कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू की स्थापना 1537 में हुई थी. तब शायद यहां घी या तेल के दीपक ही जलाए जाते होंगे. इसके बाद मिट्टी के तेल के दिये जलाए जाने लगे. आज से क़रीब 115 साल पहले इस शहर को उसकी पहली बिजली से जलने वाली स्ट्रीट लाइट मिली थी. कुछ लोगों का कहना है कि ये एशिया की पहली स्ट्रीट लाइट थी जो भारत में लगाई गई थी. उसी स्ट्रीट लाइट को लगाने से जुड़ा दिलचस्प क़िस्सा आज हम आपके लिए लेकर आए हैं.

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बात 1902 की है जब बेंगलुरू की गलियों में मिट्टी के तेल से जलने वाले लैंप लगे थे. इन्हें मेंटने करने के लिए तीन लोगों को रखा गया था. एक जो इनमें तेल भरता, दूसरा इन्हें जलाता और तीसरा इनके काले शीशे को साफ़ करता. इन सभी पर नज़र रखने के लिए एक मैनेजर भी रखा गया था. ये काम काफ़ी जटिल था. इसलिए बिजली की दरकार महसूस होने लगी. 

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तब तक 1896 में दार्जलिंग में देश का पहला हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर स्टेशन काम करने लगा था. मैसूर के तत्कालीन दीवान पी.एन. कृष्णमूर्ती को मेजर ACJ de Lotbiniere ने बेंगलूरू को बिजली से रौशन करने के लिए भी एक पावर प्लांट लगाने का आइडिया दिया. दीवान साहब को भी मिट्टी के तेल के दीयों को जलाने से होने वाली परेशानी के बारे में पता था. तो उन्होंने मैसूर में देश के दूसरे हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर स्टेशन को बनाने की मंजूरी दे दी.

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इसे कावेरी नदी पर बनाया जाना था. मैसूर स्टेट के लिए काम करने वाले मेजर ACJ de Lotbiniere के हाथ में इसकी कमान सौंपी गई थी. 1902 में ये पावर स्टेशन मैसूर के शिवानासमुद्र झरने पर बनकर तैयार हो गया. इससे तब 150 किलोमीटर दूर के.जी.एफ़ की सोने की खदानों को बिजली की आपूर्ति की जाती थी.  

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सारी तैयारियां कर लेने के बाद 1905 में बेंगलुरू बिजली से रौशन होने के लिए तैयार था. ये अगस्त महीने का पहला सप्ताह था. 3-4 अगस्त की शाम को मैसूर स्टेट के सभी ख़ास लोग दिल्ली गेट(अब विक्टोरिया हॉस्पिटल) के पास मौजूद थे. मौक़ा था देश और एशिया की पहली बिजली से चलने वाली स्ट्रीट लाइट के शुभारंभ का. तत्कालीन बिजली सलाहकार भारत सरकार JW Mears ने इसका स्विच ऑन कर बेंगलुरू में विद्युत युग की शुरुआत की थी. इस क़िस्से का ज़िक्र मशहूर लेखिका मीरा अय्यर की किताब ‘Discovering Bengaluru: History, Neighbourhoods, Walks’ में किया गया है.

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हालांकि, तारीख़ को लेकर अभी भी संशय है. मीरा अय्यर ने एक पुराने अख़बार की कटिंग दिखाते हुए बताया कि न्यूज़ पेपर में इसकी ख़बर 4 तारीख़ को छपी थी. इसलिए बेंगलुरू की इस स्ट्रीट लाइट का उद्घाटन 3 अगस्त 1905 को हुआ होगा. इस स्ट्रीट लाइट के लगने के एक साल के भीतर ही 831 नई स्ट्रीट लाइट और 1639 घरों में बिजली के कनेक्शन बेंगलुरू में लगा दिए गए थे. 

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