आज़ाद भारत में टेलीविज़न इतिहास की असल कहानी दूरदर्शन से ही शुरू होती है. दूरदर्शन का नाम सुनते ही आज भी हम अपने अतीत की यादों में खो जाते हैं. उस दौर की हर याद आज भी हमारे लिए नायाब है. आज भले ही टीवी चैनल्स की बाढ़ आ गई हो, लेकिन उस दौर में हमारे पास मनोरंजन के लिए दूरदर्शन पर आने वाले गिने-चुने कार्यक्रम ही होते थे. दिल्ली में 15 सितंबर, 1959 को पहली बार ‘टेलीविज़न इंडिया’ की शुरुआत हुई. उस समय इसका प्रसारण हफ़्ते में सिर्फ़ तीन दिन, वो भी आधे-आधे घंटे के लिए होता था.
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साल 1975 में ‘टेलीविज़न इंडिया’ का नाम बदलकर ‘दूरदर्शन’ कर दिया गया. साल 1982 में ‘रंगीन दूरदर्शन’ की शुरूआत हुई थी. साल 1986 में शुरू हुए ‘रामायण’ और इसके बाद शुरू हुए ‘महाभारत’ के प्रसारण के दौरान हर रविवार को देशभर की सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था. कई लोग पहले घरों की साफ़-सफ़ाई करके अगरबत्ती जलाकर का ‘रामायण’ के आने का इंतज़ार करते थे. 3 नवंबर 2003 में दूरदर्शन का 24 घंटे चलने वाला समाचार चैनल शुरू हुआ. ये तो हो गयी दूरदर्शन के इतिहास की बात.
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मगर क्या आप जानते हैं कि दूरदर्शन के ‘Logo’ को किसने डिज़ाइन किया? क्योंकि इसके पीछे की कहानी भी बेहद दिलचस्प है.
1. दूरदर्शन के ‘Logo’ को एनआईडी के पूर्व छात्र देवाशीष भट्टाचार्य ने अपने 8 दोस्तों के साथ तैयार किया था. जब दूरदर्शन ने ऑल इंडिया रेडियो से अलग होने का फ़ैसला किया, उस वक़्त उनको अपना एक अलग ‘Logo’ भी चाहिए था. इसके लिए उन्होंने एनआईडी के छात्रों की एक टीम को ये ज़िम्मेदारी सौंपी.
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2. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, देवाशीष भट्टाचार्य ने इंसान की आंख के आकार का एक चित्र बनाया, जिसके दोनों तरफ़ दो घुमावदार कर्व ‘यिन और यांग’ के आकार बनाकर, इसे अपने टीचर विकास सतवालेकर को सौंप दिया.
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3. एनआईडी के आठ छात्रों और छः फ़ैकल्टी मेंबर्स के 14 डिज़ाइन में से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देवाशीष भट्टाचार्य के डिज़ाइन को चुना.
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4. देवाशीष के इस डिज़ाइन के लिए एनीमेशन एनआईडी के ही एक अन्य छात्र आरएल मिस्त्री ने तैयार किया. मिस्त्री ने देवाशीष द्वारा बनाये गए स्केच को कैमरे से शूट कर इनको तब तक रोटेट किया, जब तक कि वो एक ‘Logo’ का अंतिम रूप न ले ले. इसी आंख को आज हम ‘डीडी आई’ के नाम से जानते हैं.
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5. डीडी के ‘Logo’ के साथ जो म्यूज़िक सुनाई देता है उसे पंडित रवि शंकर ने उस्ताद अली अहमद हुसैन ख़ान के साथ मिलकर बनाया. ‘Logo’ के साथ ये धुन पहली बार 1 अप्रैल, 1976 को टेलीविज़न स्क्रीन पर सुनाई दी गयी थी.
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6. 80 और 90 के दशक में जब डीडी न्यूज, डीडी स्पोर्ट्स और कुछ रीजनल चैनल लांच हुए थे, उस वक़्त इसके Symbol या मोंटाज में भी कुछ बदलाव किये गए थे. ख़ासकर डीडी स्पोर्ट्स के मोंटाज में डिस्कस फेंकते हुए एथलीट को दिखाया गया था, जो बाद में दूरदर्शन का Symbol बन गया था.
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7. फ़र्स्टपोस्ट से बात करते हुए भट्टाचार्य ने कहा कि ‘हमने इसके लोगो और प्रतीक को बेहद सरल रखा ताकि हर किसी की समझ में आ सके. इसका Symbol विभिन्न संस्कृतियों को दर्शाता है.
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8. शुरूआत के दिनों में डीडी के ‘Logo’ के साथ ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ भी लिखा हुआ आता था, जिसे बाद में साथ हटा दिया गया था.
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डीडी चैनल शुरू होने के साथ बजने वाली वो धुन आज भी हमारी सबसे ख़ूबसूरत यादों में से एक है.