डॉग्स सिर्फ़ रखवाली या हमारे Pet के लायक नहीं होते हैं, बल्कि वो सरहद पर हमारी रखवाली भी करते हैं. इतना ही नहीं लाइका नाम की एक डॉगी ने तो अंतरिक्ष पर जाकर एक अलग ही मिसाल क़ायम की है. दरअसल, 1957 में 3 नवंबर को रूस ने स्पुटनिक-2 नाम के अंतरिक्षयान में लाइका को अंतरिक्ष भेजा था. लाइका ने स्पुटनिक-2 में बैठकर धरती के चक्कर भी लगाए थे. लाइका को परीक्षण के तौर पर इस मिशन पर भेजा गया था. इस मिशन का मकसद अंतरिक्ष में किसी इंसान को भेजना कितना सुरक्षित है और वहां की स्थिति कैसी है, ये जानना था. लाइका ने इस मिशन को पूरी ईमानारी और बहादुरी से पूरा किया, लेकिन जीवित वापस नहीं पाई.

इस मिशन और लाइका से जुड़ी ऐसी ही कुछ ख़ास बातें आपको बताते हैं.

1. क्या है सुसाइड मिशन? 

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ये मिशन मानवता के लिए बड़ा बलिदान साबित हुआ था. इसे सुसाइड मिशन इसलिए कहा गया, क्योंकि इसमें शामिल वैज्ञानिकों को अंदाज़ा था कि लाइका का धरती पर ज़िंदा वापस लौटना संभव नहीं है. उन्होंने जो अंतरिक्षयान बनाया था, उसमें तक़नीकी ख़ामी थी. तक़नीकी रूप से वो रॉकेट इतना सक्षम नहीं था कि धरती पर वापस लौट सके. दरअसल, सोवियत लीडर Nikita Khrushchev की डिमांड पर जल्दबाज़ी में रॉकेट को तैयार किया गया था. जल्दबाज़ी की वजह से उसको तक़नीकी रूप से ज़्यादा सक्षम नहीं बनाया जा सका था. क्योंकि Khrushchev चाहते थे, कि बोल्शेविक क्रांति की 40वीं जयंती पर मिशन को लॉन्च करना ज़्यादा फ़ायदेमंद रहेगा.   

मगर, पहले जो योजना बनाई गई थी, उसमें लाइका के धरती वापस लौटने के पूरे इंतज़ाम किए जाने थे. ज़्यादा अडवांस्ड स्पुटनिक-2 के निर्माण पर काम चल रहा था, लेकिन दिसंबर से पहले उसको तैयार करना संभव नहीं था.

2. लाइका, वो पहली जानवर थी

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वैसे, माना तो यही जाता है कि लाइका पहली जानवर थी, जो अंतरिक्ष पर गई थी. मगर ये पूरी तरह से सही नहीं है. क्योंकि लाइका से पहले भी कई जानवर अंतरिक्ष पर भेजे गए थे. हां, ये ज़रूर सही बात है कि लाइका पहला जानवर थी जो धरती के कक्ष में पहुंची. पहले जो भेजे गए थे, वो धरती के कक्ष में नहीं भेजे गए थे. 

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एक बहुत ही रोचक बात ये थी कि सोवियत रूस ने अल्बिना नाम की एक डॉगी को भी लाइका के साथ भेजा था, जो लाइका का बैकअप थी. मगर वो आधे रास्ते से वापस आ गई थी. हालांकि रिपोर्ट्स की मानें, तो स्पुटनिक-2 में पहले अल्बिना को ही भेजनी की योजना बनाई गई थी, फिर बाद में शांत स्वभाव की वजह से लाइका को चुना गया था.  

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आपको बता दें, जो पहले भेजे गए उनमें 1947 में काफ़ी ऊंचाई पर रेडिएशन के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए V2 रॉकेट में फ़्रूट फ़्लाइज़ को भेजा गया था. फिर अगले साल उसी विमान में रीसस प्रजाति के बंदर को भेजा गया था. 

3. इस तरह दिया गया लाइका को प्रशिक्षण

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स्पुटनिक-2 का साइज़ एक वॉशिंग मशीन से थोड़ा बड़ा था. इसलिए लाइका को छोटे-छोटे पिंजरों में प्रशिक्षण दिया गया. ताकि स्पुटनिक-2 के अंदर वो खुद को जीवित रख पाए. 

