9/11. अमेरिकी इतिहास का एक ऐसा काला दिन जिसने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया. इस हमले में अमेरिका का मशहूर विश्व ट्रेड सेंटर तबाह हो गया था. एक समय व्यापार के सबसे बड़े केंद्र में शुमार, WTC के बर्बाद होने के कई सालों बाद तक अमेरिका उबर नहीं पाया था और इसकी बानगी 2008 में आई मंदी में देखने को मिली थी.

ट्वीन टावर का स्केल मॉडल, 18 जनवरी 1964

1. विश्व ट्रेड सेंटर को अमेरिका के आर्किटेक्ट Minoru Yamasaki ने 1960 और 1970 के दशक के दौरान बनवाया था. न्यूयॉर्क के Manhattan शहर में मौजूद ये सेंटर दरअसल सात बिल्डिंगों का एक विशाल कांप्लेक्स था.

कंस्ट्रक्शन साइट का निर्माण, 1967

2. 1972 में जब ये बनकर तैयार हुआ था, तो ट्विन टावर यानि WTC 1 (1368 फ़ीट) और WTC 2 (1362 फ़ीट) दुनिया की सबसे ऊंची इमारत थे. इन बिल्डिंग्स में 2 लाख टन से भी ज़्यादा स्टील का इस्तेमाल हुआ था. हर टावर पर 110 फ्लोर थे और 97 एलीवेटर थे.

इस कंस्ट्रक्शन साइट को सफ़ेद लाइन से चिन्हित किया गया, 1967.

3. विश्व ट्रेड सेंटर प्रोजेक्ट को जब 1973 में खोला गया था, तो वो न्यूयॉर्क के लोगों को ज़्यादा रास नहीं आया था. लेकिन समय के साथ-साथ कई कंपनियों ने ट्विन टावर में अपने ऑफ़िस खोलने शुरू कर दिए. इन ट्विन टावर्स को सुपरमैन और किंग कॉन्ग जैसी मशहूर फ़िल्मों में भी देखा जा सकता है.

जून,1969

4. स्काईडाइवर्स, स्पोटर्समैन और रोमांच के शौकीन लोग, खतरनाक स्टंट्स के लिए विश्व ट्रेड सेंटर का इस्तेमाल करने लगे. कुछ ही सालों में WTC इतना मशहूर हो चुका था कि इन्हें पोस्टकार्ड्स, टी-शर्ट और विज्ञापनों में देखा जाने लगा.

सितंबर, 1969

5. वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को एक शानदार पर्यटन स्थल के रूप में भी जाना जाता रहा है. आप इस टावर की ऊंचाई पर पहुंच कर शहर के 60 कि.मी. के हिस्से को आसानी से देख सकते थे. पर्यटक यहां आकर उत्तरी टॉवर की ऊंचाई पर पहुंच कर Windows of the World नाम के बेहतरीन रेस्टोरेंट में खाना भी खा सकते थे.

1969, टावर 1

6. WTC के ट्विन टावर दरअसल एक छोटे शहर की तरह थे. 500 से ज़्यादा कंपनियों के ऑफ़िस इस जगह मौजूद थे. बैंक, लॉ फ़र्म्स, टीवी स्टेशंस और एयरलाइंस के ऑफ़िस यहां स्थापित होते चले गए. इन दो बिल्डिंग्स में लगभग 50,000 लोग रोज़ाना काम करने पहुंचते हैं. किसी भी सामान्य दिन इन बिल्डिंग्स में 2 लाख से ज़्यादा लोगों की चहलकदमी होती थी.

मई, 1970

7. 1993 में भी वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकी हमला हुआ था. 600 किलो के बम के साथ एक ट्रक इस बिल्डिंग के बेसमेंट गैराज में घुस गया था. बम फटने के बाद कुछ स्टोरी बिल्डिंग का नुकसान हुआ था और इस हमले में 6 लोगों की मौत हो गई थी.

मई, 1979

8. लेकिन 11 सितंबर 2001 विश्व इतिहास का वो काला दिन बनकर आया, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया को सबसे ज्यादा मौतें दीं. इसके बाद अफ़ग़ानिस्तान और इराक में जो युद्द लड़े गए, उन्होंने लाखों मौतों के साथ-साथ कई पीढ़ियों को तबाह कर दिया.

ट्वीन टावर व्यू, फरवरी 1971

9. इस हमले के बाद इस्लामोफ़ोबिया ने दुनिया में माहौल ख़राब किया, तो अमेरिका से लड़ने के नाम पर अल कायदा के बाद ISIS जैसे कट्टरपंथी आतंकवादी संगठन खड़े हो गए. ये जंग लीबिया से गुजरते हुए आज सीरिया तक पहुंच गई है और आस-पास के सभी देशों में लगातार गृह युद्ध की स्थिति बनी हुई है.

कंस्ट्रक्शन के समय ट्वीन टावर

10. आतंकी संगठन अल कायदा के 19 आतंकियों ने अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, पेंटागन और पेन्सिलवेनिया में दुनिया के सबसे बड़े और प्रभावी आतंकी हमले को अंजाम दिया था. आतंकियों ने 4 पैसेंजर एयरक्राफ्ट हाईजैक किए थे, जिनमें से 3 प्लेन सही निशाने पर लगे और सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस हमले में 2983 लोगों की मौत हो गई थी.

