देश के 68वें गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रिय राइफ़ल्स के हवलदार हंगपन दादा को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्म्मानित किया गया. देश के लिए अपनी जान का बलिदान देने वाले बहादुर फ़ौजी, शहीद हंगपन दादा की पत्नी चेसन लोवांग को राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी ने ये सम्मान गणतंत्र दिवस की सेरेमनी में दिया.

कौन है हंगपन दादा?

25 मई 2016 को उत्तरी कश्मीर में तैनात राष्ट्रिय राइफ़ल्स को ख़बर मिली कि 4 आतंकी घुसपैठ करने के इरादे से भारत की सीमा में घुस चुके हैं. कश्मीर के नौगाम की 13,000 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर तैनात RR (राष्ट्रिय राइफ़ल्स) के जवानों को दो टुकड़ियों में बांटा गया, जिसमें से एक को लीड कर रहे थे हवालदार हंगपन दादा.
दादा और उनकी टुकड़ी ने इन आतंकियों के भागने के रास्ते पर ही अटैक कर दिया. दो आतंकियों को मार गिराने के बाद हंगपन दादा ने तीसरे आतंकवादी को Hand-to-Hand Combat में ढेर कर दिया. 24 घंटे चली इस लड़ाई में हंगपन दादा को दो गोलियां लग चुकी थीं, लेकिन वो फिर भी लड़ते रहे और आखिरकार उनकी अगुवाई में सेना ने इन सभी आतंकियों को ढेर कर दिया.
लेकिन काफ़ी खून बहने से दादा नहीं बच पाए और देश के लिए शहीद हो गए. उनके साथी बताते हैं कि उस दिन उन्होंने आतंकियों को सामने से गोलियां मारी थी. ये निशानी थी एक बहादुर, वीर सैनिक की, जिसके लिए उसकी जान से बड़ा देश था.

हंगपन दादा के दो बच्चे हैं और उनका लड़का कहता है कि वो ‘Army Officer’ बनना चाहता है.
देश के इस वीर सैनिक को अपनी श्रधांजलि देते हुए सेना ने 26 जनवरी को उनके सम्मान में ये वीडियो अपलोड किया:
भारत को नाज़ है अपने इन वीर जवानों पर.