भारत में फांसी की सज़ा पाने वाला आख़िरी व्यक्ति था याक़ूब मेमन. 1993 मुंबई हमलों के दोषी मेमन को 30 जुलाई 2015 को भारतीय समय के अनुसार, सुबह 6:30 बजे फांसी दी गई.


एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, 2018 में भारत में 2 दशकों में सबसे ज़्यादा, 162 लोगों फांसी की सज़ा सुनाई गई पर किसी को सज़ा हुई नहीं.  

Bobhata

फांसी की सज़ा पाने वाली पहली और दूसरी महिलाएं 


हमारे देश में सज़ा-ए-मौत का प्रावधान रेयरेस्ट ऑफ़ द रेयर अपराध के लिए रखा गया था. क़ानूनी बदलावों के बाद देश के कई राज्यों में 12 से कम उम्र के बच्चों के साथ बलात्कार के दोषियों के लिए भी मौत की सज़ा तय की गई और लोगों को सज़ा सुनाई भी गई. 

फांसी की सज़ा पाने वाले अपराधी पुरुष ही रहे हैं. रेयरेस्ट ऑफ़ द रेयर केस में भारत में एक ऐसा केस सामने आया जिसके लिए दो बहनों की सज़ा-ए-मौत दी गई. पुणे की यरवदा जेल में बंद दो बहनें, रेणुका शिंडे और सीमा गावित अपनी मौत की सज़ा का इंतज़ार कर रही हैं. फांसी का दिन, वक़्त तय नहीं है पर ये आज़ाद भारत में मौत की सज़ा पाने वाली पहली और दूसरी महिलाएं बनेंगी. उनकी मां, अंजना की जेल में ही मौत हो गई.  

रेणुका और सीमा पर 13 मासूम बच्चों की हत्या का आरोप है. इस ख़ूनी खेल की शुरुआत इनकी मां अंजना गावित ने की थी.

Bobhata

मां बेटी के अपराध का सिलसिले की शुरुआत 


एक रिपोर्ट के मुताबिक़, एक ट्रक ड्राइवर के साथ कुछ दिन रहने के बाद अंजना को एक बेटी पैदा हुई, रेणुका. फिर ट्रक ड्राइवर ने मां-बेटी को छोड़ दिया और अंजना ने जैसे-तैसे अपना और अपनी बेटी का पेट पाला. 

लगभग सालभर अंजना, पूर्व सैनिक मोहित गावित से मिली. दोनों ने शादी की, अंजना को दूसरी बेटी पैदा हुई, सीमा. मोहित ने अंजना को छोड़ दिया. दो बच्चियों का पेट भरने के लिए अंजना ने छोटी-मोटी चोरियां शुरू की. जब बेटियां थोड़ी बड़ी हुई तो अंजना ने उन्हें भी चोरियां करना सिखाया. 

दिल दहलाने वाली है पहली हत्या की दास्तां 


अंजना ने एक दिन सड़क पर 18 महीने के छोटे बच्चे (संतोष) को रोते देखा और उसे उठा लिया, बच्चे को बेचकर पैसे कमाने की नीयत के साथ. बच्चे को गोद में लिए उसने मंदिर में एक आदमी की जेब काटने की कोशिश की पर धर ली गई. महिलाओं ने अंजना की पीटाई शुरू कर दी. अंजना ने आव देखा ने ताव बच्चे को ज़मीन पर पटक दिया जिसका सिर फट गया. इसके साथ ही अंजना चिल्ला-चिल्लाकर कहने लगी कि एक बच्चे की मां चोरी नहीं कर सकती. भीड़ को दया आ गई और अंजना छूट गई. शायद यही सबसे बड़ी ग़लती हो गई क्योंकि यहां से अंजना के हत्याओं का सिलसिला शुरू हुआ. अंजना के पास ज़ख़्मी बच्चा था, जो दर्द और भूख से रो रहा था. 

अंजना ने बच्चे को पकड़ा और बिजली के खंभे से दे मारा, तब तक जब तक वो मर नहीं गया. पास ही कूड़े-करकट के ढेर में फेंक वो चलती बनी. 

