‘Humans of Bombay’ ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर एक ऐसे युवक की कहानी शेयर की है, जिसके पिता कश्मीर की झीलों की सफ़ाई किया करते थे, लेकिन झील के विषैले पानी के कारण जब पिता की मौत हो हुई, तो बेटे ने पिता के इस काम को पूरा करने का प्रण कर लिया.
कश्मीर के बांदीपोरा ज़िले के रहने वाले इस युवक का नाम बिलाल अहमद डार है. बिलाल बचपन से ही अपने पिता के साथ कश्मीर की ‘वुलर झील’ पर कूड़ा उठाने जाया करता था. कूड़ा बीनकर जो कुछ भी कमाई होती थी उसी से परिवार का पेट पालते थे. इसलिए इलाक़े में लोग बिलाल के पिता को कबाड़ी वाले के नाम से जानते थे.
दरअसल, कई साल पहले बिलाल के पिता हमेशा की तरह झील की सफ़ाई में लगे हुए थे. इस दौरान वो नाव से फिसलकर झील में जा गिरे और उनका एक पैर बुरी तरह से जख़्मी हो गया. झील के टॉक्सिक पानी के कारण पैर के कैंसर का पता चला और कुछ समय बाद उनका निधन हो गया.
‘जब हम उन्हें डॉक्टर के पास ले गए, तो हमें पता चला कि अब्बू को पैर का कैंसर था और झील के ज़हरीले पानी के कारण ऐसा हुआ है. कुछ ही महीनों में उनका निधन हो गया. मैं 8 साल का था जब अम्मी और मेरी 2 बहनों की ज़िम्मेदारी मेरे ऊपर आ गई. अम्मी ठीक नहीं थीं, इसलिए मैंने स्कूल छोड़ दिया और अब्बू की नौकरी ले ली.
झील के ज़हरीले पानी से पिता की जान गयी है ये बात बिलाल को अक्सर चुभती थी. बावजूद इसके उसने ये काम करना जारी रखा, लेकिन बिलाल को कुछ अलग करना था. पिता की तरह झील का कूड़ा बीनकर परिवार का पेट पलना ही बिलाल का मक़सद नहीं था, बल्कि उसने ख़ुद से ‘वुलर झील’ की इस समस्या को जड़ से साफ़ करने का वादा किया था.
पिछले 7 सालों से बिलाल हर दिन सुबह 6 बजे उठकर ‘वुलर झील’ का कचरा साफ़ करने में लग जाता है. जायद के पिता ने उन्हें हमेशा ही झीलों को साफ़ रखने की सीख दी थी. इसलिए वो पिछले कई सालों से अकेले ही इनकी सफ़ाई में लगे हुए हैं.
‘मैं हर दिन सुबह 6 बजे उठकर शाम तक ‘वुलर झील’ से कूड़ा निकलने का काम करता हूं. इस दौरान मैं 10-15 किलो प्लास्टिक की बोतलें, पॉलिथीन और अन्य अपशिष्ट निकाल लेता हूं. इसके बाद मैं इसे कबाड़ीवाले को बेचता हूं. इससे मुझे प्रतिदिन 150-200 रुपये मिल जाते हैं.
बिलाल ने एक दिन झील से क़रीब 12,000 किलो प्लास्टिक कचरा निकाला. इस दौरान उसे एहसास हुआ कि अगर इस काम में कोई और भी मदद करे तो ये समस्या हमेशा के लिए ख़त्म हो सकती है. इसके बाद उसने अपने दोस्तों और अन्य छात्रों से भी झील की सफ़ाई में मदद करने का अनुरोध किया.
1 महीने बाद ही बिलाल की ये कोशिश रंग लाई. झील की सफ़ाई का काम तेज़ी से होने लगा. इलाक़े के लोग अब बिलाल को कूड़ेवाले के बजाय सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप में जानने लगे. डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म मेकर्स बिलाल के इस काम को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री भी बना चुके हैं.
बिलाल ने कहा, साल 2017 में एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म मेकर ने मुझ पर एक फ़िल्म बनाई थी. इसके बाद ‘श्रीनगर नगर निगम’ ने मुझे स्वच्छता का ब्रांड एंबेसडर भी बनाया. निगम ने मुझे जागरूकता फ़ैलाने के लिए प्रति माह 10 हज़ार रुपये भी दिए थे. पीएम मोदी ने भी मेरी तारीफ़ की थी.
साल 2017 से लेकर 2020 तक बिलाल जागरूकता फ़ैलाने के लिए कश्मीर के कई इलाक़ों में गए. वो आज कश्मीर में झीलों की सफ़ाई के सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडर बन चुके. बिलाल अपनी मेहनत से आज बड़ी बहन की शादी करा चुके है. अब वो अपनी मां को घर और छोटी बहन को किसी अच्छे कॉलेज से पढ़ाना चाहते हैं.