जलवायु परिवर्तन का सबसे भयानक परिणाम है खेती पर उसका असर होना. किसानों की बदहाली और आत्महत्याओं की ख़बरें आए दिन सुनने में आती रहती हैं. भारत में एक के बाद एक सूखे पड़े, जिसका असर हम सबके सामने है. हर साल किसानों की बहुत फ़सल बर्बाद हो जाती है.
इसी समस्या से निपटने के लिए खेती का एक नया तरीका बाज़ार में आने वाला है. छोटे किसानों के लिए कमायी तय नहीं होती, किस साल कितनी कमाई होगी, इसकी भी कोई गारंटी नहीं होती.
250 किसानों के साथ काम करने पर Mokkapati ने पाया कि पौधों को ज़्यादा गर्मी और कीड़ों से बचाने से खेती में बहुत फ़ायदा हो सकता है. 6 महीने की रिसर्च के बाद Kheyti ने ‘Greenhouse-in-a-Box’ (GIB) बनाया. ये एक कम कीमत का ग्रीनहाउस है.
ये 250 मीटर स्क्वायर का है और किसान को हर महीने 5,000 तक की कमायी देने में सक्षम है. ये किसान की ज़मीन का बस 2% हिस्सा लेता है और इसमें खेती करने से 90% कम पानी लगता है.
इसमें अच्छे बीजों को बोया जाता है. आम खेती के मुक़ाबले इससे चार-पांच गुना ज़्यादा फ़सल उगती है. इस प्रणाली में ज़मीन में नमी ज़्यादा रहती है और पौधों को ज़्यादा पानी मिल पाता है.
इसके बाद Kheyti रुकना नहीं चाहते, वो प्रद्योगिकी के इस्तेमाल से ऐसी और चीज़ें बनाना चाहते हैं, जिससे किसानों का फ़ायदा हो सके. एक GIB की कीमत 1,60,000 रुपये है. किसान इसे 30,000 रुपये का डाउनपेमेंट देकर ख़रीद सकते हैं. आम ग्रीनहाउस तीस से चालीस लाख के होते हैं, जिनकी तुलना में ये कीमत बेहद सामान्य है.
फ़िलहाल Kheyti तेलंगाना में काम कर रहे हैं. वो आगे इसे आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी शुरू करने की योजना बना रहे हैं.
आम ग्रीनहाउस के मुकाबले GIB का आकार सोलह गुना छोटा होता है, जिससे छोटे किसान भी इसका लाभ उठा सकते हैं. भारत में करीब 100 मिलियन छोटे किसान हैं. Mokkapati का लक्ष्य 2025 तक एक मिलियन किसानों तक GIB पहुंचाने का है.