आनंद उमंग भयो जय हो नंद लाल की
जन्माष्टमी से पहले ही चारों ओर भगवान कृष्ण से संबधित इस तरह के गाने सुनाई देने लगते हैं. भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाए जाने वाले इस त्यौहार की धूम अब देश ही नहीं, अपितु विदेशों में भी दिखाई देती है. कई दिनों पहले से कृष्ण मंदिरों को सजाया जाने लगता और झाकियां निकालने की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण बात जो जन्माष्टमी को होती है, वो ये कि भगवान श्रीकृष्ण को इस दिन 56 भोग लगाया जाता है.
56 भोग से जुड़े सवालों के जवाब इस्कॉन मंदिर के नेशनल कम्यूनिकेशन डायरेक्टर ब्रजेंद्र नंदन ने दिए हैं. उन्होंने इस बारे में नवभारत टाइम्स से बात करते हुए कहा कि ये पंरपरा उस वक़्त से चली आ रही है, जब श्रीकृष्ण ने अपनी एक उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाया था.
श्रीकृष्ण के बचपन से जुड़ी है छप्पन भोग की परंपरा
बाल अवस्था में श्रीकृष्ण को उनकी मां यशोदा दिन के आठों पहर खाना खिलाती थीं. लेकिन एक बार इंद्रदेव ने गोकुल पर घनघोर वर्षा की. तब श्रीकृष्ण ने 7 दिनों तक एक उंगली पर गोर्वधन पर्वत को उठाकर गोकुलवासियों की रक्षा की थी. तब उन्होंने इन 7 दिनों तक कुछ नहीं खाया था.
एक सप्ताह बाद जब बारिश रुकी और गोकुलवासी अपने-अपने घर को लौटे, तो मां यशोदा और गोकुलवासियों ने सोचा कि 7 दिनों तक कृष्ण ने कुछ नहीं खाया. इसके बाद सभी ने उनके लिए 8 पहर और 7 दिन के हिसाब से छप्पन प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनाए.
इसमें वो सभी चीज़ें थीं जो श्री कृष्ण उनको पसंद थीं. इन्हें खाकर श्रीकृष्ण प्रसन्न हुए थे. तभी से ही ये मान्यता है कि उन्हें छप्पन भोग लगाने से भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है. तभी से उन्हें 56 भोग लगाने की परंपरा चल पड़ी.
क्या-क्या शामिल होता है इसमें?
छप्पन भोग में शामिल सभी व्यंजनों को देसी घी में बनाया जाता है. इसमें मिठाई, फल, अनाज, नमकीन और ड्राई फ़्रूट्स शामिल हैं. आमतौर पर छप्पन भोग में माखन मिश्री, खीर, बादाम का दूध, चावल, इलायची, घेवर, मोहनभोग, मुरब्बा, साग, दही, रबड़ी, मठरी, पकौड़े, खिचड़ी, लड्डू, जलेबी, हलवा आदि शामिल होते हैं.
भक्त अपने हिसाब से इसकी गिनती करते हैं. कुछ लोग इसमें 20 प्रकार की मिठाई, 16 तरह की नमकीन और 20 प्रकार के ड्राइफ़्रूट्स को शामिल करते हैं. सबसे पहले भगवान कृष्ण को दूध चढ़ाया जाता है, उसके बाद बेसन से बनी मिठाई और नमकीन. अंत में मिठाई और ड्राई फ़्रूट्स और इलायची दी जाती है. 56 भोग भगवान कृष्ण को अर्पित करने के बाद इसे भक्तों में वितरित कर दिया जाता है.
रात्री में जब श्रीकृष्ण जी का जन्म होता है तब उन्हें धनिया की पंजीरी का भी भोग लगाया जाता है. कहते हैं कि इससे वात, पित्त और कफ़ के दोषों से बचने में मदद मिलती है. साथ ही धनिया के सेवन से वृत संकल्प भी सुरक्षित रहता है.
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