किसी ने प्यार के कसीदे पढ़े, तो कहा गया:
‘ताजमहल सा कुछ बना पाएंगे?’
किसी को अपने हुस्न पर घमंड हुआ, तो बोला गया:
‘उस संगमरमर सी ख़ूबसूरती है क्या?’
ताजमहल को सदियों से ख़ूबसूरती और मोहब्बत का पैमाना माना गया है. पीढियों की पीढियां दूर-दूर से इसका दीदार करने आती हैं. इतने सालों में ताजमहल की न जाने कितनी तस्वीरें ली गयीं हैं. इस अजूबे को हर किसी ने अलग-अलग एंगल से क़ैद किया है. किसी ने इसके गुम्बद को अपने कैमरे के लेंस से तराशा है, तो किसी ने चांदनी रात में इसकी ख़ूबसूरती को निहारा है.
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इतनी सालों में ताजमहल की अलग-अलग तस्वीरों को आपके सामने लेकर आये हैं. क्या आपको इसमें कोई बदलाव दिखा?




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