विश्व मातृभाषा दिवस… यानी कि 21 फरवरी. इस तारीख को आप और हम भले ही भूल जाए, अगर कोई भूल नहीं सकता तो वो है बांग्लादेश. एक ऐसा देश, जिसने अपनी भाषा के दम पर अपना अस्तित्व बनाया.
भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद, पाकिस्तान ने उर्दू को पूर्व पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) की राष्ट्रीय भाषा घोषित कर दिया. पूर्व पाकिस्तान के ज़्यादातर लोग बांग्लाभाषी थे और वे उर्दू को राष्ट्रीय भाषा स्वीकार करने के मत में नहीं थे.
21 फरवरी, 1952 को यूनिवर्सिटी ऑफ़ ढाका में पाकिस्तान के इस निर्णय का पुरज़ोर विरोध हुआ. इसके बाद शुरू हुआ ‘मुक्ति आंदोलन’ और 1971 को बांग्लादेश आज़ाद राष्ट्र बना. 21 फरवरी को आज भी यहां राष्ट्रीय अवकाश होता है.
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सन् 2000 में यूनेस्को ने भी 21 फरवरी को अनतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की.
अपनी भाषा से लोगों को कितना लगाव हो सकता है ये बांग्लादेश से सीख सकते हैं. 2018 की इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 19,500 से ज़्यादा भाषाएं और बोलियां हैं जिन्हें मातृभाषा का दर्जा प्राप्त है.
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अब 195000 तो सीखना क्या इनके नाम भी जानना असंभव है. तो क्यों न कुछ भाषाओं में कुछ वाक्य ही सीख लें?
1. कैसे हो?

2. जन्मदिन की शुभकामनाएं

3. सावधान रहिए!

4. मुझे समझ नहीं आया
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5. इसकी क्या क़ीमत है?

6. मेरे पास खुल्ले नहीं हैं.

7. मैं तुमसे बात करना चाहती हूं

8. मेरा नाम संचिता है

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