एक 60 साल का टैक्सी ड्राइवर, जो 53 की उम्र तक न लिख सकता था, न ही पढ़ सकता था. Tony Moloney बचपन से Dyslexia से जूझ रहे थे. उन्हें पढ़ाई के दौरान शब्द समझने में काफ़ी दिक्कत होती थी. ये वही बीमारी है, जो फ़िल्म ‘तारे ज़मीं पर’ में इशान अवस्थी को थी. Youghal के रहने वाले Tony की तरक्की के सामने भाषा एक बड़ी समस्या बनी रही.

पढ़ाई के दौरान ही टोनी ने Pfizer नाम की दवाई की कम्पनी में इंटरव्यू दिया, लेकिन दूसरे राउंड में बाहर हो गया. बाद में टोनी एक पेंटर और डेकोरेटर के साथ काम सीखने लगे. ये काम जब उन्हें नहीं जमा तो वो बाद में टैक्सी चलाने लगे.

क्या थी समस्याएं?

टैक्सी चलाते वक़्त भी टोनी की बीमारी काफी आड़े आती थी. उन्हें रेडियो पर पता दिया जाता था, तो वो लिख नहीं पाते हैं. इसके लिए उन्होंने रेडिया का संदेश आपने रिकॉर्डर में रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया था. लोगों का नाम वो याद कर के काम चलाते थे. टोनी ने बताया कि-

 मैं खुद को अकेला महसूस करने लगे थे. जब आपको मालूम हो कि आप ही हैं वो जिसे पढ़ना लिखना नहीं आता, तो आपको लगातार ये डर रहता है कि ये बात किसी को पता न चल जाए. मैं नहीं चाहता था कि मेरे बच्चों को भी ये पता चले, मेरी पत्नी को ये पता था और उसने इस बात को सबसे छिपा कर रखा.

कैसे बदल गई टोनी की ज़िन्दगी?

सात साल पहले टोनी को एक विज्ञापन से मुफ़्त कम्प्यूटर क्लास के बारे में पता चला. ये क्लास खास बुज़ुर्गों के लिए थी. टोनी ने इसमें दाखिला लेने का फ़ैसला किया. टोनी जब क्लास के लिए जाने लगे, तब उनके टीचर को उनकी बीमारी का पता चला. टीचर ने उन्हें भाषा के लिए पर्सनल ​ट्यूटर लगाने की सलाह दी. इस पर्सनल क्लास के मात्र देढ साल बाद टीनी का आत्मविश्वास लिखने पढ़ने के लिए जाग गया. कुछ ही समय में वो उनकी उम्र के कई लोगों के साथ Group Discussion करने लगे.

टोनी ने कहा कि-

मुझे खुद विश्वास नहीं हो रहा कि मैं एक घंटे तक बोलता रहा. अगर मुझे किसी चीज पर गर्व है तो ये कि मैं FETAC Level 3 इम्तिहान में बैठा था.

टोनी के जीवन से हम ये सीख सकते हैं कि सीखने की न कोई उम्र होती है, और आत्मविश्वास के आगे कोई बीमारी खड़ी नहीं रह सकती.