जहांगीर मुग़ल सल्तनत के चौथे बादशाह थे. उन्होंने 1605-1627 तक हिंदुस्तान पर राज़ किया था. उन्होंने अपने शासन में कई ऐतिहासिक जंग जीती थीं, जिसके लिए आज भी उन्हें याद किया जाता है. लेकिन उनका नाम जहांगीर कैसे पड़ा, इसका भी एक दिलचस्प किस्सा है. चलिए आज आपको अक़बर के बेटे और शाहजहां के पिता के नाम से जुड़ा ये दिलचस्प किस्सा भी बता देते हैं.
जहांगीर का पूरा नाम मिर्ज़ा नूरुद्दीन बेग मोहम्मद ख़ान सलीम था. उनके जन्म का किस्सा मुग़लिया इतिहास में बहुत ही सम्मान से लिखा गया है. जहांगीर उर्फ़ सलीम अक़बर और अमर के राजा भारतमल की बेटी मरियम उज़ ज़मानी उर्फ़ जोधाबाई की संतान थे.
कहते हैं कि जब अक़बर की रानी जोधाबाई गर्भवती थीं तब उन्होंने रानी को फ़तेहपुर सीकरी के मशहूर संत शेख सलीम चिश्ती के यहां भेज दिया. अक़बर चाहते थे कि उनका वारिश संत चिश्ती के साए में इस दुनिया में आए.
क्योंकि उन्होंने ही अक़बर को तीन बेटे होने का वरदान दिया था. फ़तेहपुर सीकरी में ही जहांगीर का जन्म हुआ. अक़बर ने उसका नाम उन्हीं संत के नाम पर सलीम और शेखू रखा था. प्यार से अक़बर अपने बेटे को इन्हीं दोनों नाम से पुकारते थे.
1605 में अक़बर की मृत्यु के बाद सहज़ादे सलीम को मुग़ल सल्तनत का बादशाह घोषित किया गया. लेकिन उस समय तुर्की के एक शासक का नाम भी सलीम हुआ करता था. सलीम नाम को लेकर इतिहासकारों में कोई संशय न हो इसलिए उन्होंने अपना नाम बदलकर जहांगीर रख लिया, जिसका मतलब होता है ‘दुनिया को जीतने वाला.’
हालाकिं, कुछ लोग इस बात से इत्तेफ़ाक नहीं रखते. उनका कहना है कि कुछ पीर और संतों ने ये भविष्यवाणी की थी कि अक़बर के मरने के बाद नुरुद्दीन नाम का शख़्स बादशाह बनेगा. इसलिए सलीम ने अपना नाम ख़ुद नुरुद्दीन जहांगीर रख लिया था.
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