श्राद्ध पक्ष, यानि पितरों के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने का समय. इसके लिए वर्ष में 15 दिन निर्धारित किए गए हैं, क्योंकि इस दौरान कुछ समय के लिए यमराज पितरों को अपने प्रियजनों द्वारा दिया गया तर्पण ग्रहण करने के लिए मुक्त कर देते हैं. इस दौरान कई बातों का विशेष महत्व है. आज हम आपको ऐसी ही कुछ बातों से वाकिफ़ करवाएंगे, जिनको पितृ पक्ष में जानना और ध्यान रखना महत्वपूर्ण है.
पितृ पक्ष में इन सपनों और घटनाओं का है महत्त्व
पूर्वजों को सपने में देखना:
अगर आप सपने में अपने पूर्वजों को देखते हैं, तो इसका मतलब यह है कि वे आपको अपने होने का एहसास दिला रहे हैं.
सपने में सांप दिखाई देना:
अगर सपने में आपको सांप दिखाई दे, तो समझ जाइए कि आपके पितर आपसे कुछ कहने की कोशिश कर रहे हैं. अकसर ये तब होता है, जब वे आपसे बात करने की कोशिश करते हैं.
किसी के होने का अहसास होना:
आप घर में अकेले हों, या आपके पास कोई न हो, फिर भी अगर आपको किसी के होने का अहसास होता है, तो समझ जाइए कि आपके आस-पास आपके पितरों की आत्मा वास कर रही है. ऐसा तभी होता है, जब वे आपको अपने होने का एहसास दिलाना चाहते हों या आपके साथ समय बिताने के इच्छुक हों.
रात में बर्तनों का गिरना:
अगर रात में बिना किसी वजह के बर्तन गिरते हैं, तो समझ जाइए कि आपके पितर आपसे कुछ कहने की कोशिश कर रहे हैं.
घर में लोगों का बीमार होना:
अगर श्राद्ध पक्ष में आपके घर के लोग बीमार होते हैं, तो समझना चाहिए कि आपके पितर आपसे नाराज़ हैं. ऐसे में आपको पितरों की पूजा करनी चाहिए और गरीबों, ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए.
पितृ पक्ष में क्यों शुभ काम नहीं करते?
कहते हैं कि ये समय ऐसा होता है, जब परिवार वाले शोक में रहते हैं और शोक के दौरान शुभ काम कैसे किया जा सकता है? खरीददारी करने से इसलिए मना करते हैं कि ये काम ख़ुशी वाले हैं और घर में शोक होता है. इस दौरान नया घर लेने की मनाही के पीछे वजह है कि पितरों की जहां मृत्यु हुई होती है, वे श्राद्ध के समय तर्पण लेने वहीं आते हैं. नई जगह चले जाने पर पितरों को तकलीफ होती है.
श्राद्ध में कौओं का महत्व
मान्यता है कि श्राद्ध ग्रहण करने के लिए हमारे पितर कौवे का रूप धारण कर नियत तिथि पर हमारे घर आते हैं. अगर उन्हें श्राद्ध नहीं मिलता, तो वे रुष्ट हो जाते हैं. इस कारण श्राद्ध का प्रथम अंश कौओं को दिया जाता है.
क्या आप जानते हैं कि डेड बॉडी जाने के बाद पानी क्यों डालते हैं?
जब भी किसी की मृत्यु के बाद बॉडी को श्मशान ले जाया जाता है, तो घर को पानी से धोये जाने की परम्परा है. यही नहीं, लोग दाह-संस्कार के बाद वापस आकर नहाते हैं. कहते हैं कि नहाने से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है. इसके पीछे एक गहरा लॉजिक है. पहले स्मॉल पॉक्स और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों के लिए वैक्सिनेशन की सुविधा नहीं थी. पानी डालने या नहाने से डेड बॉडी से निकले कीटाणु नष्ट हो जाते हैं.
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