सरबजीत सिंह बॉबी ने अपने सफ़र का एक खास अनुभव अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर शेयर किया है, उनका ये अनुभव हमारे लिए एक बेहतर रास्ता साबित हो सकता है. उनके इस अनुभव को जानने के बाद आप पर निर्भर करता है कि आप उनके दिखाए रास्ते पर चलेंगे या नहीं?
सरबजीत सिंह बॉबी ने अपनी फेसबुक पोस्ट मे लिखा…
दरअसल, बॉबी फ्लाइट से दिल्ली आ रहे थे, उनकी ये यात्रा उस वक़्त तक एक आम यात्रा जैसी ही थी, जब तक वे अपनी सीट पर बैठे किताब के पन्ने पलट रहे थे. पर जब उन्होंने देखा कि भारतीय सेना के जवान उनकी अगल-बगल की सीटों पर आकर बैठ रहे हैं, तो उन्होंने उनसे बातचीत करने का फैसला किया. हम सभी इस बात से बखूबी वाकिफ़ है कि भारतीय सैना किस कदर हर हिंदुस्तानी की रक्षा के लिए दिन-रात सीमा पर मुस्तैद रहती है.
बॉबी ने अपनी बातचीत की शुरुआत पास बैठे एक युवा सैनिक से की. उन्होंने उससे पूछा कि आप कहां तैनात है? इसके जवाब में सैनिक ने कहा कि हम ‘आगरा’ जा रहे हैं, जहां हमारी दो हफ्ते की स्पेशल ट्रेनिंग है, शायद हमें इसके बाद एक ऑप्रेशन पर भेज दिया जाएगा!
बॉबी एक आम नागरिक की तरह सैनिकों से उनके स्थिति के बारे में बात करते जा रहे थे और उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश कर रहे थे. बतचीत के लगभग 1 घंटे बाद फ्लाइट में अनाउंसमेंट हुआ कि लंच आपके खर्चे पर उपलब्ध है. इस घोषणा को सुनते ही बॉबी ने निर्णय लिया की वो दिल्ली पहुंचने से पहले लंच कर लें. जैसे ही बॉबी का हाथ उनके पर्स तक पहुंचता है, वैसे ही उन्होंने नज़दीक बैठे सैनिकों को कहते सुना कि ‘क्या तुम लोग लंच खरीद रहे हो?’ इसका जवाब देते हुए एक सैनिक कहता है कि नहीं, इसकी कीमत काफी ज़्यादा है, मैं दिल्ली पहुंचने तक इंतज़ार करूंगा. फिर बॉबी ने दूसरे सैनिको की तरफ देखा, उनमें से कोई भी लंच नहीं ले रहा था.
इसके बाद बॉबी सीट से उठकर प्लेन के पिछले हिस्से की तरफ चल दिए और फ्लाइट अटेंडेंट को इतने पैसे दिए कि वो उनके आस-पास बैठे सभी सैनिकों को लंच उपलब्ध करवा सके. इस बात को सुनते ही फ्लाइट अटेंडेंट भावुक हो गई. वो बॉबी से कहती है कि ‘मेरा छोटा भाई कारगिल में तैनात है. आप जो कर रहे हैं, उससे ऐसा लग रहा है जैसे आप ये मेरे भाई के लिए ही कर रहे हैं!’
हाथों में लंच पैक उठाए सैनिकों के पास से होत हुए वो मेरे नज़दीक आकर पूछती है कि आप वेजेटेरियन लेंगे या चिकन? मैंने चिकन कहा और ये सोचने लगा आखिर उसने मुझसे ये सवाल क्यों पूछा? बाद में वो प्लेन के कॉकपीट की तरफ चली गई. कुछ मिनट बाद जब वो वहां से वापस लौटी, तो उसके हाथ में फर्स्ट क्लास की डिनर प्लेट थी. उसने उस प्लेट को मेरे हाथ में थमा दिया और कहा कि ये आपके लिए है. खाना खत्म करने के बाद मैं फिर से प्लने के पिछले हिस्से की ओर जाने लगा. तभी एक बुज़ुर्ग व्यक्ति ने मुझे रोक लिया. उसने मुझे कहा कि ‘मैंने देखा कि आप क्या कर रहे हैं, मै भी इसका हिस्सा बनना चाहता हूं. कृपया इसे रख ले’. उसने मुझे 500 रुपये का नोट दिया.
अपनी सीट की ओर बढ़ते हुए मैंने देखा कि फ्लाइट का कैप्टन मेरी सीट के आस-पास आते हुए किसी सीट नंबर के बारे में पूछ रहा था. जब वो मेरे करीब आया तो वह रुक गया और मुस्कुराया. उसने अपनी जेब से हाथ निकालकर मेरी तरफ बढ़ाया और कहा कि ‘मैं आप से हाथ मिलाना चाहता हूं’. मैंने बिना देर लागाए उनसे हाथ मिलाया. उसने अपनी कड़क आवाज़ में कहा कि ‘मैं पहले एक एयरफोर्स पायलट था. एक बार किसी ने मेरे लिए लंच लिया था. वो मेरी लाइफ का ऐसा लम्हा था, जिसे में आज तक नहीं भूला पाया’. प्लेन में यह बात फैल चुकी थी, कुछ देर बाद एक 18 साल का युवक मेरे पास आया और हाथ मिलाया. वो मेरी हथले में एक कड़क नोट रख चला गया था.
जब हमारा प्लेन लैंड हुआ तो मैं प्लेन से उतरने के लिए अपना समान इकट्ठा कर रहा था. जैसे ही मैं उतरने वाला था, तभी एक व्यक्ति ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी शर्ट की जेब में कुछ रखकर, बिना कुछ कहे आगे बढ़ गया. वो एक नोट था!
टर्मिनल में प्रवेश करते ही मैंने देखा कि सभी सैनिक अपनी आगे की यात्रा के लिए एकत्रित हो रहे थे. मैं उनके पास गया और जितने भी पैसे मुझे फ्लाइट में लोगों ने दिये थे, मैंने उन्हें दे दिए और कहा कि ये पैसे आपकी आगे की यात्रा में काम आएंगे. मेरा आशिर्वाद आपको लोगों के साथ है. और आप लोग जो भी हमारे लिए कर रहे हैं, उसके लिए धन्यवाद. जब मैं आगे अपनी कार की ओर बढ़ने लगा, तो मैं मन ही मन यही दुआ कर रहा था कि ये सभी सुरक्षित वापस लौटें. सैनिक देश के लिए जो करते हैं उसके मुकाबले उन्हें खाना खिलाना बेहद ही छोटा काम है.
सैनिक वो व्यक्ति होता है, जो अपनी लाइफ के खाली चेक पर ‘भारत’ लिख देता है.