भारत की नींव अगर उसकी डेमोक्रेसी है, तो उसका कवच है सेना. ये वो सेना है, जो रोज़ गोली खा कर भी कहती है, ‘ये दिल मांगे मोर’. इस सेना के हर जवान की रगों में वो खून दौड़ता है, जिसे या तो तिरंगे की शान में जीना है, या फिर उसमें लिपट कर मरना. 

वो जो फ़ौलाद बन कर सरहद पर है खड़ा, वो जो तूफ़ान की तरह दुश्मन पर है पड़ा वो जो सीना लिए है चट्टान जैसा,लगता तो है हम इंसान जैसावो फौजी है, वो सिपाही है, वो जवान है!

सेना की बहादुरी से इंस्पायर हो कर जब कोई डायरेक्टर उसे 70 MM के पर्दे पर उतारता है, तो हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज जाता है. फ़िल्मों में जवान बने एक्टर के मुंह से निकले डायलॉग लगते भी बड़े आकर्षक हैं. लेकिन हकीकत के जंग-ऐ-मैदान में जब एक सिपाही अपने दुश्मन को ललकारता है, तो वो क्या बोलता है, ये सोच कर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

ग़ज़बपोस्ट लेकर आया है कुछ ऐसे शब्दों के तीर, जो जब एक भारतीय जवान के मुंह से निकले, तो उन्होंने दुश्मन को आधा घायल यूं ही कर दिया.