#PlasticBagFreeDay चाहे कितनी ही कोशिश क्यों न करे लें पर ये कहना ग़लत नहीं होगा कि प्लास्टिक हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है. और इसको पूरी तरह से इग्नोर करना असंभव सा लगने लगा है. अगर डेली यूज़ की बात की जाए तो प्लास्टिक का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल हम प्लास्टिक के बैग यानी पॉलिथीन के रूप में करते हैं. पर्यावरण पर होने वाले इसके नुकसान के बारे में भी सभी को पता है, लेकिन फिर भी बहुत कम लोग हैं, जो इसका इस्तेमाल कम से कम करने के बारे में सोचते हैं.

हम सभी लोग पॉलिथीन का इस्तेमाल करने के इतने आदि हो गए हैं कि हम इसका मोह छोड़ ही नहीं पा रहे हैं. एक आम आदमी एक दिन में इसका इस्तेमाल खाना लाने, कोई भी किराने का सामान लाने में, कूड़ा फेंकने में, शॉपिंग करते समय, सब्ज़ियां लाने, जैसे कामों के लिए करता है.

अगर हम मान लें कि एक आदमी दिन में करीब 7 पॉलिथीन इस्तेमाल करता है. इस प्रकार वो सप्ताह में 49, महीने में 196 और साल भर में 2352 पॉलिथीन यूज़ करता है. तो सोचिए कि देशभर को करोड़ों लोग एक साल में कितने पॉलिथीन इस्तेमाल करते होंगे, और दुनिया के लोगों की तो अब क्या ही बात की जाए, आप खुद ही अंदाज़ा लगा सकते हैं.
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वैज्ञानिकों के अनुसार, प्लास्टिक को पूरी तरह ख़त्म होने में 500-1000 साल लग जाते हैं. आपकी जानकारी के लिए ये भी बता दें कि Plastic Bags, Straws और Coffee Cups भी रिसाइकिल नहीं होते. यानी हम स्वयं ही अपने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए उत्तरदायी हैं.

अब बात आती है कि इसका विकल्प क्या है? तो इसके कुछ संभावित जवाब हम दे रहे हैं:
जूट का थैला

हम बाज़ार से सब्ज़ियां, किराने का सामान, कपड़े आदि की शॉपिंग करने के लिए जूट के बने थैले का इस्तेमाल कर सकते हैं.
जूट की टोकरी

सब्ज़ियां या छोटा-मोटा सामान लाने के लिए हम जूट की टोकरी का इस्तेमाल कर सकते हैं.
स्टील की डोलची

दूध लाने के लिए हम स्टील की डोलची का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा प्लास्टिक के पैकेट में दूध को न पैक कर उसे कांच की बोतल में पैक किया जा सकता है. जैसे पहले के टाइम में हुआ करता था.
डेनिम का बैग

आप अपने घर पर ही इन्हें पुरानी जीन्स की मदद से बना सकते हैं. बाज़ार में भी ये आसानी से उपलब्ध हैं.
पेपर बैग

कागज़ से बने बैग भले ही मज़बूत न हों, लेकिन ये इको-फ़्रेंडली ज़रूर होते हैं.
अब आप सोच रहे होंगे कि कहने से क्या होता है, करना भी पड़ता है. तो आप इन लोगों से प्रेरणा ले सकते हैं…
1. पुणे में लोग अब मीट लाने के लिए काली पॉलिथीन का नहीं, बल्कि बर्तनों का यूज़ कर रहे हैं.
2. बेंगलुरु के एक उधमी ने एवरग्रीन नाम का बैग बनाया है. ये बैग बायोडिग्रेडेबल है, जिसे सब्ज़ियों से बनाया गया है.

3. मध्य प्रदेश के झाबुआ में महिलाओं ने बाज़ार में हाथ से बने कपड़े के थैले बांटे. ऐसा उन्होंने प्लास्टिक के बैग का उपयोग नहीं करने के मक़सद से किया है.
4. महाराष्ट्र में अब लोगों को दूध के पैकेट्स को विक्रेता को वापस करने का नियम बना दिया गया है.

जिस तरह शुद्ध वातावरण पर हमारा हक़ है, उसी तरह इसे स्वच्छ बनाए रखना हमारा कर्तव्य. इसके लिए प्लास्टिक का मोह छोड़ने से अच्छा उपाय क्या हो सकता है.