दो अगस्त, 1876 को उस व्यक्ति का जन्म आंध्रप्रदेश में मछलीपत्तनम के निकट एक गांव में हुआ था. महज़ 19 साल की उम्र में वो ब्रिटिश आर्मी का हिस्सा बन गया. इस व्यक्ति की मुलाकात महात्मा गांधी से दक्षिण अफ्रीका में एंग्लो-बोअर युद्ध के दौरान हुई. इसके बाद ये स्वतंत्रता सेनानी बने. 45 साल की उम्र में उन्होंने एक ऐसी चीज़ बनाई, जिसे देख कर हमारी आंखें गर्व से भर जाती हैं. इसकी आन के लिए सरहदों पर जवान हंसते-हंसते शहीद हो जाते हैं. इस व्यक्ति का नाम है पिंगाली वेंकैया और 1921 में इसी व्यक्ति ने बनाया था भारत का राष्ट्रध्वज.
कैसे की थी तिरंगे की कल्पना
- 1916-21 तक पिंगाली ने 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वजों पर अध्ययन किया.
- शुरुआत में तिरंगे में लाल रंग हिन्दुओं के लिए, हरा मुस्लिमों के लिए, सफेद रंग बाकी धर्मों के लिए और चरखा प्रगति के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल हुआ था.
- 1931 को तिरंगे को अपनाने का प्रस्ताव पारित हुआ. संशोधन के साथ इस तिरंगे से लाल रंग हटा कर केसरिया रंग इस्तेमाल हुआ.
- 22 जुलाई, 1947 को संविधान सभा में इसे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपना लिया गया. बाद में इसमें से चरखे को हटा कर सम्राट अशोक के धर्मचक्र को शामिल कर लिया गया.
- इस महत्वपूर्ण योगदान के बाद भी गुमनाम रह गए पिंगाली वेंकैया. गरीबी की हालत में 1963 में पिंगाली वेंकैया का विजयवाड़ा में एक झोपड़ी में देहांत हो गया.
सालों बाद मिला सम्मान
- साल 2009 में उन पर एक डाक टिकट जारी हुआ.
- जनवरी 2016 में केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने विजयवाड़ा के ऑल इंडिया रेडियो बिल्डिंग में उनकी प्रतिमा स्थापित की.