राष्ट्रपति भवन की ओर से जब जगदीश पारिख को फ़ोन कर के यह बताया गया कि उन्हें पद्मश्री सम्मान दिया जाएगा, तब उन्हें इसका मतलब भी नहीं पता था. वो सूचना देने वाले व्यक्ति को धन्यवाद कह कर के दोबारा से अपने काम में लग गए.
भारत का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पाने वाले जगदीश पारिख राजस्थान के सीकर ज़िले में ऑर्गैनिक फ़ार्मिंग करते हैं. 72 वर्षीय इस किसान की पहचान उनकी विशालकाय सब्ज़ियां हैं.
उनके खेत में उगने वाली गोभी का औसत वज़न 15 किलो, कद्दू का वजन 86 किलो, तुरई की लंबाई 7 फ़ीट, पत्तागोभी का वजन 8 किलो और बैगन 3 फीट लंबा होता है.
जगदीश पारिख की गोभी की नस्ल के लिए उन्हें National Innovation Foundation की ओर से पहसा National Grassroots Innovation Award भी मिला था. साल 2001 में उन्हेंने इसे ‘अजितगढ़ वरायटी’ नाम से पेटेंट भी करा लिया.
जगदीश पारिख का कहना है कि इसके पीछे किसी प्रकार का राज़ नहीं है. बस सही किस्म की बीज का इस्तेमाल करने, खेती के तकनीक का खयाल रखना जैसे- बीज को रोपने के बीच की दूरी, समय और पानी का ध्यान रखना और ऑर्गेनिक खाद का इस्तेमाल करना.
जगदीश पारिख अपने खेत की सब्ज़ियां पूर्व राष्ट्रपति ए. पी. जे अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल और प्रणव मुखर्जी को भेंट कर चुके हैं.