जो परिवर्तन आप दुनिया में देखना चाहते हैं, वो परिवर्तन ख़ुद में ले आएं
कहना और लिखना आसान है, करना उतना नहीं. मगर कुछ अलग कर दिखाना नामुमकिन भी नहीं. कुछ लोग लंबी-लंबी हांकते हैं, किसी निहित स्वार्थ के लिए, जैसे हमारे नेता. ख़ैर, उनकी ज़्यादातर बातें हवा में ही रह जाती हैं और स्वार्थ की पूर्ति (कुर्सी मिलने के बाद) वो सब भूल जाते हैं.
देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो बिना किसी स्वार्थ के सिर्फ़ परोपकार में ही विश्वास करते हैं.
जानते हैं 11 ऐसे हीरोज़ के बारे में जिन्होंने समाज में बदलाव लाने की शुरुआत ख़ुद से की:
1) राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह, उर्फ़, ‘Waterman of India’ ने भारतीयों को साफ़ पानी मुहैया कराने की ज़िम्मेदारी ली. राजेंद्र ने पानी की बचत करने के लिए देसी तरीकों का इस्तेमाल करने पर ज़ोर दिया. इन देसी तरीकों में से एक तरीका है, ‘जोहड़’. ये एक चंद्राकार टैंक है, जिसमें बारिश के पानी को संरक्षित किया जाता है. 80 के दशक के बाद पानी बचाने का ये तरीका गुम सा हो गया था. इस कारण अलवर के कई गांव के कुंए सूख गए थे. राजेंद्र जी और ‘तरुण भारत संघ’ ने मिलकर अलग-अलग गांवों में 375 जोहड़ बनवाए और इनसे गर्मियों में सूख जाने वाले नदियों और तालाब में पानी भरा रहने लगा.
2015 में राजेंद्र को Stockholm Water Prize से नवाज़ा गया.
2) झाधव मोलाई पायेंग

झाधव उर्फ़, ‘फ़ॉरेस्ट मैन ऑफ़ इंडिया’. 1979 में झाधव ने माजुली आईलैंड के पास पेड़ लगाना शुरू किया. मात्र 16 वर्ष की आयु में उन्होंने 20 बांस के बीज बोए. आज उनके नाम, ‘मोलाई’ से 550 हेक्टेयर का एक जंगल तैयार हो गया है. गर्मियों का मौसम था और बाढ़ के पानी में बहकर कई सांप किनारे तक आ गये थे. गर्मी इतनी थी कि वो सभी सांप मर गये थे क्योंकि उस जगह पर एक भी पेड़ नहीं था. 16 वर्ष के झाधव को लगा कि यही हाल एक दिन इंसानों का भी होगा और उन्होंने अपने दम पर पेड़ लगाने शुरू किए. इस जंगल में हर साल हाथियों का एक झुंड आता है और 6 महीनों तक रहता है.
2015 में उन्हें पद्म श्री से नवाज़ा गया. एक पेड़ काटने में 4-5 मिनट लगते हैं और एक पेड़ को बड़े होने में 4-5 साल. इन 4-5 सालों में किसी बच्चे की तरह ही उसका ध्यान रखना पड़ता है. और झाधव ने इतनी मेहनत अकेले ही की.
3) मल्ली मस्तान बाबू

बहुत कम लोग ही मस्तान बाबू को जानते होंगे. वो देश के सर्वश्रेष्ठ पर्वतारोहियों में से एक थे. उन्होंने NIT Jamsedhpur, IIT Kharagpur, IIM Kolkata से शिक्षा प्राप्त की. 3 साल Software Engineer नौकरी करने के बाद वे नौकरी छोड़कर पर्वतों की ओर निकल पड़े. वो एकमात्र भारतीय हैं, जिन्होंने सातों महाद्वीपों के सबसे ऊंचे पहाड़ों की चढ़ाई की. सातों पर्वतों की चोटी पर वो हफ़्ते के साथ अलग-अलग दिन पर पहुंचे थे. अर्जेंटिना और चिली के पहाड़ों की चढ़ाई के दौरान वो खो गए थे और बाद में उनका मृत शरीर पाया गया था.
मस्तान बाबू के बारे में एक कहावत मशहूर है- पर्वतों ने अपनी सबसे प्रिय संतान को अपने पास ही रख लिया.
4) पालम कल्याणसुंदरम

