अपने देश की संस्कृति पर हम गर्व करते हैं. सदियों से हमने ही दुनिया को सही रास्ता दिखाया है. ख़ुद पर गर्व करने की होड़ में हम अपनी ख़ामियाँ बहुत ही आसानी से नज़रअंदाज़ करते हैं.

जिस संस्कृति की हम गवाही देते हैं उस संस्कृति ने सदियों पहले ही किन्नरों को अपनाना और उनका सम्मान करना सीख लिया था. तो फिर क्या वजह है कि आज हम LGBTQ+ समुदाय को अपना नहीं पा रहे हैं.

कौन है नाज़?
मुश्किलों भरी ज़िन्दगी

18 वर्ष की आयु तक कई लोगों ने मेरे साथ मोलेस्टेशन किया. मेरे शिक्षक, Cousins, अंकल बहुत से लोगों ने मेरा शोषण किया.
-नाज़ जोशी
इन सबके बावजूद नाज़ ने अपनी पढ़ाई पूरी की. नाज़ की Cousin बहन ने मदद की और आज नाज़ के पास NIFT और IMT ग़ाज़ियाबाद की डिग्री है.
मेरे पिता मुझ से बात नहीं करते, मेरी पहचान की वजह से मेरी मां मुझे मारती, उन दोनों के लिए मैं श्राप हूं. हम किसी से भी अब्यूज़ झेल सकते हैं लेकिन जब आपका परिवार ही अब्यूज़र हो तो ये और दर्द देता है.
-नाज़ जोशी
यूं मिला परिवार
मुझे अगर कहीं से सच्चा प्यार मिल सकता है तो वो है मेरे बच्चों से.
-नाज़ जोशी

यहां से मिलता है उत्साह
मैं हमेशा से एक ताज पाना चाहती थी इसलिए मैंने प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू किया. मैंने सबसे पहले Miss United Nations, Jamaica में हिस्सा लिया. मैंने अब तक 6 ताज अपने नाम किये हैं. मैं चाहती हूं कि लोग मुझे जानें और मेरा सपोर्ट करें. मेरे पास इतनी शक्ति हो कि मैं ग़लत के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा सकूं. 6 अवॉर्ड्स जीतने के बावजूद भारत में मैं एक आम आदमी की ही ज़िन्दगी जीती हूं.
-नाज़ जोशी
हम जैसे हैं हमें वैसे अपनाओ. स्कूल लेवल पर ही Gender Sensitisation प्रोग्राम्स शुरू करने होंगे, बच्चों को ये पढ़ाना होगा कि हम सभी एक हैं. मेरी दिली ख़्वाहिश है कि इस समाज में समानता हो. ट्रांसजेंडर मॉडल्स को मॉडलिंग के पैसे मिलें.
-नाज़ जोशी

नाज़ ने ये भी बताया कि इतने सारे टाइटल जीतने के बाद, IMT से पोस्ट-ग्रैजुएट होने के बावजूद उनके पास काम नहीं है. नाज़ ने बताया कि वो Milaap Fundraiser के ज़रिए और सुबह भीख मांगकर गुज़ारा कर रही हैं.