Sumita Bhattacharya, Baisakhi Gope, Mani Mala Sikdar और Sunita Gope, ये सिर्फ लड़कियों के नाम नहीं. ये एक गांव की सड़कों के नाम हैं. झारखण्ड के Potka ब्लॉक में स्थित है Juri गांव. राजधानी रांची से 150 किलोमीटर दूर, इस गांव में 600 परिवार रहते हैं.
इस गांव में उच्च शिक्षा की व्यवस्था भले ही न हो, पर शिक्षा की कद्र ज़रूर है. यहां के बच्चों को स्कूल जाने के लिए रोज़ 3 किलोमीटर जाना पड़ता है और कॉलेज यहां से 30 किलोमीटर दूर, जमशेदपुर में है. गांव में केवल एक सरकारी स्कूल है, जिसमें 300 बच्चों के लिए केवल 5 शिक्षक हैं.
गांव की महिला समिति द्वारा चुनी गयी पहली लड़की सुमिता भट्टाचार्य थी. इस 23 वर्षीय लड़की के नाम पर गांव में सड़क है. सुमिता आज गांव की अन्य लड़कियों के लिए भी प्रेरणा है. उसे मिला सम्मान अन्य लड़कियों को भी खूब पढ़ने के लिए प्रेरित करता है. इस वक़्त वो जमशेदपुर के Women’s College से स्नातकोत्तर कर रही हैं.
ये गांव हमेशा से शिक्षा को ख़ास महत्व देता आया है. यही वजह है कि यहां की शिक्षा दर, राज्य की औसत शिक्षा दर से भी ज़्यादा है. 2011 सेन्सस आंकड़ों के अनुसार, गांव की शिक्षा दर 68.39% है और राज्य की 66.41%. गांव के 79.46% पुरुष और 57.57% महिलाएं शिक्षित हैं.
ग्राम प्रशासन लड़कियों को पढ़ाने पर ज़ोर देता है. इसका उद्देश्य गांव में शिक्षा को बढ़ावा देना है. गांव की मुखिया खुद एक महिला है. मुखिया सावित्री सरदार लड़कियों का प्रोत्साहन करने के लिए इस मॉडल को आगे बढ़ाना चाहती हैं.
फिलहाल ये साइन बोर्ड हाथ से लिखे हुए हैं, जो बारिश में ख़राब हो जाते हैं. परमानेंट बोर्ड्स लगवाने की भी योजना बनायी जा रही है. लड़कियों में भी इससे बहुत आत्मविश्वास आया है.
हम इस अनोखी पहल की तहे दिल से सराहना करते हैं. ये वाकयी महिला सशक्तिकरण के लिए एक अच्छा कदम है.