जब से मैं लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में आई हूं मेरे दोस्त मुझे हमेशा मेरे रिश्ते को लेकर कोई न कोई राय देते ही रहते हैं. मेरे अधिकतर दोस्तों का तो यही मानना है कि ‘लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप नहीं चलता.’
हां, मैं मानती हूं कि ये लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप मुश्किल होते हैं. ये हमेशा आपसे ज़्यादा एफर्ट मांगते हैं. मगर जो है सो है. मेरा रिश्ता भी शायद बाक़ी लॉन्ग डिस्टेंस कपल की तरह ही है. हमेशा समय से थोड़ा और समय मांगना, हमेशा एक दूसरे से मिलने की चाह, ज़्यादा वीडियो कॉल… मतलब हर चीज़ आम से थोड़ा ज़्यादा ही.
डिस्टेंस ने मुझे दूर बैठे इंसान से जहां प्यार करना सिखाया है वहीं और बहुत सी बातें सिखाई हैं जो मैं आप सब के साथ शेयर करना चाहती हूं-
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1. जब हम पास होते हैं तो कई बार बहुत सी बातें बिना बोले और कहे समझ लेते हैं. कोई बात ग़ुस्से में भी कह दी हो तो उसे सुलझाना आसान हो जाता है. क्योंकि आंखों के सामने बैठे व्यक्ति को समझाना और समझना थोड़ा आसान होता है. मगर यही जब दूर होते हैं तो हमें अपने शब्दों को लेकर थोड़ा सजग होने की ज़रूरत है. क्योंकि साथ न होने की वजह से हमें नहीं पता चलता है कि कब कौन सी बात सामने वाले को बुरी लगे और हो सकता है दूरी की वजह से वो ख़ुल कर आपसे बोले भी न और वो लंबे समय के लिए मन में रह जाएं. इसलिए मैं और मेरा पार्टनर अधिकतर शब्दों के प्रति काफ़ी सजग रहते हैं.
2. जो सबसे महत्वपूर्ण चीज़ लॉन्ग डिस्टेंस में है, वो ये कि ये हमें बहुत ज़्यादा धैर्य रखना सिखाता है. मिलने से लेकर बात करने तक हर बात में धैर्य, धैर्य और ढेर सारा धैर्य. मेरे और मेरे पार्टनर ने रात के 8 बजे का समय बात करने के लिए तय कर रखा है. मगर जब भी फ़ोन की घंटी को आधी घंटे की भी देरी होती है तो मन बैचेन सा होने लगता है मगर आप कॉल भी नहीं लगा सकते. ऐसे में सिर्फ़ इंतज़ार करना होता है. मेरा पार्टनर मर्चेंट नेवी में हैं उसे 10 महीने के लिए शिप पर होना पड़ता है, ऐसे में हमेशा अगले कॉल और मिलने का इंतज़ार करना पड़ता है.
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3. डिस्टेंस में सबसे काम की चीज़ जो होती है वो है टेक्नोलॉजी. ये हमें हमेशा जोड़े रहने में मदद करती है. कसम से हम लॉन्ग डिस्टेंस वाले कपल्स के लिए ये एक वरदान है. मगर हां उन दिनों जब मैं बेहद मायूस सी होती हूं और इंटरनेट पर बाक़ी कपल्स की फ़ोटो देखती हूं तो यही वरदान मुझे श्राप की तरह भी लगने लगता है. मन उदास हो जाता है कि हम पास क्यों नहीं है. कई बार नेटवर्क नहीं आता है और बेहद ज़रूरी बात करनी होती है ऐसे में भी इस टेक्नोलॉजी पर बेहद ग़ुस्सा आता है. टेक्नोलॉजी का हम लॉन्ग डिस्टेंस कपल से लव-हेट वाला रिश्ता होता है.
4. हां, मैं मानती हूं कि हर रिश्ते की बुनियाद भरोसे पर होती है. मगर मेरे रिश्ते में ये भरोसा एक लेवल और ऊपर होता है. जैसे- उसने बोला कि ये लड़की मेरी बहन है या मुझे ये काम आ गया था इसलिए बात नहीं कर पाया तो यदि आप साथ हो तो आप वो चीज़ें अपने आंखों से देख सकते हो समझ सकते हो, मगर यदि डिस्टेंस है तो आपको हमेशा बस सुनी हुई बातों पर यक़ीन करना होता है. यकीन का आधार सिर्फ़ बातें ही रह जाती हैं.
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5. ऐसे कितने मौके होते हैं जब मेरा दिन बिलकुल अच्छा नहीं गया होता है और मैं बस उससे बात करना चाहती हूं, बताना चाहती हूं कि आज दिन में मेरे साथ क्या-क्या बुरा हुआ, मगर वो नहीं होता है. ऐसे मैं मेरे पास ख़ुद के लिए मज़बूत बनने के अलावा और कोई रास्ता नहीं होता है. ये ऐसे पल होते हैं जो मुझे जाने-अनजाने स्ट्रांग बना जाते हैं.
6. साथ न रहने की वजह से हम एक दूसरे की ज़्यादा कद्र करते हैं. क्योंकि हमें पता होता है कि हमारे पास वो नहीं है जो औरों के पास है. हम एक दूसरे की पसंद, न पसंद का ज़्यादा से ज़्यादा ध्यान रखते हैं. बेवजह की लड़ाई में वक़्त ज़ाया नहीं करते हैं. दूरी ने मुझे सिखाया है कि कैसे वो छोटे-छोटे पल मायने रखते हैं जिन्हें हम अधिकतर फॉर ग्रांटेड ले लेते हैं. क्योंकि मुझे पता है कि हमारी मुलाक़ाते बेहद सिमित रहती है जिसके चलते न ही केवल मुझे उस पल की कद्र रहती है बल्कि इंसान की भी.
बस इतनी सी बात है कि हां कठिन ज़रूर है मगर ऐसा भी नहीं कि निभा ही नहीं सकते. आख़िरकार, कई बार लोग पास होकर भी दूर होते हैं ऐसे में पूरा दोष दूरी को देना भी ग़लत होगा.