होली रंगों का त्यौहार है, जो हमारे देश में पूरे जोश से मनाया जाता है. मार्च का महीना आते ही लोगों के सिर पर होली का ख़ुमार दिखाई देने लगता है. बच्चे तो कुछ दिनों पहले से ही पिचकारी और रंगों की डिमांड करने लगते हैं. इनसे बचकर आपको ऑफ़िस पहुंचना होता है. ख़ैर, ये तो बात हुई इसकी तैयारियों की, लेकिन क्या आपने रंगों के इस त्यौहार को बिना रंग के यानी ब्लैक एंड वाइट रंगों में इमैजिन किया है? 

नहीं, हमने किया है और यकीन मानिए इसके रिज़ल्ट बहुत ही शानदार हैं. आप भी देखिए…  

बहन थोड़ा सा रंग लगाना. 

मुझे तो पूरा ही रंग डाला.

मुझसे बचकर कहां जाओगे. 

मैं तैयार हूं.

मेरा जवाब

अंडा नहीं फोड़ना था यार.

होली पर पार्टी तो बनती है. 

यार पानी नहीं डालना था, मैं सूखी होली खेलता हूं. 

आंखें बचा के दोस्त.

मैं इस तरह ख़ुद को रंगों से बचाऊंगा. 

देखो हमारे दांतों में रंग लगा है के नहीं. 

होली मिलन. 

मारवाड़ी होली. 

होली मैंने खेल ली आज. 

हैप्पी होली.

इसे कहते हैं रंगों के साथ खेलना. 

देखो मां मैं होली खेलकर आया हूं.   

मेरी आंख बच गई बस. 

मेरी भी बारी आएगी. 

नमस्कार, मैं आपके साथ होली खेलने आया हूं. 

मेरे चेहरे पर रंग कैसे लग रहे हैं.

मेरी मूंछे नहीं रंगी किसी ने. 

बच के रहना रे बाबा. 

लो मैं खड़ा हूं, तुम जितना चाहे रंग डाल लो. 

पैर भी रंग डाले.

सिल्वर कलर मत लगाओ यार, ये छूटता नहीं है. 

गांव की होली. 

ऐसी होली खेली है कभी?

मेरे हाथ में कुछ नहीं है.

ये कल्पना थी, पर आप होली रंगों के से साथ ही खेलना!