कुछ अपवादों को छोड़ दें तो आप ग़ौर करेंगे कि दुनियाभर की भाषाओं में ‘चाय’ को दो ही तरीके से बोला जाता है. पहला उच्चारण से ‘चाय’ से मिलता जुलता है और दूसरा उच्चारण ‘Tea’ से और इन दोनों की उत्पत्ति चीन से ही होती है.
इससे ये बात समझ आती है कि बाज़ार के वैश्विकरण से पहले भी भाषा का वैश्विकरण हो चुका है. आपको ये बात मज़ेदार लगेगी कि जहां-जहां ‘चाय’ ज़मीन के रास्ते पहुंची वहां उसके नाम का उच्चारण ‘चाय’ से मिलता-जुलता है, जैसे- परसियन में इसे ‘Chay’ कहा गया, जो उर्दु में ‘चाय’ बना, अरबी में ‘Shay’ रूसी में ‘Chay’ अफ़्रीका के कुछ देशों में बोले जाने वाली Swahili भाषा में इसे ‘Chai’ कहा जाता है.
जहां चाय यानी ‘Tea’ समुद्र के रास्ते पहुंची वहां इसके नाम का उच्चारण ‘Tea’ से मिलता जुलता है, जैसे- फ्रांस में ‘thé’, जर्मन में ‘Tee’, स्पेनिश में ‘té’ आदि.
अब ये कैसे हुआ इसको समझते हैं, इसके लिए ऊपर के मानचित्र को दोबारा से देखना और समझना होगा. ‘cha (茶)’ शब्द चीन की अलग-अलग भाषाओं में कॉमन है. इस वजह से सिल्क रूट से व्यापार करने वाले देश इस शब्द के संपर्क में आए और अपने देश ले गए. पर्सिया से होकर दक्षिणी देशों में फैलने से पहले ये कोरिया और जापान पहुंच चुका था और वहां भी इसका cha (茶) से मिलता-जुलता है.
अब ‘Tea’ के उत्पत्ति को समझते हैं. चीने की कई भाषाओं में ‘Tea’ को ऐसे ‘茶’ लिखा जाता है, हालांकि, अलग-अलग भाषाओं में इसका उच्चारण बदल जाता है लेकिन लिखते एक जैसे ही है.
चीन को जो समु्द्री इलाका है वहां Min Nan भाषा बोली जाती है. वहां ‘茶’ इसका उच्चारण होता है ‘te’. यूरोप से एशिया व्यापार करने आए डच अपने साथ 17वीं शताब्दी में अपने साथ ‘te’ उच्चारण ले गए और अलग-अलग यूरोप के देशों में अपनी सहूलियत से बोलने लगे.
अगर आप मैप में ध्यान से देखेंगे, तो पाएंगे कि यूरोप के कई नीले डॉट के बीच में कुछ गुलाबी डॉट भी हैं, इसका मतलब है वहां चाय का उच्चारण ‘cha’ से निकला है. ये इलाका है पुर्तगाल का, जो एशिया डच लोगों से पहले व्यापार करने आए थे. लेकिन उनका व्यापार डचों की तरह ताइवान और फ़ुजिआन से नहीं जुड़ा था. उन्होंने मकाओ से व्यापार किया जहां चाय को ‘te’ कहा जाता था.