आज जब पूरा देश बीफ़ व्यापार के नियमों के बारे में चर्चा कर रहा है, और लोग अपने पसंदीदा बीफ़ से बने व्यंजन की फ़ोटोज़ को सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं, वहीं हम आपके लिए एक ऐसी पोस्ट लेकर आये हैं, जिसमें पशु प्रेम की निस्वार्थ भावना साफ़ दिख रही है. सबसे पहले आप ये फ़ोटो देखिये.

एक गाय 20 फ़ीट गहरे एक गड्ढे में गिर गई है. इस गड्ढे में पानी भरा हुआ है, जिस कारण ये गाय गर्दन तक पानी में डूबी हुई है.

इस पोस्ट को Shravan Krishnan जो अपनी टीम के साथ बेसहारा और बेबस जानवरों की रक्षा करते हैं, ने अपनी फेसबुक वॉल पर पोस्ट किया है. अपनी इस पोस्ट के साथ वो लिखते हैं कि हमारी टीम ने फायर सर्विस, स्थानीय लोगों की मदद से गहरे गड्ढे में गिरी इस गाय को किसी तरह बाहर निकाला.

पूरी टीम ने इस काम को करने में कोई कमी नहीं छोड़ी और हर संभव कोशिश व प्रयास से इस गाय को बचा लिया. इस काम में सबका अहम योगदान है. वहां मौजूद हर व्यक्ति चाहे वो बड़ा बुज़ुर्ग हो या कोई बच्चा सभी ने टीम की तारीफ़ और सराहना की.

इन फ़ोटोज़ को देखकर आपको यकीन हो जाएगा कि किस तरह इनकी टीम ने एक असहाय जानवर की जान बचाई.

गौहत्या आज देश का सबसे अहम मुद्दा बना हुआ है. बीफ़ को लेकर पूरे देश में राजनीति गरमा रही है. जब से केंद्र सरकार ने गाय की खरीद-फ़रोख्त पर देश के सभी राज्यों में एक नोटिफ़िकेशन जारी किया है, तब से विपक्षी पार्टियां विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. पश्चिम बंगाल की चीफ़ मिनिस्टर ममता बनर्जी केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध किया है. केरल में भी कुछ प्रदर्शनकारियों ने बीफ़ को रखकर प्रदर्शन किया है. लेकिन अगर यूपी का उदाहरण लें, तो वहां जब से योगी सरकार आई है, तब से गौरक्षा की आड़ में बेवजह लोगों हो मारा पीटा जा रहा है.

केंद्र सरकार हो या उत्तर प्रदेश सरकार सब गौ मांस के लिए गायों की हत्या के खिलाफ़ कई तरह के क़ानून लागू कर रही है. वहीं कुछ लोग बीफ़ बैन के खिलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं. देश में अचानक से कई सारे गौरक्षक भी सामने आ गए हैं. आये दिन हम ख़बरें सुन रहे हैं कि गौरक्षा के नाम पर पशु पालन करने वाले लोगों को गौरक्षक परेशान कर रहे हैं. बचपन से हम यही तो पढ़ते आये हैं कि गाय पूजनीय होती है और हम गाय को माता का दर्जा देते हैं, फिर हम ही कैसे अपना पेट भरने के लिए उसी माता को काट कर खा सकते हैं. क्या यही है गौरक्षा? क्या इन तथाकथित गौरक्षकों को तब अपना कर्तव्य ध्यान नहीं आता, जब सड़क पर भूखी प्यासी गाय दम तोड़ देती है, या जब वो सड़क किनारे लगे कूड़े के ढेर में से पोलिथीन खाती है, तब कहां होते हैं ये रखवाले?

असली गौरक्षक तो यही लोग हैं. गौरक्षा के नाम पर अत्याचार करने वालों को इनसे सबक लेना चाहिए.