देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म पुरस्कारों के ज़रिए हर साल के देश के विभिन्न राज्यों से कई ऐसे लोग सामने आते हैं, जो गुमनाम रहकर अपने स्तर से देश में परिवर्तन लाने का नेक कार्य कर रहे हैं. इस साल भी ‘पद्म पुरस्कार’ पाने वालों में कुछ ऐसे ही नाम शामिल हैं.
Known as the ‘Encyclopedia of Forest’, Tulasi Gowda from Karnataka is a Tribal woman known for possessing endless knowledge of plants and herbs. She will be honoured with the Padma Shri Award for Social Work – Environment. #PeoplesPadma #PadmaAwards2020 pic.twitter.com/CCbOvkw0AO
— MyGovIndia (@mygovindia) January 25, 2020
पद्म पुरस्कार पाने वालों की सूची में एक नाम कर्नाटक की 72 वर्षीय प्रख्यात पर्यावरणविद तुलसी गौड़ा का भी है. ‘जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया’ के रूप में प्रसिद्ध तुलसी अम्मा ने शायद ही कभी सोचा होगा कि पर्यावरण को बचाने का जूनून एक दिन उन्हें पद्मश्री का हक़दार बनाएगा.
आज देशभर में आदिवासी महिला तुलसी अम्मा का नाम पर्यावरण संरक्षण के सच्चे प्रहरी के तौर पर लिया जाता है. तुलसी गौड़ा के ख़ुद की कोई संतान नहीं है वो अपने द्वारा लगाए गए लाखों पौधों को ही अपना बच्चा मानती हैं. बच्चों की तरह ही उनकी परवरिश भी करती हैं.
कर्नाटक के होनाल्ली गांव की रहने वाली तुलसी अम्मा कभी स्कूल नहीं गईं और ना ही उन्हें किसी तरह का किताबी ज्ञान है. बावजूद इसके उन्हें पेड़-पौधों के बारे में उनका ज्ञान अतुलनीय है. तुलसी गौड़ा के पास कोई शैक्षणिक डिग्री नहीं है, फिर भी प्रकृति से उनके प्रेम के चलते उन्हें वन विभाग में नौकरी मिली.
72 वर्षीय तुलसी गौड़ा ने 14 वर्षों की नौकरी के दौरान हज़ारों पौधे लगाए जो आज एक घने जंगल का रूप ले चुके हैं. रिटायरमेंट के बाद भी प्रकृति के प्रति उनका प्रेम नहीं रुका. वो पेड़-पौधे लगाकर पर्यावरण का बचाने की मुहिम में जुटी हुई हैं. वो अपने पूरे जीवनकाल में अब तक वे 1 लाख से अधिक पौधे लगा चुकी हैं.
दरअसल, पेड़-पौधों के प्रति तुलसी गौड़ा का ये प्रेम तब जागा जब उन्होंने विकास के नाम पर जंगलों की कटाई होती देखी. तुलसी अम्मा से पेड़-पौधों की लगातार कटाई देखी नहीं गई, इसलिए उन्होंने पौधरोपण करने का संकल्प किया. जिस उम्र में लोग अमूमन बिस्तर पकड़ लेते हैं तुलसी अम्मा पौधरोपण के कार्य में जुटी हुई हैं.
Nation’s Jewels: Meet our unsung heroes, kind and selfless souls, who have contributed to the society in the true spirit.
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) January 28, 2020
Truly deserving of the Padma Shri award, their extraordinary lives and desire to transform the nation will inspire generations to come. pic.twitter.com/sa3vKF6qhk
तुलसी अम्मा केवल पेड़-पौधे लगाकर उसे अपनी ज़िम्मेदारी ही नहीं समझती बल्कि पौधरोपण के बाद हर एक पौधे की तब तक देखभाल करती हैं, जब तक वो बड़ा पेड़ न बन जाए. वो हर पौधे को अपने बच्चे की तरह पालती हैं. किस पौधे को कब और किस चीज़ की ज़रूरत है वो इससे भलीभांति परिचित हैं. तुलसी अम्मा पौधों की विभिन्न प्रजातियों के साथ ही उनके आयुर्वेदिक लाभ के बारे में भी गहरी जानकारी रखती हैं. तुलसी अम्मा के पास प्रतिदिन कई लोग पौधों की जानकारी लेने आते हैं.
तुलसी गौड़ा इस नेक कार्य के लिए ‘इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र अवॉर्ड’, ‘राज्योत्सव अवॉर्ड’ व ‘कविता मेमोरियल’ समेत कई अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है. तुलसी अम्मा को अवॉर्ड पाने से अधिक ख़ुशी पेड़-पौधे लगाने और देखभाल करने से मिलती है. वो पिछले करीब 6 दशकों से बिना किसी लाभ के पर्यावरण को संवार रही हैं.
पद्मश्री सम्मान मिलने के बाद भी तुलसी अम्मा की ज़िंदगी में कोई खास बदलाव नहीं आया. वो इस तरह के पुरस्कारों को एक चैलेंज की तरह लेती हुई ज़िंदगी में कुछ अच्छा करने को ही असल संघर्ष मानती हैं. तुलसी गौड़ा के प्रयासों से हमें सीख मिलती है कि हमें भी पर्यावरण संरक्षण को लेकर अपनी सोच बदलनी होगी.