40 लोगों की टीम ने मिलकर 55 टन कूड़ा साफ़ कर दिया. इससे साबित होता है कि गंगा सफ़ाई का मिशन मुश्किल है, नामुमकिन नहीं
भारतीय संस्कृति में गंगा को जो स्थान प्राप्त है, वो शायद किसी और नदी को नहीं मिला है. यूं तो हम हर नदी को माता समान ही पूजते हैं, लेकिन गंगा तो गंगा है.

दुख की बात है कि उसी मां को दशकों से हम मलिन करते आ रहे हैं. गंगा प्रदूषण रोकने के लिए स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद ने अपने प्राण त्याग दिए. सत्ता में आने वाली हर सरकार गंगा सफ़ाई के नाम पर लाखों-करोड़ों खींच तो लेती है, लेकिन सफ़ाई के नाम पर कुछ होता नहीं है. दूसरी सच्चाई ये भी है कि गंगा की सफ़ाई जैसा बड़ा काम सिर्फ़ किसी सरकार के अकेले का काम नहीं, इसमें जनभागीदारी भी ज़रूरी है.
सरकार से सहायता का इंतज़ार किए बिना कुछ लोगों ने ही एकजुट होकर चमत्कार कर दिया है.

‘Mission Gange’ के अंतर्गत 40 सदस्यों की टीम ने 1 महीने में ही गंगा से 55 टन गंदगी साफ़ कर दी है. इस टीम ने हरिद्वार से पटना तक यात्रा की और पाया कि गंगा हर जगह प्रदूषित है.
बछेंद्री पाल के नेतृत्व में इस टीम ने असंभव को संभव कर दिखाया. इस मिशन में अलग-अलग राज्यों के स्कूली छात्रों और आम नागरिकों ने भी हिस्सा लिया.
The wonderful journey of Ms. Bachendari Pal& her team that started from Haridwar nears completion in Patna today. They visited major towns along Ganga where they carried out various shramdaans and awareness drives with the motivation to make ‘Ganga Cleaning’- a people’s movement pic.twitter.com/jyjCIZ3E3T
— Namami Gange (@cleanganganmcg) October 30, 2018
Avenue Mail को बछेंद्री पाल ने बताया,
हमें इस कैंपेन में आने वाली परेशानियों से भली-भांति परिचित थे लेकिन जनता का उत्साह देखकर हमें बहुत ख़ुशी हुई.
इन 40 सदस्यों में से 7 सदस्यों ने माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की है और सभी का यही मानना है कि गंगा सफ़ाई आसान नहीं लेकिन नामुमकिन भी नहीं है.
एक-एक उंगली जोड़ने से ही मुट्ठी बनती है. अगर हम सब एकजुट हो जाए तो गंगा की सफ़ाई संभव है.