राजधानी. किसी देश की हो या फिर राज्य की, सत्ता का मुख्य केंद्र होती है. सत्ताधीशों का वो आंगन, जहां से राजनीति के सारे खेल खेले जाते हैं. इसके साथ ही ये राज्य की भव्यता की भी गवाह होती हैं. एक शहर का राजधानी बन जाना, उसके विकास की अपने आप में एक गारंटी होता है. यही वजह है कि लोग समय-समय पर अपने शहर को राजधानी बनाने की मांग उठाते रहते हैं.   

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आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की कैबिनेट ने जनवरी 2020 में राज्य के लिए तीन राजधानियों के प्रस्ताव को मंजूरी दी और हाल ही में, राज्यपाल विश्वासभान हरिचंदन द्वारा इसे स्वीकार कर लिया गया. नई योजना के अनुसार, क्रमशः विशाखापत्तनम, अमरावती और कुरनूल शहर कार्यकारी, विधायी और न्यायिक राजधानियां होंगे.  

अब तमिलनाडु सरकार ने भी दूसरी राजधानी के लिए प्रस्ताव पेश किया है. लोगों का दावा है कि मदुरै को राजधानी बनाया जा सकता है. ये पूर्व मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन के समय से चर्चा का विषय रहा है. राज्य के अधिकारियों का मानना है कि इससे चेन्नई पर दबाव कम होगा और राज्य के दक्षिणी जिलों में औद्योगिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा.  

एक ही राज्य की कई राजधानियां बनाने का उद्देश्य क्या है?  

आंध्र प्रदेश के मामले में राजधानी के लिए प्रस्तावित तीनों शहर एक दूसरे से बहुत दूर हैं. कुरनूल और विशाखापत्तनम, अमरावती से 700 किमी की दूरी पर हैं. अधिकारियों का मानना है कि अलग-अलग राजधानियां होने से विभिन्न और विविध चैनलों के माध्यम से आर्थिक विकास को फैलाने में मदद मिल सकती है. राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के लिए एक से अधिक राजधानी होने से उसके आसपास के शहरों और गांवों में विकास के अंतर को कवर करने में मदद मिलती है.  

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हालांकि, भारत के लिए ये कोई नई बात नहीं है. उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश प्रयागराज को न्यायिक राजधानी और लखनऊ को प्रशासनिक राजधानी मानता है. विभिन्न शहरों में सरकार की कई शाखाएं होने से क्षेत्रों के विकास में मदद मिल सकती है, जो राजधानी से बहुत दूर हैं.   

आज हम आपको बताएंगे उन राज्यों के बारे में जिनकी एक से ज़्यादा राजधानियां हैं, साथ ही उनको राजधानी के तौर पर मान्यता देने के पीछे की वजह क्या है?  

1-महाराष्ट्र  

महाराष्ट्र की दो राजधानियां हैं. एक मुंबई और दूसरी नागपुर, जिसे बाद में शीतकालीन राजधानी बनी.   

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वजह?

राज्यों का पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के द्वारा भारत के राज्यों को भाषाओं के आधार पर विभाजित किया गया. मराठी भाषियों ने अपने लिए एक अलग राज्य की मांग की और आखिरकार बॉम्बे राज्य को महाराष्ट्र और गुजरात में विभाजित किया गया.  

28 सितंबर 1953 को भारतीय राजनीतिक नेताओं ने एक समझौता किया, जिसे ‘नागपुर समझौता’ कहा गया. इसके चलते तत्कालीन बॉम्बे राज्य, मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों, तत्कालीन हैदराबाद राज्य और विदर्भ से मराठी भाषी क्षेत्रों के साथ महाराष्ट्र का निर्माण हुआ.  

मुंबई से 1,000 किमी दूर होने के कारण विदर्भ के लोगों को शक था कि उन्हें विकास और समानता के समान अवसर मिलेंगे, इसलिए नागपुर को दूसरी राजधानी बनाना तय हुआ. इसके साथ ही कहा गया कि शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभाओं का आयोजन नागपुर में होगा और विदर्भ की आबादी के मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा.  

2-कर्नाटक  

बेलगावी, जिसे पहले बेलगाम के नाम से जाना जाता था, जो उत्तरी कर्नाटक का एक शहर है. ये बेंगलुरु के बाद 10 लाख लोगों के साथ दूसरा सबसे ज़्यादा आबादी वाला ज़िला है. इसे आधिकारिक तौर पर राजधानी घोषित नहीं किया गया, लेकिन इस शहर को कर्नाटक की दूसरी राजधानी माना जाता है.  

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वजह?  

