किसी भी देश की पुलिस का काम होता है, वहां पर कानून व्यवस्था को बनाए रखना. जनता की रक्षा करना उसकी ज़िम्मेदारी और कर्तव्य होता है. पर हमारे देश की पुलिस जनता को शायद कुछ नहीं समझती. इसी का जीता-जागता उदाहरण है तमिलनाडु का तूतीकोरिन. यहां एक कंपनी के खिलाफ़ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस द्वारा की गई फायरिंग में 12 लोगों की मौत हो गई. इन्हीं में एक 17 साल की लड़की भी थी, जिसकी मौत के साथ उसका सपना भी अधूरा ही रह गया.

दरअसल, तूतीकोरिन में वेदांता ग्रुप की कंपनी स्टरलाइट के कॉपर स्मेलटिंग प्लांट से निकलने वाला कचरा, वहां के ग्राउंड वॉटर को प्रदूषित कर रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इसकी वजह से लोगों को दिल, सांस, त्वचा और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो रही हैं. वहीं दूसरी तरफ वेदांता ग्रुप ने हाल ही में इस प्लांट से हुए मुनाफे़ को देखते हुए इसे विस्तार देने की घोषणा की थी.

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इसी के खिलाफ़ वहां के लोग प्रदर्शन कर रहे थे. वे सभी इस प्लांट को बंद करने की मांग कर रहे थे. इनमें Vanitha की 17 साल की बेटी Snowlin भी शामिल थी. Snowlin ने पिछले कुछ महीनों में अपने दोस्तों के परिवार वालों को इस प्लांट के दूषित पानी की वजह से हुई जानलेवा बीमारियों से मरते देखा था.

यही कारण है कि वो वेदांता के इस प्लांट के ख़िलाफ हो रहे प्रदर्शनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही थी. पुलिस द्वारा की गयी गोलीबारी में वो मारी गयी. Snowlin एक बहुत ही संवेदनशील लड़की थी. 10वीं पास करने के बाद उसने लोगों की मदद करने के उद्देश्य से नर्सिंग के कोर्स में दाखिला ले लिया था. इसके साथ ही उसने ओपन से 12वीं की परीक्षा भी पास कर ली थी.

उनकी मां ने बताया कि वो एक वकील बनना चाहती थी, ताकि बड़ी होकर हमारे हक के लिए लड़ सके. उसके इरादे नेक थे और वो किसी से भी नहीं डरती थी. हम सभी साथ में इस प्रदर्शन में शामिल हुए थे. इसी बीच अचानक एक सांड न जाने कहां से आग गया और हम बिछड़ गए. फिर हमने गोलियों के चलने की आवाज़ सुनी और बाद में हमें पता चला की पुलिस ने भीड़ को काबू में करने के लिए फायरिंग की थी, जिसमें मेरी बेटी भी मारी गई.
उन्होंने आगे कहा- ‘हम वहां पर प्रदूषण को रोकने की मांग और लोगों के भविष्य के लिए एकजुट होकर प्रदर्शन कर रहे थे. मुझे क्या पता था कि ये मेरी बेटी का आखिरी दिन साबित होगा. मेरी बेटी की मौत इस प्लांट की वजह से हुई है, उसकी आत्मा को शांति तभी मिलेगी जब इसे हमेशा के लिए बंद कर दिया जाएगा’.

वहीं दूसरी तरफ इस कॉन्ट्रोवर्सी के बाद तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने तूतीकोरिन के स्टरलाइट कॉपर प्लांट को तत्काल प्रभाव से बंद करने का आदेश दिया है. साथ ही मद्रास हाईकोर्ट ने हिंसा की जांच के लिए रिटायर्ड जज अरूणा जगदीशन की अगुवाई में जांच आयोग गठित कर दिया है.

तूतीकोरिन जैसे मामले पहले भी सामने आते रहे हैं. अपने हक के लिए लड़ रहे लोगों को कई बार पुलिस की गोलियों का शिकार होना पड़ा है. हर बार बस जांच समिति के गठन और कुछ दिनों के हो-हल्ले के बाद सब शांत पड़ जाते हैं. पुलिस सुधार और उन्हें संवेदनशील बनाने के सुझावों पर कोई ध्यान नहीं देता है. महात्मा गांधी ने आज़ादी मिलने के बाद ही पुलिस सुधार की वकालत की थी. मगर आज़ादी के 70 साल बाद भी हम इसे हासिल करने में कामयाब नहीं हुए हैं.