ज़्यादातर लोगों को महीने की पहली तारीख़ को तनख़्वाह मिल जाती है. हम अपनी पगार का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं. बात अगर डोनेशन की आये, तो हम अपनी तनख़्वाह का कितना पर्सेंट हिस्सा डोनेट करते हैं? 2-3%. बहुत हुआ तो 10-15%. लेकिन एक ऐसे शख़्स भी हैं, जो अपनी पूरी तनख़्वाह ही दान कर देते हैं. कल्याणसुंदरम, पिछले 30 वर्षों से अपनी पूरी पगार ग़रीबों में दान कर देते हैं. अपना ख़र्चा चलाने के लिए वे छोटे-मोटे काम करते थे. उन्होंने 35 वर्षों तक Kumarkurupara Arts College में लाइब्रेरियन की नौकरी की.
कल्याणसुंदरम को 2011 में Millenium Award और Lifetime Service Award से नवाज़ा गया.
5) कमला लोचन बलियार सिंह

भुवनेश्वर की सड़कों पर रहते हैं कमला लोचन. सालों से कचरा चुनकर अपना गुज़ारा करते हैं. कई-कई दिनों तक भूखे पेट ही सो जाने वाले कमला लोचन, रोज़ाना सड़क के कुत्तों को खाना खिलाते हैं. ख़ुद का पेट भरने से पहले वे सड़क पर घूमने वाले कुत्तों का पेट भरते हैं. पिछले 10-12 सालों से कमला की ज़िन्दगी ऐसे ही चल रही है.
6) करीम भाई

हैदराबाद के करीम भाई अख़बार बेचकर गुज़ारा करते हैं. समाज में अपने दम पर बदलाव लाने की एक छोटी सी कोशिश करीम भाई भी कर रहे हैं. ग़रीब बच्चों को अख़बार बांटकर वो सुनिश्चित करते हैं कि बच्चों को उनके इर्द-गिर्द होने वाली हर घटना की ख़बर हो.
7) ममता राव

2013 में उत्तराखंड में आई भयानक बाढ़ में ममता रावत का घर भी बह गया. इसके बावजूद उन्होंने बाढ़ में फंसे हज़ारों श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों की जान बचाने का बीड़ा उठाया. Mountaineering में ट्रेनिंग प्राप्त कर चुकी ममता ने 30 स्कूली बच्चों की जान बचाई. बिना किसी सरकारी सहायता के ममता ने ये जोख़िम उठाया था.
8) चेवांग नॉरफ़ेल

‘Glacier Man of India’ की ज़िन्दगी हम सभी के लिए एक प्रेरणा है. साथ ही उन लोगों के लिए भी जो ये सोचते हैं कि Climate Change एक बचकानी बात है और इसका हक़ीक़त से संबंध नहीं है. चेवांग लद्दाख में एक Civil Engineer हैं और उन्होंने अब तक 15 Artificial Glaciers बना लिए हैं.
9) गंगाधर तिलक कटनम

सड़कों पर बने गड्ढों के कारण हमें बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कई दुर्घटनाओं का मुख्य कारण सड़क के गड्ढे भी होते हैं. क्या आप जानते हैं कि अपने देश में एक ‘Road Doctor’ भी है, नाम गंगाधर तिलक कटनम. भारतीय रेल के सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं, गंगाधर. पेंशन के पैसों से हैदराबाद की सड़कों के गड्ढों को भरते हैं गंगाधर. अब तक उन्होंने 1200 से भी ज़्यादा गड्ढों को भरा है.
10) दरिपल्ली रमैया

आपने आज तक कितने पेड़ लगाये होंगे? 1,2,10,100? तेलंगाना के दरिपल्ली ने पिछले 50 वर्षों में 1 करोड़ पेड़ लगाये हैं. जेब में बीज और साईकल पर पौधे लेकर घूमते हुए पेड़ लगाने का संदेश देते हैं दरिपल्ली रमैया.
2017 में दरीपल्ली को पद्मश्री से नवाज़ा गया.
11) एस.सी शंकर गौड़ा

कर्नाटक के मांड्या ज़िले के छोटे से गांव शिवाल्ली में सिर्फ़ 5 रुपये में मरीज़ों का इलाज करते हैं शंकर. दूर-दराज के इलाकों से त्वचा की बीमारियों का इलाज करवाने के लिए लोग शंकर के पास आते हैं. ‘5 रुपये वाले डॉक्टर’ के नाम से मशहूर शंकर मरीज़ों को महंगी दवाईयां भी नहीं देते. डॉक्टर शंकर से इलाज करवाने के लिए Appointment लेने की भी ज़रूरत नहीं और लोग लाईन में लगकर अपना इलाज करवा सकते हैं.
अगर आप ऐसे ही किसी हीरो के बारे में जानते हैं, तो कमेंट बॉक्स के ज़रिये हमें ज़रूर बतायें.
