उर्वशी उन लोगों के लिए मिसाल है, जो कहते हैं कि महिलाएं घर के बाहर कुछ नहीं कर सकती हैं. उनको पता होना चाहिए उर्वशी अपने बच्चों की शिक्षा और पति के इलाज दोनों का ख़र्च उठा रहीं हैं. पति के एक्सीडेंट के बाद से उनके घर में कमाने वाला कोई नही था. तब उन्होंने तय किया कि वो छोले-कुलचे बेचेंगी, उस वक़्त उनके पास मात्र एक ठेला था, लेकिन आज वो एसी रेस्टोरेंट में छोले-कुलचे बेच रहीं हैं.
पहले दिन से मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ अच्छा होता चला गया. पहले जो लोग उनके आईडिया को ग़लत बताते थे, सफ़ल होने पर बाद में वही लोग मदद भी करने लगे.
एक दिन जब उनकी फ्रेंड ने उनकी सफ़लता की कहानी सोशल मीडिया पर शेयर की तो सब कुछ बदल गया. उनकी कहानी जानने के बाद उनसे मिलने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी.
उनका सपना बड़ा होता गया और धीरे-धीरे उनका काम बढ़ता चला गया. उर्वशी ने धीरे-धीरे पैसे इकट्ठा कर, एक बड़ा सा ठेला खरीदा, साथ में लाइसेंस भी बनवाया और गर्व से छोले कुलचे बेचने लगीं. ये उनके लिए बड़ी जीत थी.
‘उर्वशी फ़ूड जॉइंट इन गुड़गांव’ की शुरुआत करके उर्वशी ने साबित कर दिया कि महिलाएं कुछ भी कर सकती हैं और अपने परिवार को बेहतर ज़िंदगी भी दे सकती हैं. वो बतातीं हैं कि हमने अपने ग्राहकों की सुविधा को देखते हुए उनके लिए नया मेन्यू कार्ड भी तैयार किया हैं.
ये तो एक उर्वशी की कहानी है. आज देश में न जाने कितने उर्वशी हैं, जो पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर काम कर रहीं हैं. ये उन लोगों के लिए एक सीख है, जो महिलाओं को कमज़ोर समझते हैं.