‘औरतें इस समाज की वो कड़ी हैं, जिनके कारण हमारा समाज जुड़ा हुआ है.’

सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त, 1940 को मुंबई में हुआ. राजीव ने उस परिवार में जन्म लिया था, जिस परिवार ने इस देश की आज़ादी में अहम भूमिका निभाई थी.

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राजीव की ज़िन्दगी जितनी संघर्षपूर्ण रही हो, उनकी मृत्यु बहुत ही दर्दनाक और अकल्पनीय थी. मां इंदिरा की हत्या के बाद, राजीव देश के 7वें प्रधानमंत्री बने. राजीव ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त की थी और वहीं वे सोनिया गांधी से मिले थे. बाद में उन्होंने सोनिया गांधी से शादी भी की. भारतीय संस्कृति यूं तो सभी को गले लगाती है, इसका सुबूत है कि हम पर बहुत से विदेशी शाषकों ने राज किया. सोनिया को भारतीय राजनीति पूरी तरह नहीं अपना पाई, इसका सुबूत है कि आज भी कोई न कोई उनके विदेशी होने की बात को अपने भाषण में ज़रूर लेकर आता है.

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आज ही के दिन 1991 में राजीव गांधी की एक बम बलास्ट में हत्या कर दी गई थी. बम बलास्ट इतना तीव्र था कि राजीव के शरीर के टुकड़े भी इकट्ठा करने में डॉक्टर्स को बहुत परेशानी हुई थी.

राजीव गांधी के जीवन से जुड़े कुछ अनजाने तथ्य:

1. राजीव गांधी, महात्मा गांधी के परिवार से ताल्लुक नहीं रखते

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बहुत से लोगों को ये लगता है कि राजीव गांधी, महात्मा गांधी के परिवार से ताल्लुक रखते हैं. इंदिरा गांधी को फ़िरोज़ गांधी से प्रेम हो गया और जवाहरलाल नेहरू को इस संबंध से आपत्ति थी. पिता के नाम पर राजीव का नाम भी गांधी हो गया. नेहरू का ये मानना था कि इस Inter-Caste विवाह से इंदिरा के राजनैतिक करियर पर असर पड़ेगा.

2. राजीव ने जीवित महात्मा गांधी के चरणों में अर्पित किए थे फूल

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ये वाकया बहुत ही दिलचस्प है. राजीव ने महात्मा गांधी के चरणों में फूल चढ़ाए थे. राजीव को बताया गया कि किसी की मृत्यु के बाद ही चरणों में फूल चढ़ाते हैं. इस घटना के ठीक एक दिन बाद ही गांधी की हत्या कर दी गई.

3. भाई की मृत्यु के बाद राजीव राजनीति में शामिल हुए

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विदेश से पढ़कर लौटे राजीव को राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी. छोटे भाई संजय की मृत्यु के बाद राजीव, पहली बार अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़े और शरद यादव को भारी मतों से हराया. राजनीति में आने से पहले राजीव, इंडियन एयरलाइंस में पायलट की नौकरी करते थे और अपनी 5000 रुपयों की तनख़्वाह से ही ख़ुश थे. राजनीति से तो उन्हें जुड़ना ही था, उनके ख़ून में ही राजनीति थी.

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4. बचपन से ही अन्तर्मुखी थे राजीव

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राजीव बचपन से ही अन्तर्मुखी थे. वे बचपन में चित्रकारी थी. वहीं संजय बहिर्मुखी थे. राजनीति में भी संजय ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. दोनों भाईयों के स्वभाव का अंतर जगजाहिर था.

5. मां की मौत के दिन ही बनाया गया प्रधानमंत्री

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मां की हत्या के दिन ही राजीव को देश का प्रधानमंत्री बना दिया गया था. इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी और मां के जाने का ग़म भी, पर राजीव ने ये ग़म भी उठाया. इस घोषणा के कुछ दिनों बाद ही लोकसभा चुनाव हुए और कांग्रेस पहली बार भारी मतों से विजयी हुई.

6. जवाहर नवोदय विद्यालय स्कीम की शुरुआत की

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राजीव ने जावहर नोवदय विद्यालय स्कीम की शुरुआत की. 1986 में शुरू हुई इस स्कीम के तहत आज भी बहुत सारे बच्चे 6-12वीं तक मुफ़्त शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.

7. जब एक पेड़ गिरता है, तब उसके आस-पास की धरती हिल जाती है

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अपनी मां की मृत्यु पर राजीव ने ये शब्द कहे थे. इन शब्दों ने सिख-दंगों को हवा दी. सिख दंगों के पीड़ितों को आज भी इंसाफ़ नहीं मिला है.

8. 1987 में भी हुआ था हमला

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1991 से पहले 29 जुलाई 1987 को भी राजीव पर हमला हुआ था. Guard Of Honor के दौरान एक सिन्हाली केडेट ने उन पर अपनी राइफ़ल से हमला कर दिया, राजीव ने खुद को बचा लिया, वरना ये उनके लिए घातक साबित हो सकता था.

9. इंदिरा की मूर्ति पर माला चढ़ाने आए थे और वहीं कर दी गई हत्या

Rediff

मई 1991में राजीव श्रीपेरुमबुदुर, तमिलनाडु पहुंचे थे अपनी मां की मूर्ति पर पर हार चढ़ाने के लिए रुके थे और वहीं उनकी मृत्यु की शैया भी तैयार कर दी गई. एक काली, नाटी सी लड़की राजीव को हार पहनाकर उनके पांव छूने के लिए झुकी. उस वक़्त मंच पर राजीव के सम्मान में एक गीत गाया जा रहा था. उस लड़की का नाम, Thenmozhi Rajaratnam बताया गया, जिसने आत्मघाती हमले में राजीव की जान ली.

10. जूतों और DNA Fingerprinting से हुई थी शव की पहचान

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बम ब्लास्ट इतना तीव्र था कि राजीव के शरीर की शिनाख्त करना नामुमकिन था. Lotto के जूतों और DNA Fingerprinting से राजीव गांधी के शरीर की पहचान की गई. लालजी सिंह, जिन्हें भारत में DNA Fingerprinting का जनक कहा जाता है) ने राजीव के शरीर के अंगों का पता लगाया.

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राजीव गांधो को मरणोपरांत भारत रत्न से नवाज़ा गया. राजीव ने ही देश में IT और Telecom की क्रांति लाने के लिए Sam Petroda को अमेरिका से भारत बुलाया. आज IT सेक्टर में हमारा देश बहुत उन्नति कर रहा है और इसका श्रेय राजीव को ही जाता है.