एक शिक्षक के बारे में जितना लिखा जाये कम है. ज़िंदगी में एक अच्छे गुरु का होना बहुत ज़रुरी है, फिर चाहें वो किसी के भी रुप में क्यों न हो. शिक्षक ही तो होता है, जो हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है. इसके साथ ही सही और ग़लत के बीच का फ़ासला तय करना सीखते हैं. स्कूल और घर के अलावा भी बहुत से ऐसे लोग हैं जो सिर्फ़ मुझे या आपको नहीं, बल्कि पूरे समाज को कुछ सीख दे रहे हैं.
ये लोग पेशे से शिक्षक नहीं हैं, पर दुनिया को शिक्षित ज़रूर कर रहे हैं:
1. Heidi Saadiya
Heidi Saadiya केरल की पहली ट्रांसजेंडर ब्रॉडकास्ट पत्रकार हैं. इन्होंने अपने करियर की शुरूआत Kairali News चैनल के लिए चंद्रयान-2 की रिपोर्टिंग से की है. Heidi Saadiya ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए एक प्रेरणा हैं.
2. 8 ग्राम पंचायत
दहेज, शराब जैसी सामाजिक कुरीतियों के ख़िलाफ़ 8 ग्राम पंचायतों ने कमर कस ली है, जिसके चलते मथुरा की 8 ग्राम पंचायतों ने इन कुरीतियों पर पाबंदी लगाई है. लैंड डेवलपमेंट बैंक के चेयरमैन चौधरी गोविंद सिंह ने बताया कि इससे न सिर्फ़ स्थानीय निवासियों को फ़ायदा होगा, बल्कि ज़रूरत से ज़्यादा ख़र्च भी बंद होगा.
3. पवन कुमार जायसवाल
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया गया था. इस वीडियो में कतार में बैठे बच्चे मीड डे मील खा रहे थे और मील में उन्हें नमक रोटी परोसी गई थी. वीडियो पत्रकार पवन कुमार जायसवाल ने बनाया था, जिसके बाद उन पर FIR भी दर्ज की गई. पवन कुमार की निडर पत्रकारिता ने सभी के मन में रियल पत्रकारिता की एक उम्मीद जगाई है.
This is Pawan Jaiswal , the #Mirzapur reporter who broke the roti + salt in mid day meal story. He has been booked by @mirzapurpolice for allegedly conspiring against the @UPGovt . In this video he reiterates he reported what he saw . @IndEditorsGuild please take cognizance ! pic.twitter.com/5mU47uufAo
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा में सुरक्षाबलों ने कुछ ऐसा कर दिखाया जो कम ही देखने को मिलता है. यहां सर्च ऑपरेशन के दौरान जवानों ने एक घायल पड़े हुए खूंखार नक्सली को 12 किलोमीटर तक जंगलों में चलकर हॉस्पिटल तक पहुंचाया.
5. जयंती
जयंती IT की नौकरी छोड़ कभी घर के खाने की होम डिलिवरी करती थीं, अब 11 रेस्टोरेंट की मालकिन हैं. ‘पूर्णब्रम्ह’ की फ़ाउंडर जयंती कठाले की परवरिश एक बड़े परिवार में हुई थी. साल 2006 में जयंती को ऑस्ट्रेलिया के IT फ़र्म में नौकरी मिल गई. वहां उन्हें भारतीय खाने की खूब इच्छा होती थी. इसके बाद से जंयती ने खाना डिलीवर करने का काम शुरु किया और नतीजा सबके सामने है.
जंयती जैसी बहुत सी महिलाएं होंगी, जो अपने सपनों को दिल में दबाए होंगी और जंयती ऐसी ही महिलाओं के लिये ताकत बन कर उभरी हैं.
6. गीता चौहान
गीता चौहान की आपबीती आपलोगों को हिम्मत दे देगी. गीता आज मुंबई की Women Wheelchair Basketball Team की खिलाड़ी हैं और एक सफ़ल बिज़नेसवुमेन, इंटरनेशनल बास्केटबॉल चैम्पियन और नेशनल टेनिस चैम्पियन हैं. मगर इनका ये सफ़र आसान नहीं था. गीता की जब स्कूलिंग शुरू हुई तो उन्हें 10 स्कूलों ने रिजेक्ट कर दिया था. उसके बाद एक स्कूल ने उन्हें एडमीशन दिया, लेकिन उनके पिता नहीं चाहते थे कि वो स्कूल जाएं. उनकी मां की ज़िद्द ने उन्हें स्कूल भेजा.
अगर कभी ख़ुद को कमज़ोर पाओ तो गीता चौहान को याद कर लेना.
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7. तीन सिख
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से ही वहां इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद कर दी गई थीं. इसके चलते देश के दूसरे हिस्सों में रहने वाले कश्मीरियों का अपने परिवार वालों से संपर्क कर पाना मुश्किल हो गया था. पुणे में स्किल इंडिया के तहत नर्सिंग का कोर्स करने आईं 32 कश्मीरी लड़कियों को भी अपने परिवार की चिंता सता रही थी. उनकी मदद के लिए दिल्ली के रहने वाले 3 सिख फ़रिश्ता बनकर सामने आए और उन्हें सुरक्षित उनके घर पहुंचाया. हरमिंदर सिंह, बलजीत सिंह और अरमीत सिंह इन तीनों दोस्तों ने चंदा इकट्ठा कर सभी लड़कियों के जम्मू कश्मीर जाने का इंतज़ाम किया था.
8. रानू मंडल
इंटरनेट संसेशन रानू मंडल कभी रेलवे स्टेशन पर गाती थी और आज हिमेश रेशमिया की फ़िल्मों के लिये तीन गाने रिकॉर्ड कर चुकी हैं. टैलेंट हो, तो मौका किसी भी उम्र में मिल सकता है.
समाज को बदलते इन लोगों से हम सभी को कुछ न कुछ सीखने को मिल रहा है. इसलिये ये सब भी हमारे लिये किसी गुरु से कम नहीं हैं.