1962… कोई भी भारतीय चाहकर भी ये साल और इससे जुड़ी घटना नहीं भूल सकता.
1962 यानी कि युद्ध. भारत-चीन युद्ध, जिसे Sino-Indian War भी कहा जाता है. वो युद्ध जो टल सकता था, अगर रक्षा मंत्री वी.के.मेनन लेफ्टिनेंट जनरल थोराट की युद्ध होने की आशंका वाली बात को नज़रअंदाज़ न करते.
वो युद्ध, जिसमें हमारे जवानों के पास न ढंग के हथियार थे और न ही ठीक से पहनने के लिए जूते. चीन ने हमारी धरती पर कब्ज़ा जमाने के लिए हमला किया और वो एक हद तक क़ामयाब भी हुआ. हम इसीलिए भी हारे क्योंकि हम ये मान बैठे थे कि हमारा पाकिस्तान के अलावा कोई दुश्मन नहीं है.
1962 के युद्ध की गवाही देने के लिए हमने इकट्ठा की हैं कुछ तस्वीरें, जो शोर मचा-मचाकर उठाती हैं कई सवाल-
1. भारत के लद्दाख क्षेत्र में प्लेकार्ड लिए खड़े दो बच्चे, जिन पर लिखा हुआ कि वो युद्ध में भारत और नेहरू के साथ हैं.
2. इंडियन होम गार्ड्स तेजपुर में ट्रेनिंग करते हुए.
3. इंडियन होम गार्ड्स की महिला सदस्य
4. भारत-चीन युद्ध के दौरान शरणार्थी
5. असम राइफ़ल्स के जवानों की पत्नियां और परिवार के सदस्य
6. मिलिट्री ट्रेनिंग लेते भारतीय सैनिक
7. ऊंचे पहाड़ों पर ट्रक को रस्सियों से खींचते भारतीय सैनिक
8. खच्चरों पर ले जाए जाते थे हथियार
9. असम की पहाड़ियों में चीन के खिलाफ़ हथियारों का इस्तेमाल करते भारतीय सैनिक
10. चीन से युद्ध से पहले ट्रेनिंग लेते भारतीय सैनिक
11. भारत और चीन के बीच एक माउंटेन पास से हथियार ले जाते खच्चर
12. चीन और भारत के बीच बिगड़ते हालातों के बावजूद यहां भारतीय और चीनी सैनिक निश्चिंत नज़र आ रहे हैं. दोनों के बीच जो पत्थर है, वो है भारत चीन का बॉर्डर
13. NEFA पर नेहरू जी और रक्षा मंत्री वाई.बी.चवन सैनिकों से मिलते हुए
14. ब्लैक एंड वाइट फ़ोटो में भी Pangong Tso झील की ख़ूबसूरती साफ़ देखी जा सकती है, झील के किनारे चलते भारतीय सैनिक
15. IAF Dakota से गिराए जा रहे हथियार और अन्य सामग्रियां
16. वलांग सेक्टर में लोहित नदी को सिर्फ़ एक रस्सी के सहारे पार करते भारतीय सैनिक.
17. युद्ध के दौरान कुछ भारतीय सैनिक
18. असम के Charduar में सेना के अफ़सरों से मिलते तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू
19. पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू असम के Charduar में जवानों से मिलते हुए
20. IAF Dakota से गिराए गए हथियारों और अन्य सामान को उठाकर ले जाते भारतीय सैनिक
21. संकरे, कठिन पहाड़ी रास्तों से खाने-पीने का सामान और हथियार ले जाते भारतीय सैनिक
22. गुरखा यूनिट के जवान तुल बहादुर, आगे की चौकी तक ख़बर पहुंचाते हुए
23. युद्ध की सबसे आगे की चौकी, जहां से चीनीयों को साफ़ तौर पर देखा गया
24. North East Frontier Agency में एक बंकर में भारतीय सैनिक
भारत-चीन युद्ध में सैंकड़ों भारतीय सैनिक लापता हो गए और बहुतों ने सरेंडर किया. सच क्या है सिर्फ़ वो जानते हैं, जो युद्ध का हिस्सा बने. चीन के साथ हुआ 1962 का युद्ध हमारे इतिहास का एक काला पन्ना है.