4. जाने से पहले लाइका डर रही थी लाइका

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जब लाइका को रवाना करने का समय आया उससे पहले वो बहुत डरी और नर्वस थी. उसके धड़कन और सांसें सामान्य से तीन से चार गुना तेज़ चलने लगीं थी. क्योंकि वो समझ नहीं पा रही थी, कि उसके साथ हो क्या रहा है. फिर थोड़ी देर बाद वो सामान्य हो गई.  

5. प्यार और भावपूर्ण दी गई विदाई

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लाइका को अंतरिक्ष मिशन पर जाने से पहले उसके बच्चों से मिलवाया गया उनके साथ खेलने दिया गया. इसके अलावा पूरी टीम ने उसे बहुत प्यार किया और गुडबाय कहकर इसकी नाक को चूमकर अंतरिक्ष के लिए रवाना किया गया.

6. लाइका की मौत पर फ़ैली अफ़वाहें

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लाइका की मौत एक ऐसा सवाल थी जिसने कई सारी अफ़वाहों को जन्म दिया. किसी को लगता था, कि बेहोश करने के लिए जो ज़हर तैयार किया गया था उसे खाने से हुई थी. कुछ ने बताया कि दम घुटने से उसकी मौत हुई तो कुछ का कहना था कि बैट्री फ़ेल होना उसकी मौत का कारण बना. 

7. कैसे हुई थी लाइका की मौत?

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लाइका की मौत का असल कारण 2002 में सोवियत वैज्ञानिक दिमित्री मालाशेनकोव ने World Space Congress में बताया. उनका कहना था, अंतरिक्षयान का तापमान बढ़ने के कारण उड़ान के चौथे सर्किट के दौरान सात घंटे के अंदर लाइका की मौत हो गई थी. क्योंकि अंतरिक्षयान को जल्दी में बनाया गया था इसलिए उसमें तापमान नियंत्रण प्रणाली सही से नहीं लगाई जा सकी थी, जिस वजह से सिस्टम फ़ेल हो गया. स्पुटनिक-2 गर्म होता गया और 100 डिग्री फ़ारेनहाइट तापमान को पार कर गया. अंतरिक्षयान के अंदर का तापमान काफ़ी बढ़ने के बाद एक बार फिर लाइका डर गई और फिर वैज्ञानिकों ने उसकी धड़कन को तेज़ होते सुना और शांत होते भी. 

स्पुटनिक-2 पांच महीने तक अंतरिक्ष में रहा. 14 अप्रैल, 1958 को जब वो धरती पर लौटने लगा, तो विस्फ़ोट के बाद लाइका के अवशेषों के साथ टुकड़ों में बंट गया. 

8. मिशन की उपलब्धि

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लाइका ने अपनी जान का बलिदान देकर उस मिशन को पूरा कर दिया और वैज्ञानिकों को इस बात का भरोसा हो गया कि अगर किसी प्राणी को बाहरी अंतरिक्ष में पूरी तैयारी के साथ भेजा जाए, तो फिर अंतरिक्ष में ज़िंदा रहना भी मुश्किल नहीं है.

9. Laika Magzine

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यूनाइटेड स्टेट में लाइका के नाम की एक मैगज़ीन प्रकाशित होती है, जिसका नाम Laika Magzine है और वो ‘Vegan Lifestyle And Animal Rights Mmagazine’ पर आधारित है. लाइका आज भी इन कहानियों में, यूट्यूब वीडियोज़ में कविताओं और क़िताबों के रूप में हमारे बीच जीवित है.

ग़ौरतलब है कि, हर साल क़रीब सौ मिलियन जानवर लैब टेस्टिंग, जैसे जीव विज्ञान की क्लासेज़, मेडिकल ट्रेनिंग, विज्ञान प्रयोग और रासायनिक, दवा, भोजन और कॉस्मेटिक प्रयोंगो के चलते मर जाते हैं. क्योंकि जानवरों को एक वस्तु के रूप में देखा जाता है. 

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लाइका तुम्हारा बलिदान खाली नहीं जाएगा. तुम हमारे दिलों में हमेशा रहोगी.

तुम्हारी बहादुरी को हमारा दिल से सम्मान!