हमारे देश में गाय को मां के समान पूजा जाता है. इस पशु को हिन्दू धर्म में बेहद ऊंचा दर्जा दिया गया है. बहुत से लोग इस पशु के मूत्र और गोबर को सप्रेम ग्रहण करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि गौमूत्र और गोबर में बहुत से बीमारियों को ठीक करने की क्षमता होती है.

अन्य पशुओं जैसे कि कुत्ते, बिल्ली और यहां तक की इंसानों से भी गाय की प्रवृत्तियां काफ़ी ज़्यादा मिलती हैं. कुछ गाय शर्मीली मिजाज़ होती हैं, तो कुछ धमा-चौकड़ी करने वाली. कुछ दोस्ताना मिजाज़ की, तो कुछ भाव खाने वाली. ये भाव ठीक वैसे ही हैं, जैसे इंसानों के भाव.

एक रिसर्च के अनुसार, गाय एक बुद्धिमान जानवर है और कुछ घटनाओं को लंबे समय तक याद रखने की क्षमता रखती है. Animal Behaviorists (जानवरों के व्यवहार को करीब से जानने वाले) ने पाया है कि गाय एक दूसरे से दोस्ती करने के साथ ही दुश्मनी भी निभाती हैं. उन्हें ये याद रहता है कि किस गाय ने उनके साथ बुरा व्यवहार किया था और वक़्त आने पर वो उनसे बदला भी लेती ही होंगी.
ख़ुद चुनती हैं दल का नेता

गायों का झुंड, लोमड़ियों के झुंड के जैसा ही होता है. 1 गाय 100 अन्य गायों के चेहरे याद रख सकती है. गाय भी अपने झुंड का लीडर चुनती हैं. बुद्धिमानी, आत्मविश्वास, अनुभव आदि पैमानों के आधार पर दल का नेता चुना जाता है. लीडर चुनने में आकार और शक्ति कोई मायने नहीं रखती.
दिमाग़ से तेज़

शोध से पता चला है कि गायों को Cause And Effect Relationship का ज्ञान भी होता है. आपने गाय को Hand Pump चलाकर पानी पीते वीडियो में देखा होगा. शोधार्थियों ने ये भी पता लगाया है कि गाय किसी समस्या का समाधान भी निकाल सकती हैं. इंसानों के तरह ही वे भी किसी भी समस्या का समाधान निकालने के लिए उत्सुक रहती हैं और हल निकल जाने के बाद खुशी अनुभव करती हैं.
मरना नहीं चाहती गाय

औरों की तरह ही गाय भी मरना नहीं चाहती. उन्हें भी ज़िन्दगी की क़ीमत पता होती है. कुछ गाय तो जीने के लिए हर हद पार देती हैं.
Suzie नामक एक गाय को Venezuela में, बूचड़खाना ले जाने के लिए ट्रक पर लादा जा रहा था, ख़तरे का एहसास होते ही वो कूद कर भाग गई. गर्भवती होते हुए भी उसने पास की नदी को पार किया. शायद गर्भवती होने के कारण ही उसने ऐसा किया था. कई दिनों तक Suzie ने बूचड़खाना के कर्मचारियों को चकमा दिया. कुछ दिनों बाद उसे PETA के Volunteers ने बचाया और Sanctuary भेज दिया.
Massachusetts का भी एक मज़ेदार किस्सा है. यहां के एक बूचड़खाने के कर्मचारियों ने थोड़ी देर के लिए काम से छुट्टी ली थी. मौका देखकर एक गाय, Emily ने 5 फ़ीट ऊंची बाउंडरी के पार छलांग लगा दी और पास के जंगल में भाग गई. कई दिनों तक उसने बर्फ़ीले मौसम और ठंड का सामना किया. बूचड़खाने वाले उसे पुआल का लालच देकर भी नहीं पकड़ पाए. कुछ दिनों बाद उसे पास के Sanctuary वालों ने बचाया. बूचड़खाने पर दबाव बनाया गया कि वो 1 डॉलर में गाय को Sanctuary वालों को बेच दें. Emily 2004 तक उसी Sanctuary में रही. 2004 में उसकी Cancer से मौत हो गई.
अपने प्रियजनों के बिछड़ने पर होती हैं दुखी

अपनों की मृत्यु पर गाय दुखी भी होती हैं. अगर वो किसी से प्यार करने लगती हैं तो उनके बिछड़ने पर आंसू भी बहाती हैं. गाय और बछड़े का रिश्ता खासतौर पर ज़्यादा गहरा होता है. कई बार देखा गया है कि अगर किसी गाय से उसका बछड़ा दूर कर दिया जाता है तो गाय अपने बच्चे को आवाज़ें देकर बुलाती है. ये आवाज़ें बहुत ही मार्मिक होती हैं. अकसर बछड़ों को बूचड़खानों को बेच दिया जाता है.
अप्राकृतिक परिस्थितियों में गाय का पालन-पोषण करना उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल ठीक नहीं है. भीड़-भाड़ वाले Animal Farms में गाय को पालने से उनकी Hierarchy पर दुष्प्रभाव पड़ता है. University of Saskatchewan के शोधार्थी Jon Watts ने एक शोध में पाया है कि 200 से अधिक संख्या में गाय का पालन, हानिकारक है.