हर किसी की ज़िंदगी में ऐसे कुछ गिने-चुने लोग ज़रुर होते हैं जिनसे वे भावनात्मक तौर पर जुड़े होते हैं और उनसे बेहद प्यार करते हैं. ऐसे लोगों का ज़िंदगी से चले जाना जाहिर तौर पर बेहद कष्ट देने वाला होता है, जिनसे लोग कई बार ताउम्र नहीं उबर पाते हैं. ये मानसिक पीड़ा तब और ज़्यादा बढ़ जाती है, जब उस करीबी इंसान से आपकी शादी होने वाली हो.

अपूर्वा मोहन भी एक ऐसी ही लड़की हैं, जिन्होंने हाल ही में अपने मंगेतर को खो दिया है. एक सोशल साइट पर पूछे गए प्रश्न के जवाब में उन्होंने अपने इस दर्दनाक अनुभव को लोगों के साथ साझा किया है.

Quora

अपूर्वा ने यूं तो ख़ुद को सम्भाल लिया है, लेकिन आज भी उन्हें एक आस है कि उनका मंगेतर लौट कर ज़रुर आएगा. ये घटना बेहद दर्दनाक और भावनात्मक है, जिसे पढ़ने के बाद हो सकता है, आपकी आंखें भी थोड़ी नम हो जाए.

अपूर्वा ने Quora वेबसाइ़ट पर अपने मंगेतर के आख़िरी शब्दों को बयां किया. उन्होंने अपने मंगेतर को तीन महीने पहले एक एक्सीडेंट में हमेशा के लिए खो दिया. वे लिखती हैं कि मेरे मंगेतर का आख़िरी मैसेज था, ‘मैं तुमसे अच्छे से 5 मिनट भी ठीक से बात नहीं कर पाया उसके लिए मुझे ख़ेद है, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं, अपना ख़्याल रखना.’ इसके जवाब में मैंने कहा कि मुझे पता है ”ये सब तुम्हारा डील करने का तरीका है पर कोई नहीं, तुम गाड़ी सम्भाल के चलाना और I love you”. ये वो आखिरी वाक्य थे, जो हमेशा के लिये मेरी यादों में शामिल हो गये हैं.

मैं एक Conference के लिए शहर से बाहर गई हुई थी और मैं काम में इतनी व्यस्त थी कि मैंने उनके साथ ठीक से बात नहीं की थी. वो उस रात जल्दी सो गए थे, ताकि 4:00 बजे Ride के लिए उठ सके. उन्होनें मुझे 5 बजे मैसेज भेजा जबकि उनका एक्सीडेंट सुबह 6:30 बजे हुआ. मुझे एक्सीडेंट के बारे में उनके चाचा ने सुबह 11.30 बजे फोन पर बताया. मुझे तभी अंदेशा हुआ कि कुछ ठीक नहीं हैं क्योंकि उनके चाचा के पास मेरा नम्बर तक नहीं था.

उन्होंने कहा, ‘मैं आपको कुछ बताना चाहता हूं, सुनने के लिये आपको मज़बूत होना पड़ेगा. बस इतना सुनते ही बाकि कुछ ज़्यादा कहने की ज़रूरत नहीं थी, मैं वहीं गिर पड़ी. वो दिन मेरी ज़िंदगी का भयानक दिन था, उस एक फ़ोन कॉल ने मुझे सदमे में डाल दिया. मैं इतनी बदहवास अवस्था में थी कि मुझे ये तक याद नहीं कि उस दिन किस ने मेरा बैग पैक किया और किस ने फ़्लाइट बुक की, इसका मुझे कोई अंदाज़ा नहीं था.’

उसके बाद मेरे परिवार वालों के फ़ोन कॉल आने लगे. मुझे उस दिन का एक-एक पल याद है, जब मुझे किसी अजनबी ने फ़्लाइट में पानी दिया, मुझे याद है जब मैंने एक सैंडविच खरीदा. मेरा पूरा परिवार मुझे एयरपोर्ट पर लेने आया था, मेरी मां वहीं बिलख-बिलख के रोने लगी थीं.

मैं उस पूरी रात उनके शव के साथ बैठी रही, सारी रात मैं मां की गोदी में सिर रखकर रोती रही. मेरे साथी जो मेरे लिए चिंतित थे, वो पूरी रात मेरे आस-पास ही रहे. अगले दिन हिंदू परंपरा के अनुसार उनका क्रियाकर्म होना था. महिलाएं श्मशान में नहीं जाती हैं, लेकिन उनके चाचा मुझे और मां को लेकर गए. मैंने उस दिन देखा कि एक असहाय पिता अपने इकलौते बेटे को अग्नि दे रहा था. उन आग की लपटों को देखकर मैं आख़िरी बार फुसफुसाई कि मैं आपको बहुत प्यार करती हूं.

इस पोस्ट में अपूर्वा ने दर्दनाक घटना को शेयर करते हुए लिखा, ‘मेरे लिए ये पोस्ट लिखना बहुत मुश्किल था क्योंकि ऐसा मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी. ठीक 3 महीने हो चुके हैं, मैं आज भी पूरी तरह उबर नहीं पाई हूं. मैं उनसे बहुत प्यार करती थी और मुझे अभी भी आशा है कि वे दोबारा लौट के ज़रुर आएंगे.’ मैंने अनुभव किया है कि कुछ घावों को समय भी नहीं भर पाता है और दर्द बना रहता है.

गौरतलब है कि अपूर्वा के मंगेतर का एक्सीडेंट पुदुचेरी जाते वक्त, महाबलीपुरम के पास हुआ था. ये दुर्घटना Wrong Side से आ रही एक बस के टकराने से हुई और उनके मंगेतर की मौके पर ही मौत हो गयी थी.