रौशनी के त्योहार दिवाली का इंतज़ार हर भारतीय को रहता है. जगमग जलते दिये, ढेर सारी मिठाइयां और पटाखों के साथ पूरा देश इस उत्सव में सराबोर नज़र आता है. वहीं तमिलनाडु में दो गांव ऐसे भी हैं, जहां दिवाली के दिन न तो कोई उत्सव होता है और न पटाखे जलाए जाते हैं.

तमिलनाडु के शिवगंगा ज़िले के S Maampatti और Kollukudipatti गांव में ग्रामीण दिवाली का त्योहार नहीं मनाते. यहां न तो इस दिन पटाखे जलाए जाते हैं और न ही मिठाइयां बांटी जाती हैं. दरअसल, Kollukudipatti गांव के पास ही Vettangudi Bird Sanctuary है. इसलिए वहां के लोग पटाखे नहीं जलाते.

इस गांव के लोगों का पक्षियों से बहुत लगाव है. पटाखों की तेज़ आवाज़ से उन्हें परेशानी होती है. इसलिए ग्रामीणों ने कई दशक से दिवाली पर पटाखों का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है. गांववालों का मानना है कि दूर देशों से यहां पक्षी आते हैं, तो उनकी फ़सल भी अच्छी होती है.

ज़िले के वन अधिकारी संपथलाल गुप्ता ने बताया कि, यहां अक्टूबर और मार्च के बीच यहां Grey Herons, Darters, Spoonbills, White Ibises, Asian Open Bill Storks, Little Cormorant, Little Egret, Cattle Egret और Flamingos जैसे पक्षी आते हैं.
वहीं S Maampatti गांव की कहानी जरा हटके है. यहां सालों पहले दिवाली मनाई जाती थी. इसके लिए गांव के लोग महाजनों से पैसे उधार लेते थे. मगर उसका ब्याज न चुका पाने के चलते वो कर्ज़ के बोझ के तले दबने लगे.

इसके बाद उन्होंने अपनी कुलदेवी के सामने कभी भी दिवाली न मनाने का प्रण लिया. तब से ही इस गांव में कोई भी दिवाली नहीं मनाता है. गौरतलब है कि इस गांव में 1958 से ही दिवाली नहीं मनाई गई है.
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