कोलकाता दुर्गा पूजा के रंग में पूरी तरह रंग गया है. हर गली-कूचे से पूजा की ख़ुशबू आ रही है. ये वो वक़्त है जब कोलकाता सबसे हसीन लगता है. शहर का सबसे अच्छा वक़्त होते हैं दुर्गा पूजा के ये 4 दिन.

कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडाल देखते ही बनते हैं. अलग-अलग Themes, Ideas प्रस्तुत करते हैं ये पंडाल. पंडालों में सबसे बेहतर; कौन सा है, ये प्रतियोगिता भी लगी रहती है.

The Wire

बड़े-बड़े, महंगे से महंगे पंडालों के बीच एक पंडाल है बाघबाज़ार में ‘मायेर बाड़ी’ (श्री रामकृष्ण परमहंस की पत्नी शारदा देवी का घर) के पास. यहां कोलकाता के फ़ुटपाथ पर रहने वाले बच्चे दुर्गा पूजा पंडाल बना रहे हैं.

बच्चों ने इस पंडाल का नाम रखा है ‘फ़ुटपाथेर दुर्गा पूजो’ (फ़ुटपाथ की दुर्गा पूजा). इन बच्चों के पंडाल की Theme है ‘इच्छेपुरोन’ (इच्छाओं की पूर्ति)

TOI से बातचीत करते हुए 9वीं कक्षा में पढ़ने वाले सुजीत दास ने कहा,

पिछले साल से ही हम प्रतिमा बैठाने और पूजा का आयोजन करने की प्लानिंग कर रहे थे. हमारा सपना बांगुर के महेंद्र अग्रवाल और उनकी पत्नी रश्मि के कारण पूरा हो रहा है.
TOI

‘मायेर बाड़ी’ जाने के रास्ते में महेन्द्र की मुलाक़ात इन बच्चों से हुई और जब उन्होंने इनकी इच्छा के बारे में सुना तो वो झट से राज़ी हो गए. महेन्द्र ने कहा,

सभी को दुर्गा पूजा मनाने हक़ का है. अगर छोटी सी मदद से इन बच्चों के चेहरे पर ख़ुशी आ सकती है, तो हम पीछे क्यों रहें? चार्ट पेपर, गुब्बारे, रंग, दिये और रिब्बन का बजट 1 लाख से भी कम है.

20 बच्चे मिलकर दिन-रात मेहनत करके ये पंडाल बना रहे हैं.

उनकी दुर्गा प्रतिमा 1 फ़ीट की है जिसे 7वीं और 6ठी कक्षा में पढ़ने वाले सुरोजीत सरकार और देबजीत दास बना रहे हैं.

पंडाल की सजावट के लिए भी बच्चे अपने हाथों से ही सामान तैयार कर रहे हैं. ये पूजा ‘शारदा प्राइमरी स्कूल’ में होनी है, लेकिन इसके लिए बच्चों को पुलिस की परमिशन नहीं मिली है. बच्चे स्कूल के प्रवेश द्वार को अपनी पेंटिंग्स से सजाना चाहते हैं.

कक्षा 3 में पढ़ रही सुष्मिता दास ने TOI को बताया, ‘पंडाल को सजाने के लिए वो सड़क पर पड़े कुल्हड़ उठा रहे हैं.’

https://www.youtube.com/watch?v=f6XCRFz5k4k

सभी बच्चों ने अपनी इच्छाओं से भरे कार्ड्स भी बनाए हैं, जिन्हें वो पंडाल में लगाएंगे.

अगर पूजा के दौरान आप कोलकाता में हों, तो बच्चों के पंडाल का रुख ज़रूर करें. नन्हें-नन्हें हाथों की मेहनत को सफ़ल करने में आप भी हाथ बंटाएं.