‘सचिन- ए बिलियन ड्रीम्स’ में एक डायलॉग है, जिसमें सचिन के पापा उन्हें ये शिक्षा देते हैं कि ‘तुम जीवन में चाहे कुछ भी बनो, लेकिन तुम्हारी पहचान इस बात से याद रखी जाएगी कि तुम कैसे इंसान थे’. यानि इंसान चाहे कुछ भी बने लेकिन उसे हमेशा ज़मीन से जुड़ा रहना चाहिए. कहते हैं कि इंसान चाहे कोई भी मुकाम हासिल कर ले. वो अपने करियर के शुरुआती दौर को कभी नहीं भूलता. आज टीचर्स-डे है इसी मौके पर हम आपको ऐसी कुछ हस्तियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपने करियर की शुरुआत में टीचर थे.
कादर ख़ान
बॉलीवुड के फ़ेमस एक्टर कादर ख़ान एक्टिंग में आने से पहले टीचर थे. यही नहीं उन्हें एक्टिंग का पहला ब्रेक ही एक शिक्षण संस्थान में मिला था. वो 70 के दशक के शुरूआती दौर में मुंबई के एम.एच.साबू. सिद्दकी कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग कॉलेज में बतौर सिविल इंजीनियर प्रोफ़ेसर पढ़ा चुके थे. कॉलेज के ही एक एनुअल-डे पर जब कादर ख़ान स्टेज पर परफ़ॉर्म कर रहे थे, तो ऑडियंस में बैठे दिलीप कुमार ने उनकी एक्टिंग को नोटिस किया था, जिसके बाद उन्होंने कादर ख़ान को पहला ब्रेक दिया था.
बलराज साहनी
बलराज साहनी बॉलीवुड सिनेमा के शुरुआती दिनों के जाने-माने एक्टर रहे हैं. एक्टिंग में आने से पहले बलराज साहनी एक टीचर थे. साल 1930 में वो अपनी पत्नी के साथ रावलपिंडी छोड़कर बंगाल आ गए थे. जहां उन्होंने रबींद्रनाथ टैगौर की विश्व भारती यूनिवर्सिटी में बतौर शिक्षक छात्रों को पढ़ाया था.
प्रेमचंद
मुंशी प्रेमचंद को कौन नहीं जानता. हिंदी के इस महान साहित्यकार के करियर की शुरुआती एक शिक्षक के रूप में हुई थी. जब वो एक किताब की दुकान पर किताबें लेने गए हुए थे, तो चुनार के मिश्नरी स्कूल के हेडमास्टर ने उन्हें बच्चों को शिक्षित करने की जॉब ऑफ़र की थी. प्रेमचंद जी की शुरुआती सैलरी 18 रुपये महीना थी.
राजनाथ सिंह
भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह पॉलिटिक्स में आने से पहले फ़िज़िक्स के टीचर रह चुके हैं. मिर्जापुर, जहां वो टीचर थे, वहीं से उन्होंने अपना पहला चुनाव जीता था.
डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम
भारत के पूर्व राष्ट्रपति, साइंटिस्ट लेकिन उससे पहले एक टीचर. एक नामी कंपनी के एडिटर ने अपने पर्सनल एक्सपीरियंस को शेयर करते हुए लिखा था कि जब वो उनका इंटरव्यू लेने गए, तो उन्हें कलाम साहब ने कह दिया था कि कारपेट पर बैठ जाओ और ख़ुद टीचर की तरह कुर्सी पर बैठ गए थे. उनके सोशल पोस्ट पर लिखा कि उन्होंने सोचा था कि तीखे सवाल पूछकर वो उनकी क्लास लेंगे, लेकिन ख़ुद उनकी क्लास लग गई थी. यही नहीं वो कई बार स्कूलों में बच्चों को लेक्चर दिया करते थे. उनका ख़ुद ये मानना था कि उन्हें पढ़ाना सबसे अच्छा लगता है. हालांकि वो पेड टीचर तो नहीं थे लेकिन अपने शौक के लिए वह अक्सर बच्चों को पढ़ाया करते थे.