कहते हैं पढ़ाने का पेशा एक एेसा पेशा है, जो सब व्यवसायों को जन्म देता है. बिना गुरु ज़िंदगी की गाड़ी आगे नहीं बढ़ सकती. आज आप जहां हैं, जिस पोज़िशन पर हैं, उसमें आपके गुरु का महत्वपूर्ण योगदान है. अब तक आपने किताबों और फ़िल्मों में गुरुओं की बहुत सी कहानियां पढ़ी और देखी होंगी, लेकिन आज हम आपको बताते हैं एक ऐसी शिक्षका की कहानी, जिसे जानने के बाद शायद आपकी आंखें नम हो जाएं.
दुनिया में कुछ ऐसे टीचर होते हैं, जो अपने स्टूडेंट्स का करियर बनाने के लिए अपनी ज़िंदगी पूरी तरह से उनके लिए समर्पित कर देते हैं. इसका जीता जगता सबूत है तमिलनाडु की प्राइमरी स्कूल की टीचर अन्नपूर्णा मोहन. वहां इन्हें ‘Goddess of Bread’ के नाम से भी जाना जाता है.
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अन्नपूर्णा मोहन अपने स्टूडेंट्स की फ़ेवरेट टीचर हैं/ इसकी वजह न सिर्फ़ उनके पढ़ाने का तरीका है, बल्कि इन बच्चों के लिए किया गया उनका बलिदान भी है, जिसके लिए चारों ओर उनकी काफ़ी सराहना भी हो रही है. आधुनिक सुविधा से लैस क्लासरूम अन्नपूर्णा का सपना था और अपने इस सपने को पूरा करने के लिए वो अपनी गहने बेचने से भी नहीं हिचकी. अन्नपूर्णा ने जो किया, वो काम सिर्फ़ एक मां ही अपने बच्चे के लिए कर सकती है.
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पंचायत यूनियन प्राइमरी स्कूल की तीसरी कक्षा में प्रवेश करते ही, आपको प्राइवेट स्कूल की तरह स्मार्टबोर्ड, रंगीन चेयर, अंग्रेज़ी भाषा की किताबें नज़र आएंगी. इतना ही नहीं, इस क्लास के बच्चे धाराप्रवाह अंग्रेज़ी भी बोलते हैं. इन सबके पीछे अन्नपूर्णा का महत्वपूर्ण योगदान है, जिन्होंने इस क्लासरूम को बनाने के लिए कड़ा संघर्ष किया और यहां तक कि अपनी ज्वैलरी भी बेच डाली, ताकि उनके क्लासरूम के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके.
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अन्नपूर्णा स्कूल के बच्चों द्वारा की गई क्रिएटिविटी के वीडियो फेसबुक पर अपलोड किये गए, जिसके बाद कनाडा और सिंगापुर के लोगों ने उनकी काफ़ी प्रशंशा भी की.
शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ने के बाद ही अन्नपूर्णा को यह अहसास हो गया था कि राज्य में शिक्षकों के पास वे सारे साधन उपलब्ध नहीं हैं, जो होने चाहिए और फ़िर वहीं से शुरू हो गई बदलाव की कहानी. अन्नपूर्णा अंग्रेज़ी पढ़ाने के लिए फ़नेटिक सिंबल, ग्रैमर का इस्तेमाल करने लगीं, उन्होंने क्लास में बच्चों से अंग्रेज़ी में ही बात करना शुरू किया.
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अन्नपूर्णा बताती हैं कि, ‘अपनी कक्षा के छात्रों की इंग्लिश बेहतर करने के लिए, मैं शुरू से लेकर अंत उनसे अंग्रेज़ी में ही बात करती थी. पहले तो उन्हें कुछ समझ नहीं आता था, लेकिन अब वो Response देते हैं.’
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आज की शिक्षा प्रणाली को देखते हुए हम तो यही कहेंगे कि, आप ने जो किया, उसके लिए बहुत बड़ा दिल चाहिए. हमारी तरफ़ से ऐसी शिक्षका को सलाम.