दुनिया की सबसे बड़ी फ़ौज के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है. चीन 21.83 लाख सैनिकों के बाद भारत 13.62 लाख सैनिकों के साथ विश्व में दूसरे नंबर पर है. जबकि सैन्य ताक़त के मामले में अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथे नंबर पर है.

भारत की तीनों सेनाओं के काम करने का तरीक़ा भले ही एक दूसरे से अलग हो, लेकिन उन सभी की पहचान देश के वीर सैनिक के तौर पर होती है. कोई ज़मीन पर रहकर देश की सीमाओं की रखवाली करता है, तो कोई हवा में रहकर, तो वहीं कोई पानी में रहकर भारत के दुश्मनों पर पैनी नज़र रखता है.

आज हम भारतीय सेना की उस ताक़त की बात करने जा रहे हैं जो हमारी तीनों सेनाओं की पहचान है. क्या आप जानते हैं भारत की तीनों सेनाओं के सैल्यूट करने के तरीक़े अलग-अलग होते हैं?

आख़िर क्यों है भारत की तीनों सेनाओं के सलामी देने के तरीक़ों में असमानता? चलिए जानते हैं.
1. भारतीय थल सेना
भारतीय थलसेना के जवान खुली हथेली को माथे से लगाकर सैल्यूट करते हैं. इस दौरान जवानों की हथेली पूरी तरह से खुली रहती है. बीच वाली अंगुली क़रीब -क़रीब हैटबैंड या भौंह को छू रही होती है. ये अपने सीनियर के प्रति सम्मान जताने का तरीक़ा भी है. इस तरीक़े के सैल्यूट का मतलब होता है की उनके हाथ में कोई हथियार नहीं है और उनके इरादे नेक हैं.

2. भारतीय वायु सेना
भारतीय वायु सेना के जवान खुली हथेली को 45 डिग्री के एंगल पर झुकाकर सलामी देते हैं. सल्यूट के दौरान हाथ की ये स्थिति आसमान की ओर बढ़ते वायुसेना के कदम को दर्शाती है. मार्च 2006 से पहले ‘इंडियन एयर फ़ोर्स’ के सैल्यूट करने का तरीका ‘इंडियन आर्मी’ की तरह ही था, लेकिन मार्च 2006 के बाद इसे बदल दिया गया.

3. भारतीय नौसेना
इंडियन नेवी में सलामी खुली हथेली को ज़मीन की तरफ़ झुकाकर दी जाती है. नौसेना में सैल्यूट के लिए हथेली को सिर के हिस्से से कुछ इस तरह से टिकाकर रखा जाता है कि हथेली और ज़मीन के बीच 90 डिग्री का एंगल बनें. इसके पीछे की कहानी भी दिलचस्प है. सालों पहले जहाज़ों पर काम करने से नौसैनिक के हाथ गंदे हो जाते थे. इसलिए सल्यूट करते समय उनका हाथ नीचे होता था, ताकि गंदगी न दिखे और सीनियर का अपमान भी न हो.

जय हिंद…