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बेलागवी को दूसरी राजधानी बनाने का कारण ये था कि इस शहर के साथ ही उत्तरी कर्नाटक के अन्य हिस्सों को विकास के मामले में उपेक्षित किया गया था. लोगों ने महसूस किया कि इस क्षेत्र की आबादी बढ़ रही थी, लेकिन शहर के बुनियादी ढांचे में बहुत कम या कोई सुधार नहीं हुआ था. टाइम्स ऑफ इंडिया के एक लेख से पता चलता है कि ये कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच एक राजनीतिक स्थिति के कारण था.  

साल 2012 में एक राज्य विधानसभा भवन ‘Suvarna Vidhana Soudha’ बेलगावी में बनाया गया, जहां राज्य की विधानसभा के शीतकालीन सत्र आयोजित किए जाते हैं.  

3-जम्मू और कश्मीर  

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में भी दो राजधानियां हैं. ग्रीष्मकाल में श्रीनगर और सर्दियों में जम्मू. हर साल मई से अक्टूबर तक सभी विधायी बैठकें श्रीनगर में आयोजित की जाती हैं और नवंबर से अप्रैल तक वे जम्मू में स्थानांतरित हो जाते हैं, जो राज्य की शीतकालीन राजधानी है.  

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वजह?  

हर साल होने वाले इस शिफ़्ट को ‘दरबार मूव’ के नाम से जाना जाता है. इसे 19 वीं शताब्दी में जम्मू और कश्मीर के महाराजा रणबीर सिंह द्वारा स्थापित किया गया था और इस कदम के पीछे रणनीतिक और जलवायु संबंधित अलग-अलग कारण हैं.  

साल 1846 में अमृतसर की संधि पर हस्ताक्षर होने के बाद जम्मू और साथ ही कश्मीर के क्षेत्र डोगरा साम्राज्य के अधीन आ गए, जो राजा का वंश था. कश्मीर के लोगों को खुश रखने के लिए श्रीनगर और जम्मू दोनों को राज्य की राजधानियां बनाया गया था और तय हुआ कि दोनों स्थानों पर 6 महीने के लिए सभा होगी. इस फ़ैसले का दूसरा कारण श्रीनगर में पड़ने वाली सर्दी थी, जिसके चलते यहां सर्दियों में सभा करना मुश्किल होता था.  

4-हिमाचल प्रदेश  

हिमाचल प्रदेश की भी दो राजधानियां हैं. पहली धर्मशाला और दूसरी शिमला है, जिसे ग्रीष्मकालीन राजधानी माना जाता है. क्योंकि हिमाचल में सर्दियों के दौरान बर्फ़बारी और भूस्खलन देखने को मिलता है.   

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तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 2017 में आधिकारिक रूप से घोषणा की थी कि धर्मशाला शहर दूसरी राज्य राजधानी होगा. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पूर्व सीएम का मानना था कि इस राजधानी को बनाने से राज्य के निचले इलाकों – कांगड़ा, चंबा, हमीरपुर और ऊना जिलों में सुधार होगा और उन लोगों को लाभ होगा जिन्हें अपने काम के लिए शिमला तक लंबा सफ़र तय करना पड़ता था.  

जिस तरह नए राज्यों को ज़्यादातर प्रशासनिक कारणों से बनाया गया था, वैसे ही एक से अधिक राजधानी का विचार भी प्रशासन में आसानी लाने के लिए, इन राज्यों में दूरदराज के क्षेत्रों में विकास के लिए, और सांस्कृतिक महत्व के लिए सामने आया. ऐसे में ये बात भले ही नई लगे लेकिन ये चीज़ें दशकों से चल रही हैं.   

5-उत्तराखण्ड  

अब उत्तराखण्ड की भो दो राजधानियां हैं. देहरादून और गैरसैंण. इसी साल यानि कि मार्च 2020 में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बजट पेश किए जाने के दौरान चमोली जिले के गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने का ऐलान कर दिया था.  

वजह?  

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से ही ये मांग ज़ोर पकड़ रही थी कि पहाड़ी प्रदेश की राजधानी पहाड़ में ही हो. देहरादून राज्य की राजधानी है, लेकिन वो अभी भी अस्थायी राजधानी के रूप में ही है. आंदोलनकारियों के साथ-साथ कई संगठन और राजनीतिक दल भी समय-समय पर गैरसैंण को प्रदेश की राजधानी बनाने की मांग उठाते थे.   

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य के सीएम ने कहा कि उत्तराखण्ड एक सीमांत राज्य होने के कारण सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण और आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील है. इन्ही बातों और प्रदेश की जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए ये ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है और गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया है.