Blogspot

बच्चे उठाना, भीख मंगवाना और फिर हत्या 


19 नवंबर 1996 तक पकड़े जाने तक मां और बेटियों ने मिलकर कई बच्चों की हत्यायें की. उनके लिए हत्या करना किसी रोज़मर्रा के काम जैसा आसान हो गया था. ये तीनों 4 से कम उम्र के बच्चों को अगवा करती थी. क्योंकि ज़्यादातर बच्चे ग़रीब और स्लम्स के होते थे तो किसी ने भी उनके लापता होने पर इतना ध्यान नहीं दिया. चोरी करते हुए पकड़े जाने के बाद वो वही करती जो पहली बार किया था, बच्चे को पटककर भीड़ का ध्यान भटकाने का. 

Blogspot

अंजना 125 बार हुई थी अरेस्ट


एक न्यूज़ रिपोर्ट के मुताबिक़, अंजना को छोटे-मोटे जुर्म में 125 बार गिरफ़्तार किया गया था. अंजना ने पूछताछ के दौरान बताया कि वो मुंबई के ठाणे, कल्याण, कोल्हापुर और नासिक में चोरियां करतीं.

रेणुका का पति किरण, गाड़ी तैयार रखता था जिसमें वे फ़रार होती थीं. 1990-1996 के बीच लगभग इन तीनों और किरण ने मिलकर 42 बच्चों को अगवा किया. कुछ बच्चों को ऐसे ही और कुछ को ज़ख़्मी करके छोड़ा. पर अगर बच्चा उनके काम का नहीं रहता तो ये महिलाएं उसको बेदर्दी से मार देतीं. 

सिर्फ़ 5 हत्याएं हुई कोर्ट में साबित 


इन महिलाओं द्वारा की गई हत्याओं में सिर्फ़ 5 ही कोर्ट में साबित हुईं. इनमें से सबसे पहली हत्या वाला बच्चा भी शामिल है जिसे अंजना ने सड़क से बेचने के इरादे से उठाया था. 

Independent

कुछ हत्याओं की लिस्ट 


1991 में तीनों ने 9 महीने के नरेश को अगवा किया. बच्चा भूखा था और बहुत रोता था और इसीलिए तीनों ने मार-मारकर उसकी हत्या कर दी. 

एक दूसरी बच्ची, भावना को मारकर तीनों ने पॉलीथिन में बांधकर सिनेमा हॉल के बाथरूम में फेंक दिया. भावना को पानी में डूबाकर मारा गया था. 

1993 में उन्होंने 1 साल की बच्ची बंटी, 2 साल की बच्ची स्वाति को कल्याण रेलवे स्टेशन से और 2 साल के गुड्डू को मुंबई के दूसरे स्टेशन से उठाया. दोनों को मारकर शरीर को ठिकाने लगाया. 

1994 में उन्होंने 2 साल की अंजलि को नासिक से उठाया, मारा और किरन शिंडे की मदद से बॉडी ठिकाने लगाई. 

1995 में उन्होंने कोल्हापुर बस अड्डे से राजा नाम के बच्चे को उठाया और मार डाला. 

1996 में तीनों ने 4 साल के पंकज को उठाया पर वो अजनबियों से अपने माता-पिता के बारे में बात करता था. तीनों महिलाओं ने पंकज को छत से उल्टा लटकाया और दीवार पर उसका सिर तब तक मारा जब तक उसने दम न तोड़ दिया. 

News.com.au

यूं हुआ पर्दाफ़ाश 


नवंबर 1996 में अंजना ने अपने पहले पति, मोहन की बेटी, क्रांति को अगवा कर मारने का प्लान बनाया. क्रांति को तीनों ने अगवा किया, हत्या की और गन्ने के खेत में फेंक दिया. 

मोहन की पत्नी और क्रांति की मां ने पुलिस बुला ली और तीनों बेटियों के साथ किरन की गिरफ़्तारी हुई और इस ख़ूनी खेल का पर्दाफ़ाश हुआ. बहनों ने क़ुबूल किया कि मां के कहने पर उन्होंने क्रांति की हत्या की. 

इन तीनों को फांसी की सज़ा मिल गई है पर दिन, समय तय नहीं हुआ है. इन तीनों पर ज़ी-5 पर फ़िल्म भी बनी है, ‘पोषम पा’. 

Iwm Buzz