हें संख्याओं को याद करने में परेशानी होती है, इसलिए ये Biometrics द्वारा काम करेगा. 

4. सोलर पंप

स्वच्छ भारत अभियान के तहत कई शौचालय बनाए गए. लेकिन उनमें से कई पानी की कमी की वजह से बंद भी हो गए. इस चीज़ को ध्यान में रख कर उन्होंने इस छोटे से पंप को बनाया जो नज़दीकी जलस्रोत से पानी को शौचालय तक पहुंचा सके. 

त्रिपुरा के कई स्कूलों में इसे काम में लाया जा रहा है, जिससे लगभग 30,000 छात्रों को फ़ायदा मिल रहा है. 

5. Solar Power Storage

नवंबर, 2018 में उन्होंने अपनी लेटेस्ट मशीन तैयार की है. ये एक ऐसी मशीन है, जो सोलर पावर को 24 घंटे के लिए में पानी में संचित कर सकता है. फ़िलहाल सौर्य ऊर्जा का छोटा सा हिस्सा बैटरी में संचित हो पाता है, वो भी कुछ देर के लिए. लेकिन पानी में इसे 24 घंटे तक के बचा कर रखा जा सकता है और ये बैटरी से पांच गुना सस्ता भी है. 

विश्व का भविष्य अक्षय ऊर्जा पर ही टिका हुआ है, सभी देश इस ओर गंभीरता से काम कर रहे हैं. पेरिस कनवेंशन के अनुसार हर देश को साल 2030 तक Carbon Emission 33 परसेंट तक कम करना है. ऐसे में हमें और भी SP Gon Chaudhuri जैसे लोगों की ज़रूरत है.