11. इस घटना में टॉप फ़्लोर्स को ज़्यादा नुकसान नहीं पहुंचा, लेकिन वे इतने ज़्यादा भारी थे कि पूरी बिल्डिंग भरभरा कर गिर गई. हालांकि विश्व ट्रेड सेंटर जितनी देर इस हमले को झेल पाया, उतने समय में हज़ारों लोग बिल्डिंग खाली कर चुके थे. Lower फ़्लोर्स में मौजूद 99 प्रतिशत लोग बिल्डिंग के गिरने से पहले घटनास्थल से निकल चुके थे, वर्ना ये हमला और भी ज़्यादा भयंकर हो सकता था.

12. आतंकियों ने 2 यात्री विमान वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के टॉवर में घुसा दिए थे. वहीं, तीसरे विमान से पेंटागन पर हमला किया गया, जबकि चौथा प्लेन पेन्सिलवेनिया में क्रैश हो गया था. इस हमले में 400 पुलिस अफ़सरों और फ़ायर फ़ाइटर्स समेत 2983 लोगों की मौत हुई थी.

13. इस हमले में मरने वालों में 57 देशों के लोग शामिल थे. हमले के पीछे अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन का हाथ था. हमले का बदला लेते हुए अमेरिका ने 2 मई, 2011 को पाकिस्तान के ऐबटाबाद में ओसामा को मार गिराया था. अमेरिका सहित पूरी दुनिया को झकझोर देने वाले इस हमले के बाद अमेरिका ने अपनी सुरक्षा नीतियों में कड़े बदलाव किए.

14. अमेरिकन एयरलाइन्स, Flight 11 में चढ़े आतंकी मोहम्मद अटा ने अपने साथियों के साथ प्लेन को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के नॉर्थ टावर के 93-99 फ्लोर से क्रैश कर दिया. इस क्रैश में सारे पैसेंजर्स तो मारे ही गए, बिल्डिंग में भी सैकड़ों लोगों की मौत हो गई.

15. जिस वक्‍त पेंटागन से विमान टकराया था, उसके कुछ देर बाद ही आतंकियों ने हाईजैक किए गए दो विमानों को न्‍यूयॉर्क के वर्ल्‍ड ट्रेड सेंटर से टकरा दिया. वहीं अगवा किया चौथा विमान एक खेत में क्रैश हो गया था. दरअसल इस विमान में सवार यात्रियों को आतंकियों के मंसूबों का पता चल गया था, जिसके बाद उन्‍होंने आतंकियों पर काबू पाने की कोशिश की, जिसके चलते ये विमान एक खेत में क्रैश हो गया था.

16. आइआइआर की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘अल कायदा मार्च-अगस्त 2000 के बीच फ्रैंकफ़र्ट अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने वाली किसी फ्लाइट को अगवा करने की योजना बना रहा था. लेकिन इस चेतावनी को नज़रअंदाज़ कर दिया गया, क्योंकि किसी को भी इस बात पर यकीन नहीं था कि अल कायदा सरगना, ओसामा बिन लादेन या तालिबान इस तरह के किसी षडयंत्र को अंजाम दे सकते हैं.’

17. इस हमले के बाद अमेरिका में अफ़रातफ़री मच गई थी. व्हाइट हाउस को खाली करा दिया गया था और पूरे देश में एयर ट्रैफ़िक को कुछ समय तक बंद कर दिया गया था. न्यूयॉर्क में स्टॉक एक्सचेंज बिजनेस बंद पड़ गया था और कई पर्यटन स्थलों को भी कुछ दिनों के लिए बंद करा दिया गया था.

18. हवाईजहाज़ के टावर के टकराने की वजह से भीषण आग लग गई थी, जो बिल्डिंग के कई फ़्लोर्स पर फ़ैलनी शुरु हो गई. बिल्डिंग के ऑफ़िस में मौजूद फ़र्नीचर, लकड़ी और पेपर के आग पकड़ने की वजह से ये आग तेजी से फ़ैलने लगी थी. बिल्डिंग में हालांकि ऑटोमैटिक स्प्रिंकलर सिस्टम मौजूद था, लेकिन ये केवल छोटी आग से ही निपटने में ही कारगर था. आग की वजह से बिल्डिंग का तापमान, 1000 डिग्री सेल्सियस से भी ज़्यादा हो गया था, जिसकी वजह से स्टील से निर्मित ये जगह बेहद कमज़ोर पड़ने लगी थी.

19. 11 सितंबर 2001 ने अमेरिका ही नहीं, पूरी दुनिया को बदल कर रख दिया. इस घटना के बाद लोगों की निजता को कुछ हद तक अमेरिका ने सीमित कर दिया. मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय कानूनों में अमेरिका ने कटौतियां करना शुरु कर दिया था. नाईन इलेवन सिर्फ ऐतिहासिक चेतावनी नहीं था. ये एक ऐसा दिन था जिसने आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष और इसी की आड़ में कई देशों पर त्रासदियों की नींव रख दी थी.