कहते हैं गुज़रा हुआ वक़्त दोबारा नहीं आता, और उस गुज़ारे वक़्त में हुई ग़लतियों को भी सुधारा नहीं जा सकता. तो क्या हुआ अगर उन ग़लतियों को सुधारा नहीं जा सकता, लेकिन उनसे सीख लेकर उनको न दोहराना तो सीखा जा ही सकता है न. क्यों क्या मैंने कुछ ग़लत बोला? हर कोई अपनी ज़िन्दगी में ग़लतियां करता है, कोई कम तो कोई ज़्यादा. मगर वो कहते हैं न कि ग़लतियां करना ग़लत नहीं, बल्कि अपनी ग़लतियों से सबक न लेना ग़लत होता है.
कभी-कभी जब मैं अपनी टीनएज के बारे में सोचती हूं, तो मुझे लगता है कि काश मुझे वो बातें उस उम्र में पता होतीं, तो शायद मैं उस वक़्त कई सारी ग़लतियां करने से बच जाती। ऐसी फ़ीलिंग आपको भी कई बार होती होगी। लेकिन कोई बात नहीं तब हमको नहीं पता था इस बारे में, पर अब तो पता है न. तो क्यों न हम अपने से छोटों को इन बातों के बारे में पहले ही बता दें अपने अनुभवों से.
1. ज़रूरी नहीं कि कठिन परिश्रम ही सफ़लता की कुंजी हो.
2. कई बार न चाहते हुए वो पढ़ना पड़ता है, जिसका हमें फ़्यूचर में कोई फ़ायदा नहीं मिलना होता है.
3. ज़रूरी नहीं कि अगर आप किसी के साथ अच्छे हैं, तो वो भी आपके साथ अच्छा ही रहेगा.
4. ग़लतियां करना ठीक है, बशर्ते आप उनसे कुछ सीखें.
5. अपने माता-पिता के साथ बुरा व्यवहार करना ठीक नहीं होता. वो भी हमारे साथ हर दिन कुछ न कुछ नया सीख रहे होते हैं और वो हमेशा हमारी भलाई ही सोचते हैं.
6. आप शायद कभी नहीं जान पाएंगे कि आप कौन हैं क्योंकि आपमें हमेशा बदलाव होते रहेंगे.
7. आपको एक से अधिक बार प्यार हो सकता है और इसमें कुछ भी ग़लत नहीं है.
8. लाइफ़ में एक ऐसा टाइम भी आएगा, जब पैसा आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण नहीं होगा.
9. अगर आप खुद से प्यार करना नहीं सीखेंगे, तो कभी ज़िन्दगी को एन्जॉय नहीं कर पाएंगे. ऐसे में आप आगे नहीं बढ़ेंगे और ज़िन्दगी का संघर्ष रुक जाएगा.
10. अगर आपको लोगों को ये समझाना पड़े कि आपमें क़ाबिलियत है, तो इसका मतलब है कि आपके क़ाबिल नहीं हैं.
11. कभी-कभी भ्रम या धोखा आपको उस मोड़ पर ले आएगा, जहां आप कल्पना से कहीं अधिक ख़ुश होंगे.
12. हो सकता है कि आपके सबसे अच्छे दोस्त आपसे दूर हो जाएं, और आप दुखी हो जायें, पर कोई बात नहीं कुछ दिनों में आप ठीक हो जाएंगे.
13. एक दिन ऐसा भी आएगा, जब आपको दूसरों के सामने कुछ भी साबित करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.
14. कभी-कभी आप असफ़ल होंगे, लेकिन उसमें निराश होने के बजाये, और कड़ी मेहनत करना सब ठीक हो जाएगा.
15. उम्र के उस पड़ाव में आपको ऐसा लगेगा जैसे सब आपके ख़िलाफ़ हैं, जबकि वो सिर्फ़ आपकी भलाई के बारे में सोचते हैं.
दोस्तों किशोरावस्था जीवन का ऐसा पड़ाव होता है, जब हमारे अंदर शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से बदलाब होते हैं. इसीलिए हम नित नए-नए अनुभवों से गुज़रते हैं. इसलिए उम्र के इस पड़ाव में जब भी कुछ ग़लत लगे तो अपने पेरेंट्स और टीचर्स से बात करें.